हमारे देश में शादी को लेकर न जानें कितने रस्में प्रचलित हैं। इन सभी का अपना अलग महत्व है और इससे जुड़ी कोई न कोई मान्यता है जो सदियों से चली आ रही है। दुल्हन की हल्दी से लेकर विदाई तक सभी रस्मों का अपना अलग महत्व है।
शादी की कुछ ऐसी ही रस्मों में से है दुल्हन का नए घर में प्रवेश। दूल्हे के घर में दुल्हन का प्रवेश बहुत ख़ास होता है और इससे जुड़ी हुई कई प्रथाएं हैं जिनका हिन्दू धर्म में अलग ही मतलब है।
दुल्हन के घर से विदाई की रस्म के बाद सबसे प्रमुख प्रथा नई दुल्हन का उसके नए घर में प्रवेश करना ही माना जाता है। विदाई में चावल उछाल कर मायके की समृद्धि की कामना करने वाली दुल्हन जब दूल्हे के घर में पहली बार प्रवेश करती है तब चावल का कलश पैरों से गिराने के साथ वो कुमकुम से भरे बर्तन में पैर रखकर कुमकुम के निशान बनाती हुई प्रवेश करती है। आइए नारद संचार के ज्योतिष अनिल जैन जी से जानें कि यह रस्म क्यों की जाती है और इसका हिंदू शादियों में क्या महत्व है।
नई दुल्हन गृह प्रवेश के समय कुमकुम से क्यों बनाती है पैरों के निशान?
हिन्दू शादियों में दुल्हन का नए घर में प्रवेश बहुत शुभ माना जाता है और उसका प्रवेश कुमकुम भरे थाल में पैर रखकर होता है। ऐसा माना जाता है कि नई दुल्हन विवाह के समय माता लक्ष्मी का रूप होती है और उसका घर में कुमकुम के चिह्नों के साथ प्रवेश करना ऐसा माना जाता है कि दुल्हन के साथ माता लक्ष्मी का आगमन घर में हो जाता है।
लाल रंग को बेहद शुभ और लक्ष्मी के आगमन का रंग माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि थाली में कुमकुम को रखकर दुल्हन (दुल्हन को बुरी नजर से बचाने के टोटके)के गृह प्रवेश करने से हमेशा घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
दुल्हन के गृह प्रवेश से जुड़ी रस्में
दुल्हन के गृह प्रवेश के दौरान कई रस्में होती हैं जिसमें सबसे पहले दूल्हे की मां नववधु को तिलक लगाती है। इसके बाद दुल्हन दाहिने पैर से चावल के कलश(धन के लिए चावल के उपाय )को नीचे गिराकर एक कुमकुम से भरी थाली में पैर रखकर आगे बढ़ती है और पैरों के निशान बनाते हुए भीतर आती है।
इन सभी रस्मों का अलग महत्व है और इन्हें दुल्हन के प्रवेश के साथ घर के लिए भी शुभ माना जाता है। इन सभी रीति-रिवाजों का पालन घर की समृद्धि के लिए बहुत ही अच्छा संकेत माना जाता है। ज्योतिष में भी सभी रस्मों का पालन करना विवाहित जोड़े के जीवन में कुशलता बनाए रखने में मदद करता है।
इसे जरूर पढ़ें: क्यों हिंदू धर्म में बिना मंडप के संपन्न नहीं हो सकती है शादी, जानें इसका खास महत्व
दुल्हन के गृह प्रवेश के दौरान चावल का कलश गिराने की रस्म
जब दुल्हन पहली बार दूल्हे के घर में प्रवेश करती है तो वह चावल से भरे कलश को दाहिने पैर से गिराती है। इस रस्म में कलश इस तरह गिराया जाता है कि चावल घर के भीतर गिरे। ऐसी मान्यता है कि नई दुल्हन माता लक्ष्मी और अन्नपूर्णा स्वरूपा होती है, जिससे उसका प्रवेश घर में कभी भी अन्न धन की कमी नहीं होने देता है।
इसके साथ ही, नई दुल्हन नए घर के कई नए रीति रिवाजों का पालन करने का संकल्प लेती है, जो इस रस्म से जुड़ा होता है। चावल से भरे बर्तन को हमेशा से समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि जब दुल्हन अपने दाहिने पैर से चावल से भरे बर्तन को घर के भीतर धक्का देती है तो यह घर में समृद्धि और भाग्य का प्रतीक मानी जाती है।
इसे जरूर पढ़ें: दुल्हन के गृह प्रवेश के वक्त होती है 'चावल से भरा कलश' गिराने की रस्म, पंडित जी से जानें महत्व
शादी की कई रस्मों में से ख़ास नई दुल्हन के प्रवेश की यह रस्म वास्तव में बहुत ख़ास होती है और इसे घर की सुख समृद्धि के लिए प्रमुख माना जाता है।
अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Recommended Video
Image Credit: shutterstock com, freepik.com
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों