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Ravivar Vrat Katha: धन-धान्य से परिपूर्ण रहने के लिए पढ़ें रविवार की व्रत कथा, सूर्य देव की बरसेगी कृपा

Suryadev Vrat Katha: रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना और व्रत करने से बिगड़े काम बनने लगते हैं और व्यक्ति के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। साथ ही उसे धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। रविवार के दिन व्रत करने के साथ सूर्य देव की कथा सुनने का विशेष महत्व भी है। अगर आप भी रविवार का व्रत कर रहे हैं, तो यहां बताई सूर्य देव की व्रत कथा का पाठ भी जरूर करें। 
Editorial
Updated:- 2025-06-21, 17:46 IST

हिंदू धर्म में सप्ताह के हर दिन का अपना अनूठा महत्व माना गया है। सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। इन्हीं में से एक रविवार का दिन भी जो खासकर सूर्य भगवान को समर्पित है। सूर्य देव को सृष्टि का पालक, जीवन का आधार और समस्त ऊर्जा का स्रोत माना गया है। मान्याओं के मुताबिक, सूर्य देव की हर दिन पूजा और आराधना करने से शरीर के कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है।

अगर आपके भी जीवन में बाधाएं आ रही हैं, आर्थिक परेशानियां आ रही हैं या बनते-बनते काम बिगड़ रहे हैं तो रविवार के दिन विशेषतौर पर सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही आप व्रत कर भी सूर्य देव को प्रसन्न कर सकते हैं। रविवार के व्रत में सूर्य देव की पौराणिक कथा पढ़ने का महत्व भी है। आइए, यहां जानते हैं रविवार व्रत की कथा के बारे में।

रविवार की व्रत कथा (Ravivar Vrat Katha)

Sury dev puja

प्राचीन काल की बात है। एक नगर में एक बहुत गरीब ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे। वे बेहद धार्मिक थे और भगवान का स्मरण करते हुए अपना जीवन व्यतीत करते थे। ब्राह्मण हर दिन सूर्य देव की पूजा करते थे, लेकिन उनके पास इतनी संपत्ति नहीं थी कि वे अपनी गरीबी दूर कर सकें। उनकी पत्नी, ब्राह्मण महिला, घर के काम करती और अपने पति की सेवा करती थी। एक दिन, ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पति से कहा, 'स्वामी, हम इतनी गरीबी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं। हमारे पास खाने-पीने और रहने के लिए भी पर्याप्त नहीं है। क्या हम कभी इस गरीबी से मुक्ति पा पाएंगे?' ब्राह्मण ने अपनी पत्नी की बात सुनी और कहा, 'प्रिय, धैर्य रखो। भगवान सूर्य देव अत्यंत दयालु हैं। वे सबकी सुनते हैं। तुम भी रविवार का व्रत रखना शुरू करो और सूर्य देव की सच्चे मन से पूजा करो। वे अवश्य हमारी सहायता करेंगे।'

ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पति की सलाह मानी और रविवार का व्रत रखने का निश्चय किया। उसने रविवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया, स्वच्छ वस्त्र धारण किए और सूर्य देव का ध्यान करते हुए पूरे दिन उपवास रखा। शाम को उसने एक बार भोजन किया, जिसमें नमक का प्रयोग नहीं किया। कुछ रविवार तक व्रत रखने के बाद, एक दिन सूर्य देव एक साधु का रूप धारण करके ब्राह्मण दंपत्ति के घर आए। साधु ने ब्राह्मण से भोजन मांगा। ब्राह्मण दंपत्ति ने अत्यंत आदरपूर्वक साधु को भोजन कराया और उनकी सेवा की। साधु, उनकी सेवा से प्रसन्न हुए। साधु ने ब्राह्मण की पत्नी से पूछा, 'पुत्री, तुम इतनी गरीबी में जीवन जी रही हो, फिर भी तुम्हारा मन इतना शुद्ध और तुम इतनी सेवाभावी हो। तुम क्यों नहीं सूर्य देव का व्रत रखतीं? उनके व्रत से सारी दरिद्रता दूर हो जाती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है।'

