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मौत पर ढोल-नगाड़े बजते हैं और जन्म पर सन्नाटा,क्यों राजस्थान के इस गांव में मनाई जाती है यह अजीबो-गरीब परंपरा

Satiya Community Tribes Rituals: घर में अगर कोई नया मेहमान आता है, तो हर तरफ लोग मिठाई बांटते और खुशियां मनाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि राजस्थान की सातिया समुदाय बच्चे के जन्म पर दुख और मातम मनाया जाता है। यकीनन यह सुनने में अजीब लगे, लेकिन यह सच है। नीचे लेख में जानिए क्या है यह अजीबो-गरीब परंपरा
Editorial
Updated:- 2025-11-04, 15:58 IST

Rajasthan Unique Traditions: घर में जब कोई नन्हा मेहमान आने वाला होता है, तो उसकी खुशी परिवार के लोग महीनों पहले से मनाने लगते हैं। वहीं अगर घर में किसी का निधन हो जाए, तो मातम पसर जाता है। इतना ही नहीं बल्कि आस पड़ोस में भी अगर किसी की मृत्यु हो जाती है, तो उस दौरान भी माहौल गमगीन होता है, लेकिन आपको बता दें कि राजस्थान के एक गांव में मौत पर ढोल-नगाड़े बजाए जाते हैं और जन्म पर मातम पसर जाता है। यकीनन यह पढ़ने और सुनने में बेहद अजीब लग सकता है,लेकिन यह सच है। आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि इसके पीछे के कारण और यह परंपरा कहां मनाई जाती है।

राजस्थान में कहां मनाई जाती हैं यह परंपरा?

Rajasthan unique traditions

यह परंपरा राजस्थान के बांसवाड़ा के आदिवासी बहुल इलाकों या अन्य कुछ जनजातीय समुदायों में भी किसी न किसी रूप में दिखाई देती है, जहाँ ढोल की आवाज से यह संकेत दिया जाता है कि मौत पुरुष की हुई है या महिला की। हालांकि, सातिया समुदाय की जन्म और मृत्यु को लेकर यह उलटी मान्यता इसे सबसे अनोखी बनाती है।

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सातिया समुदाय जन्म पर मनाते हैं मातम?

Why Satiya tribe mourns birth

सातिया समुदाय के लोग बच्चे के जन्म पर अनोखी परंपरा बनाई जाती हैं। जन्म होने के बाद शोक या मातम मनाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे मानते हैं कि जन्म लेना आत्मा के लिए दुखद है। भारतीय दर्शन की मोक्ष की अवधारणा से मिलती-जुलती इनकी मान्यता है कि आत्मा का असली लक्ष्य जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाना है। जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तो इसका मतलब है कि आत्मा को फिर से दुनिया के दुखों, तकलीफों और बंधनों के चक्र में आना पड़ा है, इसलिए उस समय घर में सन्नाटा पसरा रहता है।

मौत पर ढोल-नगाड़े और जश्न क्यों?

Satiya community rituals

वहीं अब सवाल आता है कि घर में किसी व्यक्ति के निधन पर उससे बिछड़ने का दुख होता है। अब ऐसे में जब वह किसी व्यक्ति की मृत्यु की खबर सुनता है, तो वह दुखी होता और रोने लगता है। वहीं इस समुदाय में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो वह ढोल-नगाड़े बजाने लगते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आत्मा की मुक्ति माना जाता है। इस समुदाय के अनुसार, मृत्यु का अर्थ है आत्मा को दुखों से भरे जीवन के बंधनों से हमेशा के लिए आजादी मिलना। इसलिए, यह समुदाय मृत्यु को एक उत्सव के रूप में मनाता है। इस मौके पर ढोल-नगाड़े बजाए जाते हैं, नाच-गाना होता है और कई बार तो चिता की आग बुझने तक जश्न चलता है। मृत्यु को मोक्ष की प्राप्ति मानकर, वे दिवंगत आत्मा की यात्रा का स्वागत करते हैं।

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