Haqse: भारत में बिन ब्याहे जोड़ों और लिव-इन पार्टनर्स को मिलते हैं ये कानूनी अधिकार

क्या आपको पता है कि बिन ब्याहे जोड़ों के पास भारतीय कानून के हिसाब से किस तरह के अधिकार होते हैं? हमने दो अलग-अलग वकीलों से बात कर इस मामले में उनकी राय ली है। 

What are the rights of unmarried couples

भारत में जहां भी बिन ब्याहे जोड़ों की बात होती है या फिर लिव इन पार्टनर्स का जिक्र होता है अधिकतर लोगों का रिस्पॉन्स जजमेंटल हो जाता है। अगर एक गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड साथ नहीं रहते हैं और कहीं छुट्टी मनाने गए हैं, तो होटल का कमरा मिलना मुश्किल हो जाता है। अगर दोनों साथ घर लेकर लिव इन पार्टनर्स बनना चाहें, तो आसानी से उन्हें घर भी नहीं मिलता है। ऐसे कपल्स को कई मामलों में हैरेस करने का चलन भी है।

पर क्या आप जानते हैं कि अनमैरिड कपल्स के पास भी कई तरह के लीगल राइट्स होते हैं? आज Haqse सीरीज की नई कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं इन्हीं राइट्स के बारे में।

हमने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के वकील दीपक श्रीवास्तव और इंदौर हाई कोर्ट की वकील जागृति ठाकर से बात की। इन दोनों की राय के आधार पर ही इस स्टोरी में जानकारी दी गई है।

आपको पहले से ही यह बता दें कि बिन ब्याहे जोड़ों के अधिकार कुछ खास मामलों में न्यायपालिका के ऊपर भी निर्भर करते हैं। उनके बारे में हम अलग से बात करेंगे।

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सुरक्षा का अधिकार

हर इंसान को एक सुरक्षित माहौल में जीने का अधिकार है और यही अधिकार बिन ब्याहे जोड़ों को भी मिलता है। उन्हें सिर्फ उनके रिलेशनशिप स्टेट्स के आधार पर कोई भी हैरेस नहीं कर सकता है। अगर कोई आपको हैरेस कर रहा है, तो आपके पास पुलिस में शिकायत करने का भी अधिकार है। ऐसे में हैरेसमेंट का चार्ज लगाया जाएगा और कानूनी मदद आपको मिलेगी।

आपको वर्बल, फिजिकल, ऑनलाइन, मेंटल किसी भी तरह के हैरेसमेंट से सुरक्षा मिलेगी। स्टॉकिंग, साइबर बुलिंग, धमकी मिलना आदि हर चीज के लिए आप शिकायत कर सकते हैं। अगर आपका पार्टनर ही आपके साथ किसी तरह का हैरेसमेंट कर रहा है, तो भी इसके खिलाफ शिकायत की जा सकती है।

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प्राइवेसी का अधिकार

आपकी पर्सनल लाइफ में कोई भी तांका-झाकी कर रहा है या फिर आपको पड़ोसी, मकानमालिक, परिवार वाले आदि से किसी तरह का कोई खतरा है, तो आप उसके खिलाफ भी शिकायत कर सकते हैं। अगर कोई आपकी पर्सनल जानकारी बिना आपकी मर्जी के शेयर कर रहा है या फिर किसी तरह की जासूसी कर रहा है, तो आप उसके खिलाफ लीगल एक्शन ले सकते हैं।

समानता का अधिकार

भारत के हर नागरिक के पास यह अधिकार है। इसमें मैरिटल स्टेटस मायने नहीं रखता है। आपके मैरिटल स्टेटस के आधार पर कोई भी आपसे भेदभाव नहीं कर सकता है। पब्लिक जॉब, हाउसिंग, सर्विसेज आदि आपको मिल सकती हैं। हां, ऐसी कई सोसाइटीज और घर होते हैं जहां बिन ब्याहे कपल्स को रहने नहीं दिया जाता है। हालांकि, कानूनन ऐसा करना सही नहीं है। ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां किसी बिन ब्याहे जोड़े ने ऐसे भेदभाव के खिलाफ लीगल एक्शन लिया हो।

रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर लिए जा सकते हैं

भारत में रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर का चलन इतना ज्यादा नहीं है, लेकिन यह आपका अधिकार है। अगर आपको किसी से खतरा है, तो उसके खिलाफ रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर लिया जा सकता है। बतौर विक्टिम आप जज से प्रोटेक्टिव या रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर मांग सकते हैं। ऐसे में आपको हैरेस करने वाले इंसान के खिलाफ यह नोटिस जारी होगा और उसे आपके आस-पास होने का अधिकार नहीं होगा। अगर आपको वह इंसान आपके आस-पास दिखता है, तो आप तुरंत लीगल एक्शन ले सकते हैं।

रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर का पूरा प्रोसेस जानने के लिए आपको लीगल हेल्प लेनी होगी। इसे एक सुरक्षा चक्र मानिए जो सामने वाले इंसान को आपके पास आने से रोकता है।

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लीगल रिप्रेजेंटेशन का अधिकार

मान लीजिए आप अपने लिव इन पार्टनर से अलग हो गए हैं, तो आपके पास यह अधिकार होगा कि आप वकील की मदद से अपने हक की लड़ाई लड़ सकें। बतौर भारतीय नागरिक आपके पास हर तरह का लीगल राइट है। आप अपने केस को पूरी तरह से समझाने के बाद अपने अधिकारों के लिए कोर्ट जा सकते हैं।

सिविल समस्याओं से जुड़े अधिकार

मान लीजिए किसी के हैरेसमेंट के कारण आपको इमोशन या मेडिकल समस्या हो गई है। आपका आर्थिक रूप से कोई नुकसान हुआ है या फिर आपकी संपत्ति को किसी तरह का नुकसान हुआ है, तो आप ऐसी समस्याओं के लिए मुआवजे की मांग कर सकते हैं। आप किसी भी सिविल एडवोकेट से इस मामले में सलाह ले सकते हैं।

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भावनात्मक समर्थन का अधिकार

अनमैरिड कपल्स को हैरेसमेंट के कारण साइकोलॉजिकल या इमोशनल सपोर्ट की जरूरत हो सकती है। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के एक केस में भी इस तरह की बात कही गई है। ऐसे मामलों में आप काउंसलिंग और थेरेपी आदि ले सकते हैं। अगर कोई आपको रोकता है, तो आप उसके खिलाफ कानूनी शिकायत कर सकते हैं।

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न्यायपालिका के ऊपर निर्भर अधिकार

एडवोकेट दीपक के मुताबिक अब धीरे-धीरे केस दर केस बदलाव आ रहा है। उन्होंने दो ऐसे राइट्स के बारे में बात की जिन्हें अब पहचान मिल रही है। ये अधिकार आमतौर पर न्यायपालिका के ऊपर निर्भर करते हैं।

बच्चों का अधिकार

ऐसे अनमैरिड कपल्स जिनके बच्चे भी हैं उन्हें पैरेंटल राइट्स भी दिए जाते हैं। ऐसे जोड़े अलग होने के बाद कस्टडी और विजिटेशन राइट्स के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। हां, इन अधिकारों के लिए आपको लीगल एक्शन जरूर लेना होगा। कोर्ट के आधार पर ही फैसला करना होगा। चाइल्ड सपोर्ट, चाइल्ड हेल्थकेयर आदि से जुड़े अधिकार भी इसी तरह से जोड़ों को दिए जाते हैं।

विरासत का अधिकार

शादीशुदा जोड़ों को तो ऑटोमैटिक इनहेरिटेंस राइट्स मिले हुए हैं, लेकिन कई जगहों पर बिन-ब्याहे जोड़ों को यह अधिकार नहीं है। ऐसे अधिकारों के लिए एक वसीयत मान्य होती है। हालांकि, अगर पार्टनर के साथ रिश्ता काफी लंबा रहा है, तो कोर्ट में इस बात का भी ध्यान रखा जाता है।

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