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क्या है ताजमहल के 22 बंद कमरों के पीछे की कहानी? जानिए 

आपने यकीनन कई बार ताजमहल का दीदार किया होगा, लेकिन आज आप 22 बंद कमरों से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे।  
Editorial
Updated:- 2022-05-18, 14:23 IST

भारत की विभिन्न सभ्यता हमारे देश की खूबसूरती को बखूबी बयान करती हैं। हालांकि, हर सभ्यता का लंबा इतिहास रहा है, पर आज भी उन सभ्यता द्वारा बनवाए गए कई ऐसे मशहूर और पुराने मकबरे, स्मारक मौजूद हैं, जिन्हें देखा जाना चाहिए। वहीं, देश पर कई वर्षों तक राज कर चुके मुगलकालीन सभ्यता द्वारा बनवाई गई कई इमारते, स्मारके, मकबरे आज भी मौजूद हैं, जो एक बेहतरीन वास्तुकला और शिल्पकला कलाओं का नमूना है।

इन इमारतों में सबसे मशहूर और खूबसूरत ताजमहल है। इतिहास के अनुसार मुगल सम्राट शाहजहां (Shah Jahan) द्वारा निर्मित, यह स्मारक अपनी पत्नी मुमताज महल के लिए बनवाई थी। सफेद संगमरमर से बना यह खूबसूरत मकबरा दुनिया के सात अजूबों में से एक है। बता दें कि इस शानदार वर्ल्ड हेरिटेज साइट को बनने में लगभग 22 साल लगे थे।

कहा जाता है कि संगमरमर से बना ताजमहल मुख्य तौर पर इस्लामी, तुर्की और फारसी वास्तुशिल्प कलाओं का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन, हाल ही में ताजमहल में बंद 22 कमरों का ताजा मामला (Taj Mahal 22 Locked Rooms Facts) उठा है, जिसको लेकर कई तरह के विवाद उठ रहे हैं, पर क्या आपको ताजमहल के बंद 22 कमरों के पीछे की कहानी के बारे में पता है, अगर नहीं आइए जानते हैं।

ताजमहल के बारे में जानें (History of Taj Mahal) -

taj mahal history

इस खूबसूरत मकबरे का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहांने 1632 में किया था। लेकिन यह मकबरा 1643 में बनकर तैयार हुआ था। बता दें कि यह मकबरा 17-हेक्टेयर (42 एकड़) जगह पर फैला हुआ है, जिसमें एक मस्जिद और एक गेस्ट हाउस भी है। इस महल को बहुत ही खूबसूरती से बनाया गया है। इसके अंदर और इसके नीचे मुमताज महल की कब्र के अलावा कई कमरे भी मौजूद हैं, जिनमें से कई कमरे मुगल काल से ही बंद है। ताजमहल के फर्श पर बनी दो सीढ़ियां भी मौजूद हैं, जिनके ऊपर लोहे का जाल बिछाया हुआ है।

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ताजमहल में मौजूद बंद कमरों की कहानी (History of Taj Mahal 22 Locked Rooms)-

Taj mahal inside room

आपने यकीनन ताजमहल को कई बार देखा होगा लेकिन ताजमहल का एक हिस्सा ऐसा भी है, जो कई सालों से बंद है। जी हां, ताजमहल के मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे हैं, जिसका दीदार अब तक किसी ने नहीं किया है। कई इतिहासकारों के अनुसार ताजमहल के ये कमरे कई दशकों से बंद है और इन कमरों को आखिरी बार 1934 में खोला गया था। (आगरा में मौजूद हैं शाहजहां की ये खूबसूरत इमारतें)

वहीं, कई इतिहासकार कहते हैं कि 1934 के बाद इन कमरों को केवल निरीक्षण और मरम्मत करने के लिए ही खोला गया है। ताजमहल की कई पहली मंजिल पर भी कई कमरे बनाए गए हैं लेकिन इस ओर जाने वाली 2 सीढ़ियां शाहजहां के समय से ही बंद हैं।

ताजमहल के बेसमेंट को बंद करने का तर्क (Taj Mahal 22 Rooms History in Hindi)-

इतिहासकारों के अनुसार ताजमहलकी दीवारों को नुकसान से बचाने के लिए बेसमेंट को बंद कर दिया गया है। क्योंकि कहा जा रहा है कि ताजमहल के बेसमेंट में जो कमरे बने हुए हैं, जिसे मार्बल की सहायता से बनाया गया है। इन कमरों को बंद करने के पीछे कई रिसर्च के अनुसार यह दावा किया गया है कि जब बेसमेंट में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, तो वो कैल्शियम कार्बोनेट में बदल सकती है।

कार्बन डाइऑक्साइड ताजमहल की दीवारों या मार्बल्स को नुकसान पहुंचाने का काम करता है क्योंकि ये मार्बल्स को पाउडर बना देता है। इसलिए इन कमरों को लोगों के लिए बंद कर दिया था लेकिन भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार इन कमरों को रखरखाव के लिए खोला जाता है।

क्या कहता है भारतीय पुरातत्व विभाग -

Taj mahal locked room

इन बंद कमरों को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) ने हाल ही में दो स्थानों की तस्वीरें जारी की हैं, जहां आगरा में ताजमहल की नदी के किनारे बंद भूमिगत कमरों के रखरखाव का काम किया गया था।

साथ ही, एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसको लेकर यह भी कहा है कि, 'न केवल ताजमहल, बल्कि भारत में मौजूद विरासत मूल्य वाले सभी संरक्षित स्थलों पर भी इस तरह के संरक्षण कार्य किए जाते हैं।' हालांकि, इसको लेकर कई तरह के विवाद खड़े हो गए हैं।

कई इतिहासकारों का मानना है कि इन बंद कमरों में कई हिंदू मूर्तियां और शिलालेख मौजूद हैं। इसलिए याचिकाकर्ता ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को इजाजत मांगी है कि वे ताजमहल के अंदर 22 कमरे खोलें, जिससे ये मालूम चल सके कि वहां हिंदू मूर्तियां और शिलालेख हैं या फिर नहीं। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इन 22 कमरों को खोलने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया था।

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