सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का प्रकाश आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे एक शक्तिशाली और चुनौतीपूर्ण अवधि माना जाता है। ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, पिता और जीवन शक्ति का कारक माना गया है, जबकि चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है। जब ये दोनों एक साथ आते हैं और ग्रहण लगता है, तो राहु और केतु जैसे छाया ग्रहों का प्रभाव बढ़ जाता है, जिससे कुछ राशियों के लिए नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि हो सकती है। इसके कारण स्वास्थ्य, करियर और रिश्तों में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं।
यही वजह है कि ग्रहण के दौरान धार्मिक कार्यों, मंत्र जाप और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है ताकि इसके अशुभ प्रभावों को कम किया जा सके और सकारात्मकता बनी रहे। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने बताया है कि साल का दूसरा सूर्य ग्रहण कब लगेगा और क्या यह भारत में नजर आएगा या नहीं। आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
साल 2025 का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को लगेगा। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जिसका अर्थ है कि चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं, बल्कि आंशिक रूप से ढकेगा।
यह एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, लेकिन ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से इसका महत्व इस बात पर निर्भर करता है कि यह किस स्थान से दिखाई देता है।
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ज्योतिष और खगोलीय गणनाओं के अनुसार, 21 सितंबर 2025 को लगने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। यह ग्रहण मुख्य रूप से दक्षिणी गोलार्ध के कुछ हिस्सों में, जैसे पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका और दक्षिणी प्रशांत महासागर के कुछ क्षेत्रों में ही दिखाई देगा।
चूंकि यह ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा, इसलिए इसका कोई धार्मिक या ज्योतिषीय प्रभाव भारतीय उपमहाद्वीप पर नहीं पड़ेगा।
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भारत में सूर्य ग्रहण को एक महत्वपूर्ण धार्मिक घटना माना जाता है। हिंदू धर्म में, ग्रहण को राहु और केतु नामक छाया ग्रहों से जोड़ा जाता है, जो सूर्य को निगलने का प्रयास करते हैं। इसी कारण ग्रहण के दौरान कई धार्मिक मान्यताएं और नियम माने जाते हैं, जैसे सूतक काल।
सूतक काल: जब ग्रहण भारत में दिखाई देता है, तो ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। इस दौरान भोजन करना, पूजा-पाठ करना, और शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। चूंकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए यहां सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
पूजा-पाठ और मंत्र जाप: ग्रहण के दौरान, लोग अक्सर मंत्र जाप, ध्यान, और दान-पुण्य करते हैं ताकि ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके।
ज्योतिषीय प्रभाव: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण का प्रभाव हर राशि पर अलग-अलग पड़ता है। यह जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे करियर, स्वास्थ्य, और रिश्तों पर असर डाल सकता है। हालांकि, भारत में इस ग्रहण का कोई सीधा ज्योतिषीय प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह यहां दिखाई नहीं दे रहा है।
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