महिलाओं को बाल खोलकर मंदिर में प्रवेश क्यों नहीं करना चाहिए? जानें क्या कहता है शास्त्र

शास्त्रों में इस बात का जिक्र है कि महिलाओं को बाल खोलकर मंदिर में प्रवेश या पूजा पाठ नहीं करना चाहिए। आइए इसके कारणों के बारे में जानें। 

 

why women should not enter the temple with open hair according to shashtra

हमारे धर्म शास्त्रों में न जाने ऐसी कितनी बातों का जिक्र है जिनका हमारे जीवन से कोई न कोई संबंध जरूर होता है। शास्त्रों में महिलाओं को लेकर भी कई बातों के बारे में बताया गया है जैसे महिलाओं को बाल किस दिन धोने चाहिए, मासिक धर्म के दौरान किन चीजों को नहीं छूना चाहिए, श्रृंगार करना जैसे सिन्दूर किस दिन लगाना चाहिए और चूड़ियां पहनने के किन नियमों का पालन करना चाहिए।

ऐसी ही महिलाओं से जुड़ी बातों में से एक है कि मंदिर में प्रवेश के समय बाल खुले नहीं छोड़ने चाहिए। इन सभी बातों का जिक्र शास्त्रों में किया गया है और आपमें से कई लोगों ने घर के बड़े बुजुर्गों से इन बातों के बारे में जरूर सुना होगा।

लेकिन मुख्य रूप से जब जिक्र इस बात का आता है कि महिलाओं को बाल खोलकर मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए तो इसका जवाब जानने की जिज्ञासा भी शायद सभी के मन में होती होगी। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें शास्त्रों में बताई इस बात की मुख्य कारणक्या है।

मंदिर में प्रवेश के समय बाल खुले क्यों नहीं होने चाहिए

why should not enter temple with loose hair

जब लोग मंदिर में प्रवेश करते हैं तब मन शांत और बुरे विचारों या नकारात्मक भावनाओं से मुक्त होना चाहिए, क्योंकि प्रार्थना का उद्देश्य भगवान के करीब जाना होता है। जब हम भगवान के घर जाते हैं, तो हमें साफ और शुद्ध ही होना चाहिए। हमारे कपड़े साफ़ होने चाहिए और शरीर भी शुद्ध होना चाहिए।

लेकिन बाल खोलकर मंदिर में प्रवेश न करने का एक कारण यह भी हो सकता है कि महिलाओं के बाल पुरुषों की तुलना में लंबे होते हैं और खुले होने की वजह से महिलाओं का मन भगवान की भक्ति के बजाय बालों को ठीक करने में केंद्रित हो जाता है। बंधे हुए बालों के साथ भक्ति और पूजा में ठीक से मन लगता है, इसलिए हमेशा बाल बांधकर ही मंदिर में प्रवेश करने की सलाह दी जाती है।

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महिलाओं के खुले बाल नकारात्मकता का प्रतीक हो सकते हैं

यदि पुराणों की मानें तो महाभारत और रामायण में ऐसे कई प्रसंग हैं जिनका संबंध नकारात्मकता को दिखाता है। इनमें से एक कथा महारानी कैकेयी की है, इसके अनुसार जब महाराजा दशरथ ने प्रभु श्री राम को राज पाट सौंपने का निर्णय लिया तब महारानी कैकेयी नाराज होकर कोप भवन में बाल खोलकर बैठ गईं। पुराणों के अनुसार खुले बाल नकारात्मकता को दिखाते हैं और क्रोध का प्रतीक माने जाते हैं।

एक और पौराणिक कथा महाभारत काल से जुड़ी है। महाभारत में द्रौपदी पर दुर्सासन द्वारा हमला किया गया और उसे शर्मिंदा किया गया था और उन्हें बालों से घसीटा गया था। इस प्रकार, खुले बाल क्रोध या आक्रोश से जुड़े माने जाते हैं और मंदिर में बाल खोलकर प्रवेश करना महिलाओं के क्रोध का प्रतीक माना जाता है।

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खुले बालों में की गई पूजा भगवान को स्वीकार्य नहीं होती है

how can women enter at temple

शास्त्रों के अनुसार कोई भी पूजा-पाठ और शुभ काम यदि महिलाएं बाल खोलकर करती हैं, तो उनकी पूजा पूर्ण रूप से स्वीकार्य नहीं होती है। महिलाओं के बाल खोलकर की गई पूजा को देवता भी स्वीकार नहीं करते हैं और नाराज हो सकते हैं, जिससे घर में दुर्भाग्य आ सकता है।

ज्योतिष की मानें तो खुले बालों में कोई भी नकारात्मक ऊर्जा जल्दी प्रवेश करती है और इसे ईश्वर का अपमान भी माना जाता है। यही वजह है कि महिलाओं को हमेशा मंदिर में बाल बांधनेके साथ सिर ढककर प्रवेश करने की सलाह दी जाती है, जिससे कोई बुरी शक्ति का प्रवेश मनमस्तिष्क में न हो सके।

यदि आप शास्त्रों की मानें तो बाल बांधना और ढककर मंदिर में प्रवेश करना श्रद्धा, सम्मान और भक्ति का प्रतीक है, इसी वजह से महिलाओं के बाल खोलकर मंदिर में प्रवेश करने की मनाही होती है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

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Image Credit: freepik.com

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