Pind Daan Place in India for Pitru Paksha 2023: सनातन काल से पौराणिक कथाओं और हिन्दू मान्यता के अनुसार पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान करना काफी शुभ कार्य माना जाता रहा है। इस साल श्राद्ध पक्ष यानी पिंड दान 29 सितंबर से लेकर 14 अक्टूबर तक चलने वाला है।
पिंड दान के विशेष मौके पर हर दिन हजारों लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में पितरों के लिए पिंड दान करने पहुंचते रहते हैं। कई लोग हरिद्वार, अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज पिंड दान के लिए पहुंचते रहते हैं।
लेकिन इन सब के अलावा बिहार में भी एक ऐसी जगह है, जिसके बारे में बोला जाता है कि इस स्थान पर अगर कोई पिंड दान करता है, तो पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस लेख में बिहार के उसी जगह के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
बिहार के बोधगया में होता है पिंड दान
जी हां, बिहार के जिस स्थान के बारे में जिक्र कर रहे हैं उस स्थान का नाम 'बोधगया' है। बिहार की इस पवित्र नगरी में पिंड दान करने के लिए देश के हर कोने से हर दिन हजारों लोग पहुंचते हैं।
बोधगया सिर्फ पिंड दान करने वाली जगह ही नहीं है, बल्कि इसेबोधगया को बुद्ध की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। बोधगया बिहार के साथ-साथ पूरे देश के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल भी है।
बोधगया की पौराणिक कथा क्या है?
शायद आपको मालूम हो, अगर नहीं मालूम है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भिक्षुओं के लिए बोधगया वह स्थान है जहां, भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसलिए बोधगया दुनिया भर के बौद्ध भिक्षुओं के लिए बेहद पवित्र शहर माना जाता है।
कहा जाता है कि करीब 531 ईसा पूर्व फल्गु नदी के किनारे भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उन्होंने बोधि वृक्ष के पास बैठकर कठोर तपस्या की थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बोधगया में फल्गु नदी के किनारे ही लोग पिंड दान के लिए पूजा-पाठ करते हैं।(कैसे बनी बोधगया ज्ञान की नगरी?)
पौराणिक कथा के अनुसार यह मान्यता है कि बोधगया में पिंड दान करने का उल्लेख रामायण और महाभारत में भी किया गया है। इसलिए कई लोग पितृ पक्ष के मौके पर फल्गु नदी के किनारे पिंड दान करते हैं।
बोधगया कैसे पहुंचें?
देश के किसी भी हिस्से से बोधगया पहुंचना बहुत ही आसान है। इसके लिए आप ट्रेन, हवाई या सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं।
- ट्रेन से- आप ट्रेन के माध्यम से आसानी से बोधगया पहुंच सकते हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई आदि देश के प्रमुख शहरों से गया के लिए ट्रेन चलती रहती है। आप देश के किसी भी हिस्से से बिहार की राजधानी पटना पहुंचकर भी बोधगया जा सकते हैं। पटना से बोधगया की दूरी करीब 114 किमी और गया से बोधगया 13 किमी है।(बोधगया में घूमने की जगहें)
- हवाई यात्रा- अगर आप हवाई यात्रा के माध्यम से बोधगया पहुंचना चाहते हैं, तो आप पटना हवाई अड्डा पहुंच सकते हैं, क्योंकि सबसे पास में पटना हवाई अड्डा ही है। पटना हवाई अड्डा से टैक्सी, कैब या लोकल बस लेकर आसानी से बोधगया पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग- बोधगया बिहार के लगभग हर जिल से जुड़ा हुआ है। इसके लिए आप पटना, गया, आरा, पश्चिम चंपारण, पूर्णिया आदि कई जिलों से सड़क द्वारा बोधगया पहुंच सकते हैं।
बोधगया में ठहरने और खाने-पीने की जगहें
बोधगया में ठहरने के लिए सस्ते से सस्ते कमरे आसानी से मिल जाते हैं। इसके लिए आप होटल मौर्या विहार, हर्ष गेस्ट हाउस, रामा गेस्ट हाउस, सुजाता विलेज होमस्टे और दीप होटल में स्टे कर सकते हैं। इन होटल्स और गेस्ट हाउस में 400-700 रुपये के बीच में एसी और नॉन एसी कमरे आसानी से मिल जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये होटल्स महाबोधि मंदिर से कुछ ही दूरी पर मौजूद हैं।
बोधगया में खाने-पीने की जगहों की भी कमी नहीं है। यहां ऐसे कई होटल और रेस्टोरेंट मिल जाएंगे, जहां आप 100 रूपये के अंदर में पेट भरकर खाना सकते हैं। इसके लिए आप बोधगया रेस्टोरेंट, सुजाता रेस्टोरेंट या राम सेवक रेस्टोरेंट जा सकते हैं।
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Image Credit-shutterstocks,jagran
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