डिजिटल हाईवे एक ऐसा हाईवे होता हैं जहां नेटवर्क के जरिए से दूरसंचार सेवाओं, जैसे कि इंटरनेट के माध्यम से कैमरा, गाड़ी की स्पीड कंट्रोल को मापती है। यह एक महत्वपूर्ण और बुनियादी ढांचा है जो हाईवे पर होने वाले क्राइम को रोकने में मदद करता है। इसके बाद ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट और ट्रैफिक पुलिस के कंट्रोल रूम को सूचना देता है। हाईवे पर होने वाली सभी गतिविधि की जानकारी शेयर करने और संसाधनों तक पहुंचने में मदद करता है।
डिजिटल हाईवे के अलग-अलग घटक:
- डिजिटल हाईवे पर केबल डार्क फाइबर के इस्तेमाल से डिजिटल डेटा को तेजी से और कुशलता से स्थानांतरित करने में सक्षम होते हैं।
- रेडियो संकेतों का इस्तेमाल करके मोबाइल फोन और रेडियो स्टेशनों सूचना पहुंचा सकता है।
- सैटेलाइट संकेतों के इस्तेमाल से दूरस्थ क्षेत्रों में डिजिटल सेवाएं उपलब्ध करा सकता है।
- डिजिटल हाईवे भारत के लिए उपयोगी योजना माना जा सकता है।
- यह देश के किसी भी नेशनल या स्टेट हाईवे पर लगाया जा सकता है।
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डिजिटल हाईवे पर कैमरों से कैसे निगरानी बढ़ सकती है?
सभी हाईवे, एक्सप्रेसवे पर एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम' लागू हो सकता है, नियम तोड़ने पर वाहन मालिक को सीधे ई-चालान भेजा जा सकता है। असल में केंद्र सरकार ने देशभर के समस्त नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे का डिजिटलीकरण करने का फैसला किया गया है। इसके तहत हाईवे पर निगरानी करने के प्रोसेस, घटना का पता लगाने, वाहनों की रफ्तार मापने और इंफोर्समेंट विभाग के प्रोसेस के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।
इसमें वीडियो रिकॉर्डिंग की मदद से इंफोर्समेंट एजेंसियां यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले कार मालिकों को सीधे ई-चालान भेज सकेंगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 10 अक्टूबर को इस मामले पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय के एक सिनियर ऑफिसर ने बताया कि सभी राजमार्गों व एक्सप्रेस-वे पर 'एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम' (एटीएमएस) लागू किया जाएगा।
हाईवे पर क्या लगेंगे तकनीक?
- ट्रैफिक मॉनिटरिंग कैमरा सिस्टम (टीएमसीएस)
- वीडियो इंसीटेंड डिटेक्शन एवं इनफसमेंट सिस्टम (वीआईडीईएस)
- व्हीकल स्पीड डिस्प्ले सिस्टम (वीएएसडीएस)
- मोबाइल रेडियो कम्युनिकेशन जैसे आधुनिक कैमरे लगने हैं।

डिजिटल हाईवे पर कैमरों की निगरानी से हिट एंड रन केस में दोषियों को पकड़ा जा सकेगा
इस आधुनिक सिस्टम से हिट एंड रन केस में दोषियों को पकड़ा जा सकेगा। उनकी और वाहन की पहचान तकनीक की मदद से दर्ज किया जा सकता है। इतना ही नहीं दिन भर में कितने श्रेणी के वाहन हाईवे पर गुजरे हैं इसकी गणना संभव हो सकती है। 20 घंटे में घटनाओं का पता लगाया जा सकता है। तेज रफ्तार वाहनों पर रोक लगाया जा सकता है और उनका ऑनलाइन ई-चालान हो किया जा सकता है। दुर्घटना होने पर एंबुलेंस, क्रेन, रिकवरी वैन और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच सकती है।
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डिजिटल हाईवे पर जगह-जगह कंट्रोल रूम
अधिकारी ने बताया कि एटीएमएस सिस्टम यानी एडवांस्ड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम को संचालित करने के लिए हाईवे पर जगह-जगह 'कमांड एंड कंट्रोल के तौर पर व्यवस्था हो सकती है। इनसे हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर यातायात की ऑनलाइन निगरानी हो सकेगी। इसके साथ ही ट्रैफिक जाम, डायवर्सन, सड़क दुर्घटना आदि की जानकारी मिल सकेगी। आपको बता दें, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी (NCRB) के मुताबिक साल 2021 में सड़क दुर्घटनाओं में 1.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है। वहीं सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री के मुताबिक भारतीय सड़क दुर्घटना मामले में, हर दिन 415 लोगों की मौतों के साथ कई घायल हुए हैं, जिसे कोविड-19 से भी अधिक गंभीर बताया गया है।
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