दुल्हन के गृह प्रवेश के वक्त होती है 'चावल से भरा कलश' गिराने की रस्म, पंडित जी से जानें महत्व

शादी के बाद दुल्‍हन का गृह प्रवेश होता है बेहद खास। जानें क्‍या होता है इसका महत्व और प्रक्रिया। 

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हिंदू धर्म में विवाह को 4 महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक माना गया है। इसलिए इससे जुड़ी कई विधियां होती हैं। शादी से पहले, शादी के दौरान और शादी के बाद भी कई रीति-रिवाज होते हैं ,जिनके पूरे होने के बाद ही शादी संपन्न होती है। आज हम आपको शादी के बाद होने वाली एक महत्‍वपूर्ण रस्म के बारे में बताएंगे।

आप सभी ने दुल्हन के गृह प्रवेश के बारे में सुना होगा। आप में से जो महिलाएं विवाहित हैं, उन्हें इस रस्म को अदा करने का अवसर भी प्राप्त हुआ होगा। आज हम आपको बताएंगे कि यह रस्म क्यों निभाई जाती है।

इस बारे में हमारी बात भोपाल के ज्योतिषाचार्य एवं पंडित विनोद सोनी से हुई है। वह कहते हैं, 'बहू को देवी लक्ष्मी जी का स्वरूप माना गया है। ऐसे में दुल्‍हन के गृह प्रवेश को शुभ बनाने के लिए यह रस्म निभाई जाती है।'

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क्या है इस रस्म का महत्व

चावल भरे कलश को गिराने की रस्म प्राचीन काल से चली आ रही है। इसका महत्व समझाते हुए पंडित जी कहते हैं, 'चावल को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है और यह प्रतीक होता है कि स्थिरता का। इसलिए कलश में चावल भरा जाता है। जब सीधे पैर से दुल्हन इस कलश को गिराती है और चावल फर्श पर बिखर जाते हैं, तब ऐसा माना जाता है घर में जीवनभर के लिए सुख-समृद्धि बिखर गई है।'

यह रस्म यहीं खत्म नहीं होती है, बल्कि दुल्हन को उसके बाद एक रस्‍म और निभानी पड़ती है। पंडित जी बताते हैं, 'हम दिवाली में जब लक्ष्मी पूजन की तैयारी करते हैं, तो देवी लक्ष्मी के पैरों को घर के प्रवेश द्वार से लेकर पूजा स्थल तक बनाते हैं। इसी तरह जब दुल्हन का गृह प्रवेश (गृह प्रवेश के वक्‍त इन बातों का रखें ध्‍यान) होता है तब एक परात में सिंदूर को घोल दिया जाता है और दुल्‍हन को उसमें पैर रख कर प्रवेश द्वार से मंदिर तक चलना पड़ता है।'

एक समय था जब फर्श पर ही दुल्‍हन के पैरों के निशान बनवा दिए जाते थे, मगर साफ-सफाई के दौरान यह निशान मिट जाते थे। अब लोग सफेद कपड़े पर यह दुल्हन के पैरों के निशान बनवा कर उस कपड़े को सहेज कर रखते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि जहां-जहां दुल्हन के पैर पड़ते हैं, घर में वहां-वहां सुख-शांति छाई रहती है।

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इस रस्म के बाद क्या होता है?

दुल्हन के गृह प्रवेश की रस्म काफी लंबी होती है। इसमें छोटी-छोटी कई रस्म होती है। जैसे- दुल्हन के प्रवेश द्वार पर पहुंचते ही उसे पानी पिलाने की रस्म होती है। वहीं दुल्‍हन के द्वारा घर के नौकरों को उपहार देने की रस्म होती है, जिससे घर पर शनि देव की यदि टेढ़ी दृष्टि है, तो उसका प्रभाव कम होता है।

इसके बाद दुल्‍हन का जब गृह प्रवेश हो जाता है, तब उसे घर की कुंवारी लड़कियों को धन या उपहार देना होता है। यह प्रतीक होता है कि घर में देवी लक्ष्मी का प्रवेश हुआ है, जो अपने साथ धन और संपदा लेकर आई है।

हालांकि, वर्तमान समय में जिस तरह से महिलाओं के साथ अपराध बढ़ रहे हैं और घरेलू हिंसा हो रही है, उस आधार पर कहा जा सकता है कि इस रस्म के वास्तविक महत्व को लोग भूलते जा रहे हैं और अब यह रस्म मात्र दिखावा और मनोरंजन का विषय बन कर रह गई है।

इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताना चाहते हैं कि धर्म और शास्त्रों में दुल्‍हन को देवी लक्ष्मी का स्थान दिया गया है। इसका अर्थ यह नहीं है कि हम दुल्‍हन को धन की पोटली समझ बैठें। धर्म और शास्त्रों में हर महिला के सम्मान की बात बताई गई है यदि आप महिला का सम्मान करते हैं, तो देवी लक्ष्‍मी अपने आप ही प्रसन्न हो जाएंगी।

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Image Credit: Frepik, Shutterstock

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