जहां एक तरफ हमारा देश विज्ञान और तकनीक के साथ विकसित देशों को टक्कर दे रहा है। वहीं, दूसरी तरफ देश में ऐसी प्रथाएं भी प्रचलित हैं जिनके बारे में सुनकर हैरानी ही नहीं होती बल्कि, रौंगटे भी खड़े हो जाते हैं। जी हां, आज हम एक ऐसी ही परंपरा के बारे में बात करने जा रहे हैं जो लगभग 300 साल पुरानी है और इस 300 साल पुरानी परंपरा का भार एक समुदाय की महिलाओं के कंधे पर है। लेकिन, कहानी सिर्फ परंपरा की नहीं है, बल्कि उससे कई ज्यादा गंभीर है जो आपके रौंगटे भी खड़ी कर सकती है।
यहां हम उस समुदाय की बात करने जा रहे हैं जिसकी औरतें सालों से अपना घर में चूल्हा जलाने के लिए देह व्यापार करने को मजबूर हैं। यह बात आप शायद हजम भी कर जाएं, पर क्या आप यह सोच सकते हैं कि घर के पुरुष ही अपनी बहन-बेटी के लिए ग्राहक लाते हैं। यह सुनकर शायद आपके रौंगटे जरूर खड़े हो गए होंगे, लेकिन यह सच है। भारत में बेड़िया नाम की एक जनजाति है, जिसकी महिलाएं सालों से देह व्यापार के दलदल में फंसी हैं।
डिजिटल युग में जहां हम इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक पर बेबाकी से महिलाओं को अपने विचार रखती और उन्हें जिंदगी में उतारते दिखती हैं, उस बीच इस बात पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल है कि एक ऐसा भी समुदाय है जिसकी महिलाएं देह व्यापार करती हैं और पुरुष घर बैठकर उस कमाई को खाते हैं। बेड़िया समुदाय या जनजाति के लिए कई तरह की कहानियां मौजूद हैं। ऐसा माना जाता है कि बेड़िया जनजाति पुराने समय में अपने नृत्य और मनोरंजन के लिए जाती थी। राजघरों और रईसों के घरों में बेड़िया समुदाय के लोग अपनी कला का प्रदर्शन करने थे, लेकिन जब यह प्रथा बंद हो गई तब से वह देह व्यापार के चंगुल में फंसे हैं।
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बेड़िया समुदाय के लोग आज मुख्य तौर पर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में रहते हैं। इस समुदाय के पुरुष काम नहीं करते हैं और आय के लिए घर की स्त्रियों पर निर्भर होते हैं। बेड़िया लड़की की अगर समुदाय से बाहर शादी हो जाती है, तो वह देह व्यापार का हिस्सा नहीं बनती है। ऐसे में अगर घर में कोई अविवाहित महिला या लड़की होती है तो पूरे परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी उसपर आ जाती है और उसे मजबूरन या जबरदस्ती देह व्यापार में धकेल दिया जाता है।
बेड़िया समुदाय के लोगों की ऐसी परंपरा है कि वह पुत्रवधु से देह व्यापार नहीं कराते हैं बल्कि, घर बेटियों से गलत काम कराते हैं। देह व्यापार के लिए लड़कियों और बेटियों को खाड़ी देशों और डांस बारों में भी भेजा जाता है। जिस समुदाय के पुरुष कोई काम या धंधा नहीं करते हैं उसमें भ्रूण हत्या जैसी कुरीति ने भी कभी जगह नहीं ली। इस समुदाय के लोग लड़कियों के पैदा होने पर जश्न मनाया करते हैं, क्योंकि वह उन्हें कमाई का जरिया समझते हैं।
परंपरा के नाम पर चल रही कुप्रथा से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन ने लड़कियों को शिक्षित करने पर बढ़ावा तो दिया है। लेकिन, आज भी जब बेड़िया समुदाय या उनके निवास स्थान के बारे में कोई सुनता है तो लोगों के मन में एक ही ख्याल आता है। 21वीं सदी में जहां एक तरफ महिलाएं अंतरिक्ष में जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ बेड़िया समाज की महिलाओं को दो वक्त की इज्जत की रोटी कमाने में मुश्किल होती है। इतना ही नहीं, समाज और समुदाय के आस-पास के लोग भी उन्हें इज्जत की नजरों से नहीं देखते हैं।
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बेड़िया समाज और इस समुदाय की महिलाओं की कहानी के साथ आपको यहां एक सवाल के साथ छोड़कर जा रहे हैं कि क्या सच में हम और हमारा समाज प्रोग्रेसिव हुआ है या फिर प्रोग्रेसिव समाज का मुखौटा पहन हम आज भी सदियों पुरानी सोच लेकर चल रहे हैं।
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Story Details Credit: Sansad Tv and DD National
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