घर में बूढ़े लोगों के साथ अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा की जाने वाली मारपीट घरेलू हिंसा का मामला माना जाता है। असल में पंजाब के चंडीगढ़ से मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक CCTV वीडियो वायरल हो रही है। जिसमें 73 साल की आशा रानी नाम की बुजुर्ग की महिला के साथ उनके वकील बेटे अंकुर वर्मा ने मार पीट की है।
सोशल मीडिया पर इसकी वीडियो वायरल हो रही है। इस मामले में पीड़िता आशा रानी ने पहले ही अपनी बेटी दीपशिखा को बताया था कि उनके बेटे अंकुर वर्मा और उनकी पत्नी सुधा उनको मारते हैं।
एएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बुजुर्ग महिला का बेटा, जो पेशे से वकील है, उसको सीसीटीवी कैमरे के सबूतों के आधार पर गिरफ्तार कर लिया गया है। सीसीटीवी वीडियो में बुजुर्ग महिला को उसके परिवार के सदस्य बेरहमी से पीटते हुए दिख रहे हैं। पीड़िता आशा रानी अपने बेटे, बेटी और बहू के साथ पंजाब के रूपनगर में रहती हैं।
This gruesome video gave me nightmares
— Swathi Bellam (@BellamSwathi) October 29, 2023
In Ropar, A son beating his mother and a grandson poring water on bed and blaming her for urinating in bed
Lawyer son was doing same to his deceased father pic.twitter.com/QRACY8AiSX
अंकुर अपनी मां को 19 सितंबर, 21 अक्टूबर और 24 अक्टूबर की सीसीटीवी वीडियो में अलग-अलग मौकों पर मुक्का और थप्पड़ मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। कई वीडियो में आशा रानी को बहु सुधा थप्पड़ मारते और पोते को उसे घसीटते हुए भी दिखाया गया।
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पुलिस ने पत्नी और बेटे के खिलाफ FIR दर्ज करने के बाद आरोपी अंकुर वर्मा को 28 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, अंकुर वर्मा के खिलाफ माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम की धारा 24 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 327, 342 और 323 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
#WATCH | Rupnagar: An elderly woman who had been beaten by his lawyer son Ankur Varma was rescued with the help of her daughter and a social organisation. The police have registered a case against Advocate Ankur Varma along with his wife and son. pic.twitter.com/KPgamnMHNI
— ANI (@ANI) October 29, 2023
भारत में घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अनुसार, घरेलू हिंसा के पीड़ित के तौर पर किसी भी महिला, 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को संरक्षित किया गया है।
भारत सरकार ने 2007 में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) पारित किया। इस अधिनियम के तहत बुजुर्ग या वरिष्ठ नागरिक आत्मसम्मान और शांति के साथ जीवन यापन कर सकेंगे।
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अधिनियम के तहत, वरिष्ठ नागरिकों के साथ शारीरिक और मानसिक शोषण को अपराध माना जाता है। इस अधिनियम के तहत, शारीरिक और मानसिक शोषण के दोषी व्यक्ति को तीन साल तक की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
इस अधिनियम का कार्यान्वयन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है, जिसमें हर एक राज्य सरकार में एक वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड होता है जो इस अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
इस अधिनियम के पारित होने के बाद, भारत में बुजुर्गों के अधिकारों और कल्याण में सुधार हुआ है। इस अधिनियम के तहत, वरिष्ठ नागरिकों को अपने बच्चों और अन्य संबंधियों से भरण-पोषण पाने का अधिकार मिला है। इसके अलावा, इस अधिनियम के तहत, वरिष्ठ नागरिकों को शारीरिक और मानसिक शोषण से भी सुरक्षा प्रदान की गई है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार के तहत आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 एक धर्मनिरपेक्ष कानून है तथा यह सभी धर्मों तथा समुदायों के लोगों को संचालित करता है। विवाहित पुत्र, पुत्रियों सहित कुंवारी बेटियों का भी यह कर्तव्य है कि वे अपने माता-पिता का भरण-पोषण करें।
नवंबर 2016 में दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने कहा था कि किसी बेटे को अपने माता पिता के घर में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है और वह केवल उनकी दया पर ही वहां रह सकता है, फिर चाहे बेटा विवाहित हो या अविवाहित।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 के तहत दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 (1) यानी साधन विहीन माता पिता का भरण पोषण आर हिन्दू दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 की धारा 20 (1), (3) लागू होता है।
भारत में वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थय सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा तथा कल्याण को बढ़ावा देने के लिए 1999 में केंद्र सरकार ने बुजुर्गों के लिए राष्ट्रीय नीति पेश किया। इस नीति में 60 साल तथा उससे ऊपर के व्यक्ति को वरिष्ठ नागरिक माना गया है।
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