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Important Decision by Dr. Manmohan Singh: डॉ. मनमोहन सिंह के इन पांच फैसलों ने बदली भारत की तस्वीर, कभी डूबने के कगार पर थी देश की अर्थव्यवस्था

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उनका जीवन उपलब्धियों से भरा रहा है। आइए, यहां जानते हैं डॉ. मनमोहन सिंह के कौन-से ऐसे 5 फैसले थे जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदली। 
Editorial
Updated:- 2024-12-27, 11:20 IST

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। 26 दिसंबर की रात उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली। डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर है। राजनेताओं, बॉलीवुड सितारों से लेकर आम जन उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

डॉ. मनमोहन सिंह का नाम भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र में बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों के वास्तुकार के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब देश की अर्थव्यवस्था डूबने के कगार पर थी जब मनमोहन के फैसले ने भारत की तस्वीर बदलने में मदद की थी।

वित्त मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री के कार्यकाल तक, डॉ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण से लेकर न्यूक्लियर डील तक, कई फैसले लिए हैं, जिसने देश को प्रगति का पथ दिया। आइए, यहां जानते हैं डॉ. मनमोहन सिंह के वो बड़े फैसले जिन्होंने भारत की दशा और दिशा बदली है।

डॉ. मनमोहन सिंह के इन पांच फैसलों ने भारत की तस्वीर बदलने में की मदद 

 former prime minister manmohan singh

मनमोहन सिंह ने नरसिम्हा राव के कैबिनेट में वित्त मंत्री के रूप में ऐसे कई फैसले लिए हैं, जिन्होंने भारत के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य को बदलने में मदद की है। वित्त मंत्री के तौर पर डॉ. मनमोहन सिंह ने साल 1991 से 1996 तक अपनी सेवाएं दी हैं। इस दौरान मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण का फैसला लिया।

आर्थिक उदारीकरण

आजादी के बाद से साल 1991 में भारत ने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना किया था। 1990-91 में खाड़ी युद्ध के दौरान तेल की कीमतें बढ़ गई थीं और विदेशों में काम करने वाले भारतीयों में भी गिरावट आ गई थी, जिसकी वजह से भारत के पास फॉरेक्स की कमी हो गई थी। उस समय भारत के पास फॉरेक्स केवल 15 दिन का ही बचा था और देश की अर्थव्यवस्था डूबने की कगार पर आ गई थी।

भारत को कई शर्तों पर IMF (International Monetary Fund) ने आर्थिक सहायता दी। लेकिन, परिणामस्वरूप देश को आर्थिक सुधारों में बदलाव करना पड़ा और लाइसेंस राज को खत्म करना पड़ा।

इस समय डॉ. मनमोहन सिंह का बतौर वित्त मंत्री बड़ा बड़ा रोल रहा। मनमोहन सिंह ने लाइसेंस राज को खत्म किया और विदेशी निवेश के दरवाजों को भी खोला। विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खुलने के बाद देश में कई बड़ी प्राइवेट कंपनियों ने निवेश किया और भारत की आर्थिक हालात में सुधार आया। 

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रुपये में गिरावट (1991)

डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के कार्यकाल के दौरान साल 1991 में भुगतान संतुलन के संकट को दूर करने के लिए भारतीय रुपये का मूल्य कम कर दिया था। इस फैसले का यह प्रभाव पड़ा कि एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी हुई और देश के फॉरन रिजर्व भी बेहतर हुए।

भारत-अमेरिका समझौता

डॉ. मनमोहन सिंह ने साल 2004 में देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला था। प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 2005 में भारत-अमेरिका परमाणु डील भी मनमोहन सिंह की उपलब्धियों में शामिल है।

डॉ. मनमोहन सिंह ने साल 2004 में भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला था। प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 2005 में उनके एक फैसले ने भारत और अमेरिका के संबंधों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डॉ. मनमोहन सिंह ने इंडो-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील या 123 समझौते की पहल की थी। जॉर्ज बुश के साथ बातचीत की शुरुआत करके उन्होंने 2005 में डिफेंस फ्रेमवर्क पर साइन किया था।

अमेरिका के साथ डील के बाद भारत को न्यूक्लियर फ्यूल और टेक्नोलॉजी का एक्सेस मिला था। हालांकि, भारत को अपनी मिलट्री और न्यूक्लियर फैसिलिटी और न्यूक्लियर रिएक्टरों को इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के सुपरविजन में लाना पड़ा था।

शिक्षा का अधिकार (2009) 

 

 

 

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प्रधानमंत्री के कार्यकाल में डॉ. मनमोहन सिंह ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लाकर लाखों-करोड़ों का भविष्य सुधारा था। साल 2009 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम आर्टिकल 21A में शामिल किया गया था। इस अधिनियम के तहत 6 साल से लेकर 14 साल तक के बच्चों के लिए शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाया था। 

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साल 2008 में वित्तीय संकट

साल 2008 में अमेरिका में भयानक मंदी आई थी। जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ा था। वैश्विक मंदी के दौरान लाखों लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी। शेयर मार्केट बुरी तरह गिर गई थी। ऐसे समय में डॉ. मनमोहन सिंह ने एक बार फिर साबित किया कि वह एक बेहतरीन अर्थशास्त्री हैं।

डॉ. मनमोहन सिंह के फैसलों ने 2008 में भारत को मंदी से ही नहीं उभारा, बल्कि शेयर मार्केट उठाने में भी मदद की थी।   

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