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कैसे बनी बोधगया ज्ञान की नगरी? जानें कथा

आज इस लेख में हम बोधगया कैसे बनी ज्ञान की नगरी और क्या है इसका धार्मिक महत्व इसके पीछे की कथा बताने जा रहे हैं। 
Editorial
Updated:- 2022-12-29, 14:49 IST

Bodh Gaya Ki Katha: बिहार के गया जिले से सटा एक शहर 'बोधगया' और फल्गु नदी तट के किनारे पश्चिम दिशा में स्थित महाबोधि का प्राचीन मंदिर। ये वो स्थान है जहां बौद्ध धर्म की धारा बहती है। महात्मा बुद्ध की बसाई इस नगरी में अनेकों रहस्य हैं जिससे आज भी सब अनजान हैं।

हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वार दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको बोध गया से जुड़े कई रहस्य बताने जा रहे हैं साथ इस स्थान का धार्मिक महत्व भी आपसे साझा करेंगे। इसके अलावा, ये भी जानेंगे कि आखिर क्यों बोध गया को ज्ञान की नगरी कहा जाता है।

  • बोधगया का महाबोधि मंदिर सबसे प्राचीन बौद्ध (बौद्ध स्तूपों के रहस्य) मंदिरों में एक है। धार्मिक मान्यता है कि यहां भगवान बुद्ध साक्षात आज भी विराजते हैं। ऐसा माना जाता है कि बोधगया कोई आम स्थान नहीं बल्कि वो जगह है जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।

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  • बोधि वृक्ष के नीचे ही बैठकर भगवान बुद्ध ने घोर तपस्या की थी। दरअसल, भगवान बुद्ध ने इस स्थान पर मौजूद पीपल के पेड़ के नीचे बैठ कर साधना की थी। चूंकि बुद्ध पीपल के नीचे बैठे थे इसी कारण से इस पीपल के इस पेड़ को बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाने लगा।

Bodh gaya place

  • इसके अलावा, बोधि वृक्ष का एक और अर्थ निकलता है। बौद्ध धर्म में बोधि शब्द का अर्थ 'ज्ञान' होता है। इस कारण पीपल के पेड़ (पीपल के पेड़ के उपाय) के नीचे ज्ञान अर्जित करने की वजह से भी इस पेड़ ला नाम बोधि विक्ष यानी कि ज्ञान का वृक्ष बना।

bodh gaya in bihar

  • बौद्ध धर्म को मानने वाले और बुद्ध के अनुयायियों का इस स्थान पर तांता लगा रहता है। मान्यता है कि बोधि वृक्ष या बोधगया आकर अगर सच्चे मन से ज्ञान अर्जन की इच्छा जताई जाए तो व्यक्ति को अपार ज्ञान की प्राप्ति होती है।

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  • पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बोध गया जाकर किया गया अनुष्ठान या पूजा-पाठ कभी विफल नहीं होता है। जिस भी सात्विक मंतव्य से हवन किया जाए उस इच्छा की पूर्ति अवश्य होती है और शीघ्र होती है।
  • खास बात यह है कि इस मंदिर में सिर्फ बौद्ध धर्म के ही नहीं बल्कि अन्य सभी धर्मों के लोग जाते हैं। मां लक्ष्मी, हाथी, मोर, फूलों जैसे शुभ चिह्नों को भी यहां अंकित किया गया है। ताकि हिन्दू धार्मिकता भी बरकरार रहे।

तो ये था बोध गया के ज्ञान की नगरी कहलाने के पीछे का कारण। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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