Maha Kumbh 2025: क्या संगम में आधी नग्न अवस्था में ही लगानी चाहिए डुबकी?

जहां एक ओर करोड़ों लोग अब तक महाकुंभ में स्नान या अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त कर चुके हैं तो वहीं, दूसरी ओर अभी भी कई लोग अमृत स्नान या सामान्य स्नान के लिए महाकुंभ पहुंच रहे हैं। 
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प्रयागराज महाकुंभ बस अपने अंतिम चरण की ओर चल रहा है। 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन पांचवां और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन आखिरी छठवां अमृत स्नान किया जाएगा। 144 साल बाद लगे इस महाकुंभ में आस्था और भक्ति की डुबकी लगाने रोजाना लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। जहां एक ओर करोड़ों लोग अब तक महाकुंभ में स्नान या अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त कर चुके हैं तो वहीं, दूसरी ओर अभी भी कई लोग अमृत स्नान या सामान्य स्नान के लिए महाकुंभ पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि त्रिवेणी संगम पर क्यों अर्ध नग्न होकर ही डुबकी लगानी चाहिए और क्या है इसके पीछे का महत्व।

आखिर क्यों आधी नग्न अवस्था में ही लगानी चाहिए संगम पर डुबकी?

पौराणिक कथा के अनुसार, नदी के रूप में मां गंगा भगवान शिव के अंतर्गत आती हैं, मां यमुना भगवान विष्णु के आधीन हैं और मां सरस्वती ब्रह्म देव के अंतर्गन हैं। यानी कि संगम पर तीनों नदियों का होना त्रिदेवों के वास को स्थापित करता है।

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शास्त्रों में ऐसा कहा जाता है कि मनुष्य के शरीर का मन भगवान विष्णु हैं, नेत्र भगवान शिव हैं और बुद्धि ब्रह्मा हैं। ऐसे में त्रिदेवों की कृपा पाने और शरीर के तीनों हिस्सों में त्रिदेवों का वास बनाये रखने के लिए उपरी भाग को नग्न रखकर डुबकी लगानी चाहिए।

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ऐसा माना जाता है कि शरीर के ऊपरी भाग पर बिना कोई वस्त्र धारण किये हुए संगम में स्नान करने से शरीर के तीनों अंग न सिर्फ सांसारिक तौर पर बल्कि आध्यात्मिक तौर पर भी जागृत रहते हैं और व्यक्ति को सन्मार्ग की ओर ले जाते हुए मोक्ष प्राप्त कराते हैं।

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हालांकि अर्ध नग्न अवस्था पुरुषों के लिए अलग और महिलाओं के लिए अलग वर्णित है। शास्त्र अनुसार, पुरुषों को संगम पर स्नान करते समय ऊपरी भाग को खुला छोड़ना चाहिए और नीचे कोई भी एक वस्त्र पहन सकते हैं, जबकि महिलाए सूती वस्त्र धारण कर स्नान कर सकती हैं।

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शास्त्रों में बताया गया है कि कोई भी एक सूती वस्त्र धारण करते हुए संगम में महिलाओं द्वारा स्नान करना अर्ध नग्न अवस्था में होना ही माना गया है। इसके अलावा, इस बात का भी ध्यान रखें कि संगम में स्नान करते हुए भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु और ब्रह्म देव का भी ध्यान करें।

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image credit: herzindagi

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