साइबर स्टॉकिंग शब्द का मतलब क्या है? आमतौर पर कई हाई-फाई फिल्मों में इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि यह आपकी जिंदगी का हिस्सा भी बन चुका है। किसी भी डिजिटल मीडियम पर किसी को स्टॉक करना साइबर स्टॉकिंग ही है। हो सकता है कि आप में से कई लोग इसे जरूरी ना समझें, लेकिन देश और दुनिया में बढ़ रही साइबर क्राइम की घटनाओं के कारण डिजिटल प्राइवेसी खतरे में है। आप साधारण तौर पर सोशल मीडिया पर एक फोटो अपलोड करती हैं, लेकिन वो कहां है, कब खींची गई, आप कहां हैं जैसी हर जानकारी उसके जरिए आपके स्टॉकर तक पहुंच सकती है।
हरजिंदगी की स्पेशल सीरीज साइबर स्टॉकिंग के जरिए हम आप तक ऐसी स्टोरीज पहुंचाने की कोशिश करेंगे जिनके जरिए आप अलग-अलग पहलुओं पर इससे जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकें। साइबर स्टॉकिंग के बारे में ठीक से समझने के लिए हमने साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट शुभम अजीत सिंह से बात की।
अब जब फोटो अपडेट करने से लेकर पेटीएम की मदद से दूध खरीदने और ऑनलाइन शॉपिंग करने से लेकर लाखों का लेन-देन करने जैसी सारी चीजें सिर्फ फोन के जरिए हो रही हैं, तब साइबर स्टॉकिंग के बारे में खुद को जागरूक करना बहुत जरूरी है।
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एक्सपर्ट की राय में आज के जमाने में डिजिटल फुट प्रिंट वाला कोई भी सदस्य साइबर क्राइम का हिस्सेदार बन सकता है। इससे बचने के लिए एक्टिव इंटरनेट यूजर्स को इन लक्षणों को जरूर देखना चाहिए-
बार-बार किसी अनजान से ईमेल या फ्रेंड रिक्वेस्ट आना
विक्टिम की आइडेंटिटी सोशल मीडिया या डेटिंग एप्स पर चुरा लेना
शुभम अजीत सिंह का कहना है, "एक पैटर्न देखा जाता है कि लोग अधिकतर उन्हीं विक्टिम को टारगेट करते हैं जिन्हें वो जानते हैं। अनजान लोग इंटरनेट पर फीमेल ऑडियंस को टारगेट करते हैं।"
यहां एक बात समझने वाली है कि साइबर स्टॉकिंग का रिस्क बहुत ही ज्यादा बढ़ सकता है। आप जितना सोशल मीडिया और डिजिटलाइजेशन पर निर्भर करेंगी इसका खतरा उतना ही बढ़ेगा। ऑनलाइन बुलिंग से लेकर साइबर फ्रॉड तक कुछ भी इसके अंतर्गत आ सकता है। साइबर स्टॉकिंग बहुत तरीके से की जाती है और सबसे जरूरी यह है कि आप इसके लक्षण पहचानना सीखें। साइबर स्टॉकिंग के जरिए हैरेसमेंट या एब्यूज तक बहुत कुछ हो सकता है इसलिए अगर आपको लगता है कि ऐसा कुछ हो रहा है, तो आप तुरंत इसकी शिकायत करें।
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इसकी शिकायत cybercrime.gov.in वेबसाइट पर भी की जा सकती है। साइबर क्राइम से जुड़े पोर्टल में महिलाओं और बच्चों से जुड़े साइबर क्राइम को खासतौर पर रजिस्टर किया जाता है। हालांकि, आप किसी भी तरह की शिकायत इसके जरिए दर्ज करवा सकते हैं। आपको यहां पर बिल्कुल सही डिटेल्स देनी होंगी। आपकी दी हुई डिटेल्स के आधार पर ही आपको ट्रैकिंग आईडी मिलेगी और आपको अपनी शिकायत का स्टेटस पता चलेगा।
अगर कोई इमरजेंसी होती है, तो आप स्थानीय पुलिस स्टेशन या फिर नेशनल पुलिस हेल्पलाइन नंबर 112 और नेशनल वुमन हेल्पलाइन नंबर 181 या फिर साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल किया जा सकता है।
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