जब भी हम भोलेनाथ के मंदिर जाते हैं अक्सर दादी और नानी हमें नंदी के कान में मनोकामना कहने को कहती हैं। उनका कहना है कि शिवजी के वाहन नंदी के कान में कही गई बात पूरी हो जाती है। क्या सच में ऐसा होता है? भगवान शिव को न कहकर नंदी से मनोकामना करने का क्या कारण है? अगर आपके मन में भी यही सवाल आ रहे हैं, तो आज हम इस लेख में आपके हर सवाल का जवाब देंगे। नंदी और शिवजी का क्या संबंध है? इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए हमने जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से बातचीत की उन्होंने बताया कि इसके पीछे कई धार्मिक कारण है।
नंदी के कानों में क्यों कही जाती है मनोकामना
पंडित जी के अनुसार भगवान शिव ने नंदी को यह वरदान दिया जो तुम्हारे कान में आकर अपनी मनोकामना कहेगा उसकी हर इच्छा पूरी होगी। जब भी आप भोलेनाथ के मंदिर जाए तो वहां नंदी के कानों में अपनी इच्छाएं जरूर कहें। इसके बाद ये जरूर बोलें नंदी महाराज हमारी मनोकामना को जरूर पूरी करें।
शिवजी से मिला वरदान
एक ऋषि को खेत में एक बालक मिला था, जिसे वह घर ले लाएं और उसका नाम नंदी रखा। कुछ समय बाद ऋषि के घर कुछ सन्यासी आएं, उन्होंने बालक को देख कहा कि इसकी आयु लंबी नहीं है, कुछ ही समय बाद इसकी मौत हो जाएगी। नंदी ने यह बात सुन ली, जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की। हजारों सालों के इस घोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने नंदी को अमर होने का वरदान दिया था। साथ ही उन्हें अपने वाहन के रूप में सदैव रखने का वचन दिया। तब से ही वह नंदी के रूप में शिवजी के साथ रहते हैं।
भोलेनाथ और नंदी का संबंध
मान्यता है कि भगवान शिव अपनी तपस्या में लीन रहते थे। उनकी तपस्या भंग न हो इसलिए नंदी हमेशा तैनात रहते हैं। इसलिए मंदिर के बाहर या शिवजी की मूर्ति के सामने नंदी की मूर्ती स्थापित रहती है।(प्रसिद्ध शिव मंदिर)
कान में मनोकामना कहने का सही नियम
ग्रंथों के अनुसार नंदी के कान में मनोकामना कहने के नियम होते हैं। ऐसे में नियम का पालन जरूर करना चाहिए।
नंदी के कान में इच्छा बोलने से पहले नंदी की पूजा करना चाहिए। पूजा-पाठ करने के बाद अपनी मन की इच्छा नंदी के बाएं कान में कहें। मन की बात बोलने से पहले नंदी को फल या मिठाई का भोग लगाएं। ध्यान रखें कि आपकी मनोकामना कोई और न सुन पाए साथ ही अपने लिप्स को एक हाथ से ढक लें। दूसरे हाथ से नंदी का दाएं कान को ढक दें। इसे आपकी मनोकामना भगवान शिव तक पहुंच जाएगी।
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किसी के लिए गलत मनोकामना न मांगे
नंदी के कान में कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति के लिए बुरा न बोले न ही किसी इंसान के नुकसान की मनोकामना जाहिर करें। जिससे भोलेनाथ नाराज हो सकते हैं।
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क्रोध में न करें मन की बात
नंदी के कान में कभी भी क्रोध में मनोकामना नहीं करनी चाहिए।(शिवलिंग का महत्व)
भोलेनाथ की पूजा के बाद इस तरह करे नंदी की पूजा
भगवान शिव की पूजा करने के बाद नंदी की पूजा जरूर करें। उनकी पूजा हमेशा दीप जलाकर करनी चाहिए। कहा जाता है कि नंदी की आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
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