मुगल काल में कई बादशाहों की हुकूमत रही है, लेकिन बादशाह शाहजहां के शासन काल को भारत के इतिहास का गोल्डन पीरियड कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शाहजहां नर्म दिल राजा था, जिसके शासन में प्रजा काफी खुश थी। साथ ही, इतिहास के पन्नों में शाहजहां का नाम कई और वजहों से फेमस है।
उनकी मोहब्बत की न सिर्फ आज भी मिसाल दी जाती है बल्कि प्यार के प्रतीक की निशानी के रूप में देखा जाने वाले आगरा के ताजमहल की गिनती दुनिया के सात अजूबों में होती है, जिसे सन 1631 से 1643 के बीच मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था।
यकीनन आप शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम कहानी से आप वाकिफ होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि शाहजहां और मुमताज महल की प्रेम कहानी कैसे शुरू हुई थी? और उनकी प्रेम कहानी का अंत कैसे हुआ? अगर नहीं तो आइए जानते हैं।
बता दें कि मुगल बादशाह शाहजहां का जन्म 5 जनवरी, 1592 को लाहौर में हुआ था। इनके माता-पिता का नाम बादशाह जहांगीर और जगत गोसाई यानि जोधाबाई था। शाहजहां ने 1628 से 1658 तक करीब 30 साल शासन किया और उन्होंने अपने शासनकाल में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कार्य करवाए थे। सबसे ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल है, जो उन्होंने अपनी पत्नी मुमताज महल के लिए बनवाया था।
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शाहजहां और मुमताज की पहली मुलाकात मीना बाजार में हुई थी और पहली नजर में ही शाहजहां को मुमताज से प्यार हो गया था। बता दें कि मुमताज को शाहजहां ने बाजार में सिल्क की साड़ी बेचते हुए देखा था और तभी से शाहजहां मुमताज का दीदार करने के लिए रोज बाजार के चक्कर लगाया करते थे।
शाहजहां को पता लगा कि मुमताज महल उनकी मां और रानी नूर जहां की रिश्तेदार हैं, उनसे उनका मिलना जुलना है। इस बात से वाकिफ होने के बाद शाहजहां ने मुमताज के यहां शादी का प्रस्ताव भेजा और दोनों की जल्दी सगाई हो गई। सगाई के लगभग 5 साल बाद 10 मई 1612 को दोनों की शादी हो गई थी। (अकबर की बेगमों के बारे जानें)
महल के नाम से कौन वाकिफ नहीं है भला, लेकिन क्या आपको पता है कि मुमताज महल का शादी के बाद नाम अर्जुमंद बानो बेगम रख दिया था। इसके बाद 17 जून 1631 को उनकी मृत्यु हो गई थी और उन्होंने शाहजहां के 14 बच्चों को जन्म दिया था। (मुगल साम्राज्य की शक्तिशाली महिलाएं)
वह 1628 से 1631 तक मुगल साम्राज्य की मुख्य पत्नी और महारानी थीं। उनकी बेटी गौहर बानो बेगम को जन्म देते समय उनकी मृत्यु हो गई और उन्हें ताजमहल में दफनाया गया।
ताजमहल का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां ने मुमताज महल की याद में 1632 में बनवाया था, लेकिन यह मकबरा 1643 में बनकर तैयार हुआ था। बता दें कि यह मकबरा 17-हेक्टेयर (42 एकड़) जगह पर फैला हुआ है, जिसमें एक मस्जिद और एक गेस्ट हाउस भी है। इस महल को बहुत ही खूबसूरती से बनाया गया है।
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इसके अंदर और इसके नीचे मुमताज महल की कब्र के अलावा कई कमरे भी मौजूद हैं, जिनमें से कई कमरे मुगल काल से ही बंद है।
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