राहु-केतु कब शुभ फल देते हैं और कब अशुभ? जानें ज्योतिष से

राहु-केतु को लेकर ऐसी धारण बन गई है कि यह दोनों पाप ग्रह हमेशा दुष्प्रभाव ही डालते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। राहु-केतु का शुभ प्रभाव भी जीवन में नजर आता है और इनकी सकारात्मकता से कई परेशानियां दूर हो जाती हैं।  
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ज्योतिष शास्त्र में ऐसा बताया गया है कि ग्रहों की दिशा और दशा के आधार पर ही हमारे जीवन में शुभ एवं अशुभ प्रभाव देखने को मिलते हैं। कभी ग्रहों की शुभता से हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं तो कभी ग्रहों की अशुभता से जीवन में नकारात्मकता छा जाती है। वहीं, अगर बात राहु और केतु जैसे पाप ग्रहों की हो तो व्यक्ति को और भी सतर्कता बरतनी पड़ती है।

ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि राहु-केतु को लेकर ऐसी धारण बन गई है कि यह दोनों पाप ग्रह हमेशा दुष्प्रभाव ही डालते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। राहु-केतु का शुभ प्रभाव भी जीवन में नजर आता है और इनकी सकारात्मकता से कई परेशानियां दूर हो जाती हैं। आइये जानते हैं कि कब राहु-केतु शुभ होते हैं और कब अशुभ एवं इन्हें कैसे मजबूत किया जा सकता है।

कुंडली में कब पड़ता है राहु का अशुभ प्रभाव?

अगर कुंडली में राहु पहले, चौथे, सातवें, आठवें, नौवें एवं बारहवें भाव में है तो राहु अशुभ माना जाता है। इसके अलावा, कुंडली में राहु दोष उत्पन्न हो जाए तब भी राहु की अशुभता का सामना व्यक्ति को करना पड़ता है। साथ ही, घर में अगर अशुद्ध धातु यानी कि प्लास्टिक, स्टील आदि का उयोग ज्यादा हो तब भी राहु कमजोर होकर दुष्प्रभाव दिखाता है।

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कुंडली में कब पड़ता है राहु का शुभ प्रभाव?

कुंडली में राहु का सबसे ज्यादा शुभ प्रभाव तब पड़ता है जब राहु 10वें, 11वें और 5वें भाव में स्थित हो। इन स्थानों पर रहकर राहु राजयोग का निर्माण करता है क्योंकि ये भाव राहु के उच्च होने को दर्शाते हैं। इसके अलावा, घर में मौजूद जो भी वस्तुएं लोहे की हैं, अगर उन वस्तुओं की रोजाना पूजा की जाती है तब भी राहु शुभ परिणाम दिखाता है।

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कुंडली में राहु को कैसे मजबूत करें?

राहु को मजबूत करने के लिए 3 काम करना सबसे ज्यादा शुभ सिद्ध हो सकता है। पहला काम, रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें। दूसरा काम, ससुराल पक्ष के लोगों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करें और तीसरा काम शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं। इसके अलावा, एक और काम कर सकते हैं, काले कुत्ते को रोटी खिलाएं रोजाना।

कुंडली में कब पड़ता है केतु का अशुभ प्रभाव?

कुंडली में केतु का अशुभ प्रभाव तब पड़ता है जब लग्न, षष्ठी और एकादश भाव में केतु स्थित हो या जब केतु पर शनि की दृष्टि होती है। अगर केतु नीच राशि में हो या दिशा में कमजोर हो तब भी केतु के जरिये अशुभ प्रभाव देखने को मिलते हैं। केतु जब चंद्रमा और सूर्य के साथ युति करता है तब काल सर्प दोष का निर्माण होता है।

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कुंडली में कब पड़ता है केतु का शुभ प्रभाव?

कुंडली में केतु का शुभ प्रभाव तब पड़ता है जब तृतीय, पंचम, नवम, या द्वादश भाव में केतु स्थिति हो। इन भावों में केतु भाग्य, बुद्धि, और ज्ञान के रूप में जातकों को शुभता प्रदान करता है। इसके अलावा, जब केतु की युति बुध, शुक्र, और शनि के साथ उच्च स्थान पर होती है तब भी केतु शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं।

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कुंडली में केतु को कैसे मजबूत करें?

कुंडली में केतु को मजबूत करने के लिए रोजाना 4 काम करें। पहला काम, श्री गणेश का ध्यान करें। दूसरा काम, केतु के बीज मंत्र 'ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः' का जाप करें। तीसरा काम, 21 शनिवार तक वर्त का पालन करें और चौथा काम, पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं। इससे केतु कुंडली में मजबूत होगा।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • राहु-केतु का प्रिय पौधा कौन सा है?

    राहु के लिए चंदन का पौधा और केतु के लिए अश्वगंधा का पौधा लगाना शुभ माना जाता है।