Alimony Law: शादी यानी एक ऐसा बंधन, जिसमें दो लोग एक-दूसरे का हाथ थामकर जिंदगी भर साथ चलने की कसम खाते हैं, मुश्किलों में संभालने और हर उलझन में साथ देने का वादा करते हैं और एक-दूसरे के हमसफर बन जाते हैं। लेकिन, कई बार कुछ कारणों से ये रिश्ता टूटने-बिखरने की कगार पर पहुंच जाता है और तलाक की नौबत आ जाती है। अब तलाक लेना सही है या नहीं, इस पर टिप्पणी नहीं की जा सकती है क्योंकि ये उस रिश्ते को निभा रहे दोनों लोग ही जानते हैं कि आखिर किन कारणों से उनका रिश्ता तलाक तक पहुंचा और उन्होंने उस रिश्ते को उम्र भर बेमन से निभाने के बजाय, अलग होना बेहतर समझा। जब बात तलाक और कोर्ट-कचहरी तक पहुंचती है, तो काफी मुद्दों को देख-सुन और समझकर कोर्ट तलाक पर मुहर लगाता है। इसमें तलाक के वक्त पत्नी को दिया जाने वाला गुजारा भत्ता भी एक बड़ा सवाल होता है।
बेंगलुरु में अतुल सुभाष के केस को लेकर पूरे देश में तलाक और इससे जुड़े नियमों पर बहस छिड़ गई है। अतुल सुभाष ने अपनी पत्नी के अत्याचार और तलाक के केस के फैसले में हो रही देरी से प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर ली। अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड से पहले बनाए गए वीडियो में जिक्र किया कि उनकी पत्नी निकिता ने शुरुआत में सेटलमेंट के लिए 1 करोड़ रुपये मांगे थे और बाद में 3 करोड़ की डिमांड की थी। इसके बाद, यह बड़ा सवाल खड़ा हुआ कि क्या तलाक के वक्त पत्नी, पति से कितना भी गुजारा भत्ता मांग सकता है और क्या इस मांग को पूरा करना पति की मजबूरी है, क्या इस मामले में पुरुषों के लिए कोई कानून नहीं है, चलिए लॉयर की मदद से इस विषय में आपको पूरी जानकारी देते हैं।
क्या है अतुल सुभाष केस?
कुछ वक्त पहले बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने सुसाइड कर लिया था। उन्होंने सुसाइड से पहले एक वीडियो बनाया, जिसमें बताया कि किस तरह उनकी पत्नी और पत्नी के परिवार वाले उन्हें प्रताड़ित कर रहे हैं। अतुल सुभाष डेढ़ घंटे का वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़कर गए। यह वीडियो सामने आते ही तलाक के नियमों और शादीशुदा जिंदगी में पति के अधिकारों को लेकर कई सवाल उठने लगे। इस वीडियो में अतुल ने बताया था कि उनकी पत्नी ने सेटलमेंट के लिए उनसे 3 करोड़ रुपये की मांग की है और साथ ही, वह हर महीने अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता भी दे रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया था कि उनकी पत्नी ने नाबालिग बेटे की तरफ से कोर्ट में केस किया है और उनसे हर महीने 2 लाख रुपये के गुजारे भत्ते की मांग की है। न्याय में देरी और पत्नी की प्रताड़ना से तंग आकर, अतुल ने मौत को गले लगा लिया।
क्या होता है गुजारा भत्ता?
