गणेश चतुर्थी का पर्व अगर आज से पहले आपने नहीं देखा है, तो बिना सोचे समझे आपको मुंबई जाने का प्लान बना लेना चाहिए। गणपति बप्पा का त्यौहार आखिर कैसे मनाया जाता है? इसका नजारा अगर आपने मुंबई में एक बार देखा, तो हर किसी को आप यहां जाने के लिए फोर्स करेंगे। ढोल-नगाड़े, नाच- गाना, गणपति बप्पा मोरया के जयकारे और हवा में उड़ते रंग-गुलाल, यह सब नजारा आपके दिल में हमेशा के लिए बस जाएगा।
मुंबई में आपको बप्पा की एक से बढ़कर एक मूर्तियां देखने को मिल जाएंगी। अगर आप इस बार गणेश चतुर्थी पर मुंबई जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको एक क्रम के अनुसार इन मंदिरों के दर्शन के लिए जाना चाहिए। माना जाता है कि एक क्रम में बप्पा के इन मंदिरों के दर्शन से भगवान प्रसन्न होते हैं।
अष्टविनायक गणपती (Ashtavinayak Ganpati, Maharashtra)
अष्टविनायक का शाब्दिक अर्थ होता है, 'आठ गणपति’, यह सभी मंदिर महाराष्ट्र के विभिन्न 8 हिस्सों में पाए जाने वाले बप्पा के मंदिरों को दर्शाता है। इन मंदिरों में स्थित सभी मूर्ति में खास बात यह है कि इन्हें किसी व्यक्ति द्वारा नहीं बनाया गया है। यह प्राकृतिक रूप से पाए गए हैं। (400 साल पुराने गणेश जी)
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यात्रा करने का सही तरीका
- सबसे पहले यहां करे यात्रा- श्री मयुरेश्वर - मोरगांव
- दूसरे नंबर पर यहां करे यात्रा- श्री सिद्धिविनायक - सिद्धटेक
- तीसरे नंबर पर यहां करे यात्रा- श्री बल्लालेश्वर - पाली
- चौथे नंबर पर यहां करे यात्रा- श्री वरद विनायक - महड पांचवे नंबर पर यहां करे यात्रा- श्री चिंतामणि विनायक - थेऊर
- छठे नंबर पर यहां करे यात्रा- श्री गिरिजात्मज - लेण्याद्री
- सातवें नंबर पर यहां करे यात्रा- श्री विघ्नहर-ओझर
- आठवें नंबर यहां करे यात्रा- श्री महागणपति - रंजनगांव
माना जाता है कि सभी 8 मंदिरों की यात्रा के बाद फिर से आपको मयूरेश्वर मंदिर में जाना होगा। सफल और फलदायी समापन के लिए यह जरूरी होता है।(जयपुर में फेमस गणेश मंदिर)
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