Sakat Chathurthi Ki Vrat Katha: सकट चौथ, जिसे तिलकुट चौथ भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत मुख्यतः महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं। यह व्रत मां के उस अटूट प्रेम का प्रतीक है जो वह अपने बच्चे के लिए करती है। इस दिन गणेश जी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। मान्यता है कि गणेश जी बुद्धि और विघ्नहर्ता हैं, इसलिए उनकी पूजा से बच्चे की बुद्धि का विकास होता है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। वहीं इस साल सकट चौथ 17 जनवरी को पड़ रही है। ऐसे में इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ भी जरूरी माना गया है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं सकट चतुर्थी की व्रत कथा के बारे में।
सकट चौथ की पहली व्रत कथा यह है कि एक अबर माता पार्वती ने अपने मैल से एक बालक का निर्माण किया जिसे विनायक नाम दिया। उस बालक को द्वार पर खड़ा कर माता पार्वती स्नान के लिए चली गईं।
जब भगवान शिव वहां आए तो बालक विनायक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया तब क्रोध में आकर शिव जी ने उस बालक का शीश धड़ से अलग कर दिया। इसका पता जब माता पार्वती को चला तो वह बहुत क्रोधित हो गईं और रौद्र रूप धारण कर लिया।
तब भगवान शिव ने हाथी का शीश विनायक के धड़ पर लगाया और उन्हें दोबारा जीवित किया। गज मस्तक होने के कारण माता पार्वती के यह पुत्र गजानन यानी कि श्री गणेश कहलाये। जिस दिन यह घटना हुई उस दिन माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि थी।
इसलिए संतान की उन्नति के लिए सकट चौथ यानी कि सकट चतुर्थी के दिन श्री गणेश की पूजा के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा भी की जाती है और इस दिन माताएं अपने बच्चों के लिए व्रत करती हैं।
एक नगर में एक बुजुर्ग माता हुआ करती थीं जिनका एक बेटा और बहु थे। बूढी अम्मा को आंखों से दिखता नहीं था लेकिन वह परम गणेश भक्त थीं। एक बार उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर उन बूढ़ी अम्मा को गनेह्स जी नेदार्ष्ण दिए और से वर मांगने को कहा।
हालांकि बूढ़ी अम्मा को गणेश जी दिखाई तो नहीं दिए लेकिन वह उनकी उपस्थिति महसूस कर पा रही थीं। जब गणेश जी ने बूढ़ी अम्मा से वरदान मागने को कहा तब बूढ़ी अम्मा ने गणेश जी से वरदान में सिर्फ औ सिर्फ उनकी भक्ति ही मांगी।
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यह देख गणेश जी प्रसन्न हुए कि बूढ़ी अम्मा चाहती तो अपने घर परिवार के लिए बहुत कुछ मांग सकती थीं और अपनी आंखों की रौशनी मांग सकती थीं लेकिन उन्हेओं गणेश भक्ति को चुना। तब गणेश जी ने उन बूढ़ी अम्मा को संसार के सभी सुख प्रदान किये।
साथ ही, श्री गणेश ने उन बूढ़ी अम्मा को वरदान दिया कि उनका बेटा और बहु सदैव उनकी सेवा करते रहेंगे और उन्हें जल्दी ही पोते-पाती का सुख भी प्राप्त होगा। इसी के बाद से माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ का व्रत रखा जाने लगा।
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अगर आप भी सकट चौथ का व्रत रख रही हैं तो इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से सकट चौथ की व्रत कथा के बारे में जान लें। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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