युवावस्था उम्र का एक ऐसा पड़ाव है जहां बच्चों के भीतर अनेक तरह के शारारिक और मानसिक बदलाव देखने को मिलते हैं। यह ऐसा समय होता है जब बच्चों को परेंट्स के सपोर्ट की ज़रूरत होती है। इस उम्र में बच्चों को अपने से बड़े और छोटो के साथ तालमेल बिठाने में दिक़्क़त आती है। अक़्सर बच्चे अपने पेरेंट्स को अपनी बात बताने में हिचकिचाहट महूसस करते हैं। टीनएज में बच्चे थोड़े गुस्से वाले स्वभाव के भी बन जाते हैं और अलग-थलग रहने लगते हैं। जिसकी वजह से पेरेंट्स और बच्चों के बीच दूरियां बढ़ती चली जाती हैं। आप इन टिप्स की मदद से अपने बच्चे को इमोशनल हेल्प दे सकते हैं,जिससे वह अकेलापन महसूस कर कोई गलत राह न चुनें।
सभी तरह की बातों की शेयरिंग की आदत डालें
अपने बच्चे के साथ हर तरह की बातों को लेकर डिस्कशन करें। स्कूल, कॉलेज और सामजिक मुद्दों से जुड़ी बाते करें। हालांकि बच्चे आसनी से अपनी बातें पेरेंट्स या बड़ों के साथ शेयर नहीं करते। लेकिन यह सब रूटीन बेस पर करने से बच्चा धीरे-धीरे आपसे जुड़ता चला जाता है। समय-समय पर आप अपने टीन एज के किस्से भी शेयर करते रहें। आपसे इस तरह की बातें सुनकर वह भी अपनी फीलिंग्स शेयर करेगा।
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विचार व्यक्त करने की आज़ादी
पेरेंट्स, रिलेटिव्स और टीचर्स को चाहिए कि वह बच्चों को अपने विचार व्यक्त करने के आज़ादी दें। ये समाज के कुछ ऐसे लोग होते हैं जिनसे बच्चा अपने मन की बात करने की कोशिश करता है। बदले में उचित प्रतिक्रिया न मिलने पर उसका अपने बड़ों पर विश्वास कमजोर पड़ने लगता है। आप ऐसा बिल्कुल न करें बच्चे की हर बात को इत्मिनान से सुने। उसको बातों के सही गलत-परिणाम अच्छे से समझाएं। अपने नियम,कायदे, क़ानून के दायरों से बाहर आकर डिस्कशन करें ताकि बच्चा भी आपसे खुले दिल से बात कर सके।अपने बच्चों को इंडिपेंडेंट बनाने के लिए अपनाएं ये टिप्स
बच्चों की तुलना न करें
हमेशा ध्यान रखें अपने बच्चे का किसी और बच्चे से कम्पैरिजन न करें। ज़रूरी नहीं आपके बच्चे में दूसरों की जैसी योग्यता हो लेकिन उसमें विशेष गुण हो सकते हैं। बाहर वालों के सामने उसकी कमज़ोरियों को हाईलाइट न करें। ऐसा करने से वह शर्म महसूस करता है और इमोशनली आपसे दूर हो सकता है।बच्चा होने के बाद ना भूलें खुद को, कुछ ऐसे रखें अपना ख्याल
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योग और एक्सरसाइज के लिए प्रोत्साहित करें
योग और कसरत करने से हमारे शरीर के अंदर एक एंडोरफिंस नाम का हार्मोन निलकता है। जिसको हैप्पी हारमोन भी कहते हैं। यह हारमोन टीनएजर्स में स्ट्रेस को कम करता है। जिससे बच्चों में पॉजिटिव एटीट्यूड पैदा होता है और वो हमेशा इमोशनली हैप्पी रहें।
अपने बच्चे के साथ हर तरह की बातों को लेकर डिस्कशन करें। स्कूल, कॉलेज और सामजिक मुद्दों से जुड़ी बाते करें। हालांकि बच्चे आसनी से अपनी बातें पेरेंट्स या बड़ों के साथ शेयर नहीं करते। लेकिन आप यह सब यह अगर रुटीन बेस पर करती हैं तो बच्चा धीरे-धीरे आपसे जुड़ता चला जाता है। समय-समय पर अपने टीनएज के किस्से भी शेयर करती रहें। इससे वह आपसे ऐसी बातें सुनकर आपसे भी अपनी फीलिंग्स शेयर करेगा।
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