प्रयागराज महाकुंभ अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है। महाकुंभ में अमृत स्नान की अब बस दो ही तिथियां बची हुई हैं, एक माघ पूर्णिमा यानी कि 12 फरवरी, दिन बुधवार और दूसरी महाशिवरात्रि यानी कि 26 फरवरी, दिन बुधवार। जहां एक ओर महाकुंभ में अमृत स्नान करना बहुत उत्तम और मोक्षदायी माना जाता है वहीं, दूसरी ओर शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि महाकुंभ में किसी भी व्यक्ति को जाकर तीन सेवाएं अवश्य देनी चाहिए। इससे न सिर्फ व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है बल्कि उसके जीवन एवं घर से दरिद्रता-तंगी आदि चली जाती है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
महाकुंभ में करें संत सेवा
महाकुंभ में संतों का जमावड़ा लगा हुआ है। अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संत आये हुए हैं। ऐसे में महाकुंभ में जाकर साधु-संतों की सेवा करें या उनसे आध्यात्म के विषय पर बात करें। हां, इस बात का ध्यान रखें कि वास्तविकता में जो संत है उन्हें पहचाने और उनकी किसी न किसी माध्यम से सेवा करें। किसी भी साधु-संत का उपहास न उड़ाएं, विशेष रूप से हठ योग करने वाले साधुओं का।
महाकुंभ में करें अन्न सेवा
महाकुंभ में जाकर चाहे तो किसी एक व्यक्ति को या फिर जितनी आपकी क्षमता हो उतने लोगों को अन्न जरूर खिलाएं। निशुल्क अन्न सेवा अवश्य करें। ऐसा नहीं है कि आपको कोई बड़ा भोग आयोजित करना है। आप चाहें तो किसी एक व्यक्ति को 2 रोटी और सब्जी भी खिला सकते हैं। यह भी अन्न सेवा ही कलाएगी। शास्त्रों में वर्णित है कि अन्न सेवा करने से घर में धन-धान्य बना रहता है।
महाकुंभ में करें जीव सेवा
महाकुंभ में जीव सेवा करना भी बहुत पुण्यकर माना गया है। महाकुंभ क्षेत्र में या फिर प्रयागराज में भी अगर आपको कोई जीवा दिखाई दे, जैसे कि गौ माता, कुत्ता, पक्षी आदि तो उन्हें पानी पिलाने या खाना खिलाने की सेवा करें। कोई जीव बीमार है तो उसका उपचार कराने की सेवा करें। इससे भगवान शिव समेत सभी देवी-देवता शीघ्र ही प्रसन्न हो जाएंगे और आप पर भरपूर कृपा बरसेगी।
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महाकुंभ में करें आराम सेवा
महाकुंभ में हम सभी जानते हैं कि लोगों को कई-कई किलोमीटर तक चलना पड़ रहा है। ऐसे में अगर आप आराम सेवा देते हैं यानी कि लोगों के लिए बिस्तर देने का काम करते हैं या उनके लिए बैठने की व्यवस्था करते हैं तो ऐसे में आपको इसका बहुत पुण्य प्राप्त होगा। इस बात का ध्यान रखें कि सेवा का अर्थ ही है धन रहित, ऐसे में किसी भी सेवा के बदले धन न लें। अन्यथा वह सेवा व्यर्थ है।
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