क्यों हिंदू धर्म में बिना मंडप के संपन्न नहीं हो सकती है शादी, जानें इसका खास महत्व

हिंदू धर्म में निभाई जाने वाली हर रस्म और चीजों के पीछे कोई न कोई खास कारण होता है। 

  • Hema Pant
  • Editorial
  • Updated - 2022-05-27, 13:04 IST
mandap significance in hindu dharam

हिंदू धर्म में मंडप का खास महत्व है। यह वह जगह है जहां तारों की छाया में दूल्हा-दुल्हन फेरे लेकर सात जन्मों के बंधन में बंध जाते हैं। यह माना जाता है कि शुभ कार्य घरों की चार दीवारी में किया जाना चाहिए। ऐसा करने से समृद्धि आती है। इसी धारणा से मंडप अस्तित्व में आया। मंडप चार स्तंभों को जोड़कर बनाया जाता है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि 'शादी में मंडप का क्या महत्व है? क्यों इसके बगैर शादी संपन्न नहीं होती है? चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण।

वैवाहिक जीवन को दर्शाता है मंडप

mandap importance in hindu religionमंडप चार पीलर को जोड़कर बनता है। चार पीलर हिंदू धर्म में जीवन के चार चरणों को दर्शाता है। जिसमें ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास शामिल हैं। माना जाता है कि मंडप वह स्थान है जहां लड़का यानी दूल्हा अपने 'ब्रह्मचर्य' जीवन से निकलर गृहस्थ बन जाता है। यानी अब उसे घर संभालने के साथ नई जिम्मेदारियों को निभाना होगा।

वहीं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जीवन के चार अहम पहलू हैं, जिन्हें पति-पत्नी अपने जीवन में बनाए रखने की कस्में खाते हैं। इसके अलावा मडंप घर की दीवारों का भी प्रतीक है। ऐसी जगह जहां से दो लोगों का मिलन हो। इसके अलावा मंडप के बीच में अग्नि को साक्ष्य मानकर फेरे लिए जाते हैं। वेदों में अग्नि को पवित्रता और आध्यात्मिकता का प्रतीक बताया गया है।

चार तत्वों से जुड़ा है मंडप

ब्रह्मांड चार तत्वों से बना है। इसमें पृथ्वी, जल,अग्नि और वायु शामिल है। इसलिए मंडप को हिंदू धर्म में बेहद खास माना जाता है। कहा जाता है कि मंडप वह जगह है जहां पुरुष और महिला वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने का फैसला करते हैं । इसलिए बिना मंडप के शादी संपन्न नहीं होती है।

मंडप में रंगों का महत्व

what is mandapहिंदू धर्म में लाल और पीले रंग का अधिक महत्व है। इन रंगों को बेहद शुभ माना जाता है। इसलिए ज्यादातर मंडप को भी इन रंगों के कपड़े और फूलों से सजाया जाता है। साउथ इंडिया साइड मंडप को केले के पत्तों, पान के पत्तों और आम के पत्तों से बनाया जाता है।

इसे भी पढ़ें:क्यों शादी के बाद महिलाओं के लिए पायल पहनना होता है अनिवार्य, जानें इसका महत्व

मन, शरीर और आत्मा से है संबंध

मंडप में दूल्हा-दुल्हन के सामने कलश रखा जाता है। कलश में पानी भरा जाता है। माना जाता है कि कलश मानव शरीर का प्रतिनिधित्व करता है। इसका अर्थ है कि मानव शरीर में जो आत्मा है वह शुद्ध है। हिंदू धर्म में हर शुभ काम में नारियल का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए मंडप में कलश के ऊपर नारियल रखा जाता है। कलश को पांच आम के पत्तों से सजाया जाता है। नारियल दिमाग का प्रतीक है, वहीं पांच पत्ते मानव शरीर की पांच इंद्रियों की ओर संकेत करते हैं। कच्चे चावल या धान को समृद्धि, उर्वरता और धन से जोड़कर देखा जाता है। इसका मतलब है कि दूल्हा-दुल्हन के घर में हमेशा समृद्धि बनी रहेगी। उन्हें धन की कमी नहीं होगी।(हिंदू धर्म में नथ का महत्व जानें)

इसे भी पढ़ें:माथे पर हल्दी का तिलक लगाने से खुल सकता है भाग्‍य, जानें इसके फायदे

मंडप में अग्नि का है खास महत्व

हर शुभ कार्य का साक्षी अग्नि को माना जाता है। विवाह एक ऐसा कार्य है, जो जन्मों के लिए दो लोगों का मिलन कराता है। वहीं अग्नि में घी, जड़ी-बूटी और आम की लकड़ी को जलाया जाता है। शादी की सभी रस्म जैसे सात फेरे, मंगलम और सप्तपदी अग्नि कुंड से पहले होती है। ऐसा माना जाता है कि अग्नि के साथ निभाई गई सभी रस्में धर्म से जुड़ी होती हैं। साथ ही अग्नि के सामने किए गए वादे और कस्में दूल्हा-दु्लहन को उनके वैवाहिक जीवन की जिम्मेदारियों से बाधंने का काम करते हैं।(मेहंदी की रस्म क्यों की जाती है?)

उम्मीद है कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा। इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं और जुड़े रहें हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।
Image Credit: Unsplash
HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP