(significance of burning kalawa diya) सनातन धर्म में रोजाना सुबह और शाम में दीपक जलाना का विशेष नियम और महत्व है। किसी भी पूजा आराधना में बिना दीपक के पूजा को अधूरा माना जाता है। वहीं किसी भी तीर्थ स्थानों पर जाते हैं, तो दीपदान करना बहुत खास होता है। मंदिरों में रोजाना दीपक के जरीए भगवान की आरती और वंदनी की जाती है।
अब ऐसे में अगर घर में बत्ती खत्म हो जाए या फिर अगर आप दिन के हिसाब से दीपक जलाते हैं, तो लाल धागे की बत्ती बनाकर जलाई जाती है। इसका क्या महत्व है और किस दिन लाल बत्ती का दीपक यानी की मौली का दीपक जलाना चाहिए। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
जानें क्या है दीपक जलाने का धार्मिक महत्व
प्राचीन काल से ही हर शाम घर की चौखट पर दीपक जलाना की परंपरा चली आ रही है। इससे हर जगह सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिसका मुख्य स्त्रोत सूर्यदेव हैं और उनके दीपक की बत्ती से निकलने वाले प्रकाश को वेदों में अग्नि और सूर्य का तत्व माना गया है। वहीं देवी-देवताओं की पूजा में दीपक जलाने का विशेष महत्व है। अगर आप विधि-विधान से पूजा नहीं कर पाते हैं, तो भगवान के सामने सिर्फ दीपक जलाकर भी पूजा किया जा सकता है। दीपक से आरती की जाती है। इसके बाद ही पूजा को संपूर्ण माना जाता है।
कलावे की दीपक जलाने का महत्व
कलावे की बत्ती बनाकर दीपक जलाना भी बहुत शुभ माना जाता है। इससे मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इतना ही नहीं अगर बत्ती खत्म हो गई है, तो कलावे को काटकर उसकी बनाकर दीपक जलाने का महत्व है। इससे घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है और पूजा भी संपूर्ण माना जाता है।
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हनुमान जी के सामने जलाएं कलावे का दीपक
अगर आप मंगलवार (मंगलवार मंत्र) के दिन हनुमान जी की पूजा कर रहे हैं, तो उनके समक्ष कलावे की बत्ती बनाकर दीपक जलाएं। इससे मंगल दोष (मंगल दोष उपाय) से छुटकारा मिल सकता है और पवनपुत्र की कृपा भी बनी रहती है।
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दीपक जलाने के दौरान मंत्र जाप
हिंदू धर्म में हर मांगलिक कार्य के लिए मंत्र बताए गए हैं। कोई भी शुभ कार्य करने के दौरान इन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। वहीं दीपक जलाने के दौरान इस मंत्र को जरूर बोलना चाहिए।
दीपो ज्योति परंब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते।।
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।।
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