
हमारे देश में आज भी महिलाएं हिंसा का शिकार होती है फिर चाहे वह घर हो या फिर समाज हो। महिलाओं के शोषण होने का आंकड़ा मौत से भी ज्यादा है। हालांकि पहले और अब में इतना फर्क है, कि महिलाएं अपनी लड़ाई खुद लड़ सकती हैं, इसके लिए तमाम कानून बनाए गए हैं। इन कानूनों में साल 2025 में कई बदलाव किए गए हैं। इसके तहत लैंगिक समानता और सुरक्षा को केंद्र में रखते हुए सरकार और न्यायपालिका ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को केवल कागजों पर ही नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में भी सशक्त बनाना है। चाहे वह घर की चारदीवारी के भीतर सुरक्षा हो या पैतृक संपत्ति में उनका हक, कानून अब महिलाओं के पक्ष में अधिक कठोर और स्पष्ट हो गए हैं। आज के इस लेख में हम आपको साल 2025 में हुए 10 प्रमुख कानूनी बदलावों के बारे में बताने जा रहे हैं। नीचे पढ़ें-

घरेलू हिंसा से जुड़े कानूनों को अब पहले से अधिक व्यापक बना दिया गया है। 2025 के अनुसार, मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना को भी शारीरिक हिंसा के समान ही गंभीर माना जाएगा। इसके अलावा, पीड़िता को कौशल प्रशिक्षण दिलाने की जिम्मेदारी भी अब सरकार और संबंधित संस्थाओं की होगी ताकि वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके।
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सुप्रीम कोर्ट ने साल 2025 में फिर से स्पष्ट किया है कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बेटियां जन्म से ही उतनी ही हकदार हैं जितने कि बेटे। अब कोई भी पिता या भाई अपनी वसीयत में किसी भी आधार पर बेटी का हिस्सा कानूनी रूप से नहीं छीन सकता। विशेष रूप से जनजातीय समुदायों की महिलाओं के लिए भी संपत्ति अधिकारों को मजबूती दी गई है।
अदालतों ने महिलाओं को अपनी खुद की कमाई गई संपत्ति के लिए 'वसीयत' लिखने के प्रति जागरूक करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। साल 2025 के नियमों के अनुसार, यदि कोई महिला बिना वसीयत के मौत हो जाती है, तो उसकी संपत्ति के उत्तराधिकार के नियम अब उसके मायके के पक्ष में भी लचीले बनाए गए हैं, ताकि संपत्ति केवल ससुराल पक्ष तक सीमित न रहे।
साल 2025 में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (POSH) से संबंधित नियमों को और सख्त कर दिया गया है। अब निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों में इंटरनल कंप्लेंट कमेटी का होना अनिवार्य है और इसकी नियमित रिपोर्टिंग सीधे पोर्टल पर करनी होगी। देरी करने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

जुलाई 2024 से लागू हुए नए कानूनों का असर 2025 में व्यापक रूप से दिख रहा है। ऑनलाइन बुलिंग, पीछा करना और महिलाओं की निजी तस्वीरों के दुरुपयोग के खिलाफ अब जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है। इन मामलों में ऑडियो-वीडियो साक्ष्य को प्राथमिक प्रमाण माना जा रहा है।
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों, विशेषकर बलात्कार और पॉक्सो (POCSO) मामलों के त्वरित निपटारे के लिए 2025 तक देशभर में 773 से अधिक विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट्स को पूरी तरह सक्रिय कर दिया गया है। इनका लक्ष्य है कि मामले का फैसला निर्धारित समय सीमा के भीतर ही आ जाए।
कामकाजी महिलाओं के लिए मातृत्व लाभ नियमों में विस्तार किया गया है। 2025 में अब कई राज्यों में प्राइवेट सेक्टर को भी क्रेश सुविधा और फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर्स देने के लिए कानूनी रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि करियर और परिवार में संतुलन बना रहे।
वित्तीय रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, 2025 में अधिकांश राज्यों ने महिलाओं के नाम पर संपत्ति रजिस्टर कराने पर स्टैम्प ड्यूटी में भारी छूट जारी रखी है। कई राज्यों में यह दर पुरुषों के मुकाबले 2% से 3% तक कम है, जिससे संपत्ति स्वामित्व में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।

सुप्रीम कोर्ट के नए फैसलों के अनुसार, 2025 में तलाक या अलगाव की स्थिति में अंतरिम गुजारा भत्ता देने की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया है। कोर्ट अब पति की वास्तविक आय के साथ-साथ उसकी जीवनशैली का भी मूल्यांकन करता है ताकि महिला को उचित वित्तीय सहायता मिल सके।
कानून के प्रति जागरूकता की कमी को देखते हुए, 2025 में लीगल एड क्लीनिक की संख्या बढ़ाई गई है। अब कोई भी महिला अपनी आर्थिक स्थिति की चिंता किए बिना सरकारी पैनल के वकील से मुफ्त कानूनी सलाह और अदालती सहायता ले सकती है।
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