ब्राह्मण की पत्नी ने उत्तर दिया, 'महाराज, मैं पिछले कुछ दिनों से रविवार का व्रत रख रही हूं। लेकिन मेरी गरीबी अभी तक दूर नहीं हुई है।' साधु मुस्कुराए और बोले, 'पुत्री, तुम व्रत तो रख रही हो, लेकिन शायद तुम्हें नियमों का सही ज्ञान नहीं है। रविवार के व्रत में भोजन करते समय नमक का प्रयोग वर्जित होता है। साथ ही, भोजन में गेहूं और तेल का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन गाय के घी से बने पकवान या फल, दूध, दही का सेवन करना चाहिए। व्रत के दिन, सूर्य देव को अर्घ्य देना और उनकी आरती करना भी आवश्यक है। अगले दिन, व्रत का पारण करने से पहले ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना चाहिए।' साधु ने ब्राह्मण की पत्नी को सही नियमों से अवगत कराया। अगले रविवार से ब्राह्मण की पत्नी ने साधु द्वारा बताए गए नियमों का पालन करते हुए पूरी श्रद्धा और निष्ठा से व्रत रखा। उसने नमक, गेहूं और तेल का त्याग किया और केवल फलों व दूध का सेवन किया। उसने सूर्य देव को नियमित रूप से जल अर्पित किया और उनकी स्तुति की।

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कुछ ही समय बाद, ब्राह्मण दंपत्ति के जीवन में बड़ा बदलाव आया। उनके घर में धन-धान्य की वृद्धि होने लगी। उनकी गरीबी दूर हो गई और वे सुख-समृद्धि से परिपूर्ण हो गए। उन्होंने अपनी इस समृद्धि को दूसरों की सेवा में भी लगाया और धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। तब से यह मान्यता प्रचलित हो गई कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से और विधि-विधान से रविवार को सूर्य देव का व्रत रखता है और उनकी कथा सुनता है, उसके जीवन से दरिद्रता दूर होती है और उसे धन, स्वास्थ्य, मान-सम्मान तथा सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

रविवार के व्रत के लाभ 

Suryadev ki puja kaise kare

रविवार व्रत रखने से सूर्य देव की कृपा बरसती है और व्रत के पुण्य प्रभाव से आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं। घर में सुख-समृद्धि आती है। रविवार के व्रत से शारीरिक कष्ट और बीमारियां दूर होती हैं। यह व्रत व्यक्ति को तेज, ऊर्जा और आत्मविश्वास प्रदान करता है। समाज में मान-सम्मान और यश की प्राप्ति होती है। रविवार को सूर्य देव की पूजा विधिवत पूजा करने से आत्मबल और आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे व्यक्ति जीवन की चुनौतियों का सामना बेहतर ढंग से कर पाता है। घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे नकारात्मकता दूर होती है। सच्चे मन और श्रद्धा के साथ रविवार का व्रत रखने से जीवन में निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव आते हैं और व्यक्ति धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है।

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FAQ
रविवार का व्रत कब से शुरू करना चाहिए?
रविवार का व्रत आप किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू कर सकती हैं। 
रविवार के देवता कौन हैं?
रविवार के देवता मुख्य रूप से सूर्य को माना जाता है और रविवार के दिन उनकी ही पूजा की जाती है। 
रविवार का व्रत क्यों रखा जाता है?
रविवार का व्रत भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। रविवार का व्रत करने से कुंडली में सूर्य मजबूत होता है और सभी दोषों से मुक्ति मिलती है। 
रविवार उपवास में क्या खाना चाहिए?
रविवार के व्रत में गेंहू की रोटी और दलिया का सेवन किया जा सकता है। आप रोटी के साथ गुड़ भी ले सकते हैं। लेकिन, इस व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है। 
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