यहां सबसे पहले सवाल यह उठता है कि आखिर गुजारा भत्ता क्या होता है। अगर इसे आसान भाषा में समझें, तो जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को उसके बेसिक खर्चों और जरूरतों के लिए कोई रकम देता है यानी उसे आर्थिक तौर पर सपोर्ट करता है, जो उसे गुजारा भत्ता यानी मेंटेनेंस कहा जाता है। इन बेसिक जरूरतों में खाना, कपड़ा, बीमारी, घर और एजुकेशन जैसी चीजें आती हैं।
हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के अनुसार, गुजारा भत्ता दो तरह का बताया गया है। एक स्थायी यानी परमानेंट गुजारा भत्ता और दूसरा अंतरिम यानी अस्थाई गुजारा भत्ता। अंतरिम गुजारा भत्ता, आवेदक को कोर्ट का फैसला आने तक मिलता रहता है। कोर्ट की कार्यवाही के वक्त शुरुआती खर्चों के लिए अगर शिकायतकर्ता के पास पैसे हीं हैं, तो यह भत्ता दिया जाता है। वहीं, तलाक के बाद मिलने वाले गुजारा भत्ता को एलिमनी या परमानेंट गुजारा भत्ता कहते हैं। यह एक फिक्स अमाउंट होता है, जो कई बिंदुओं पर विचार करते हुए कोर्ट तय करता है।
क्या तलाक के वक्त कितना भी गुजारा भत्ता मांग सकती है पत्नी?
अतुल सुभाष के केस के बाद, सभी के मन में यह सवाल जरूर उठा कि क्या पत्नी, अपने पति से कितना भी गुजारा भत्ता मांग सकती है और क्या कानून के हिसाब से पत्नी के मांग को पूरा करना, पति के लिए जरूरी है क्या इस मामले में पुरुषों के लिए कोई कानून नहीं है। इस बारे में हमने सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता कमलेश जैन जी से बात की और उन्होंने हमे बताया, "पत्नी, पति से कितना भी गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती है और अगर वह मांगती भी है, तो कोर्ट कई सारी चीजों को देखते हुए यह तय करता है कि पत्नी को कितना गुजारा भत्ता मिलना चाहिए। पति की आर्थिक स्थिति क्या है..उस पर क्या जिम्मेदारियां हैं और पत्नी कामकाजी है या नहीं, ये सारी चीजें देखते हुए ही गुजारा भत्ता तय किया जाता है।"
गुजारा भत्ता तय करते समय कोर्ट पति की आर्थिक स्थिति, उसकी कमाई और उस पर आश्रित लोगों की डिटेल्स भी देखता है। इतना नहीं ही, पत्नी और आश्रित बच्चों की जरूरते क्या हैं और उनकी योग्यता क्या है, इस पर भी कोर्ट जानकारी लेता है।
यह है एक्सपर्ट की राय
पत्नी अगर कामकाजी हो तब उसे मेंटेनेंस देने को लेकर क्या नियम है?
एक सवाल यह भी आता है कि अगर पत्नी आर्थिक रूप से सबल है यानी जॉब या बिजनेस कर रही है या फिर वह जॉब या बिजनेस करने की क्वालिफिकेशन रखती है और अपनी बुनियादी जरूरते पूरी कर सकती है और पति आर्थिक रूप से बहुत अधिक सक्षम नहीं है, तो इस कंडीशन में कोर्ट मेंटेनेस के लिए मना भी कर सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि पत्नी अगर कामकाजी है, तो उसे गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा। अगर कामकाजी पत्नी की कमाई इतनी न हो कि वह अपना और बच्चे का खर्चा उठा सके, तो इस स्थिति में वह मेंटेनेंस की हकदार है।
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क्या पति भी मांग सकता है गुजारा भत्ता?
हमने एक्सपर्ट से यह भी जानने की कोशिश की कि क्या हमारे कानून के तहत पति भी गुजारा भत्ता मांग सकते हैं और उन्होंने बताया, "हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार, पति और पत्नी दोनों एक-दूसरे से मेंटेनेंस की मांग कर सकते हैं। अगर पत्नी आर्थिक रूप से मजबूत है और पति आर्थिक तौर पर सक्षम नहीं है, तो पति भी तलाक के वक्त गुजारा भत्ता मांग सकता है। इस पर फैसला क्या होगा, यह कोर्ट तय करेगा।"
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