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Finance Ministers of India: देश के इन वित्त मंत्रियों ने बदला भारत का भाग्य, अब तक लिए ये ऐतिहासिक फैसले

आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट पेश किया है। इसके साथ ही उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। आइए जानते हैं उन मंत्रियों के बारे में जिन्होंने अपने फैसलों से भारत की अर्थव्यवस्था में बड़ा फेरबदल किया था।&nbsp;<br /><br /> <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2024-07-23, 19:29 IST

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज सातवां बजट पेश किया है। इसके साथ ही, वह देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री भी बन चुकी हैं। साल 2019 से लेकर अब तक उन्होंने तमाम बड़े फैसले लिए जिन्होंने आर्थिक जगत में गहरी छाप छोड़ी। निर्मला सीतारमण से पहले भी ऐसे कई बड़े वित्त मंत्री हुए, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को नया आकार दिया।

इन वित्त मंत्रियों ने देश की आर्थिक नीतियों को आकार देने और महत्वपूर्ण बजटीय निर्णयों के माध्यम से फाइनेंस का प्रबंधन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दशकों से, इन नेताओं ने कई सुधार पेश किए हैं, नीतियों को लागू किया है और विकास और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक चुनौतियों का सामना किया। आज हम आपको ऐसे ही मंत्रियों से रूबरू करवाएंगे, जिनके ऐतिहासिक निर्णयों को याद किया जाता है। 

निर्मला सीतारमण

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कार्यकाल: 2019-वर्तमान

ऐतिहासिक निर्णय

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए अपने लगातार सातवें केंद्रीय बजट में सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला। अपने बजट में उन्होंने पांच वर्षों में 4.1 करोड़ युवाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए दो लाख करोड़ रुपये की लागत से पांच योजनाओं की घोषणा की। पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए एक महीने के वेज-सपोर्ट सहित रोजगार से जुड़े प्रोत्साहन देने की घोषणा भी की गई है। इसके साथ ही, मुद्रा ऋण सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये की गई। उच्च शिक्षा ऋण के लिए 10 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता की भी घोषणा की गई है। 

इससे पहले भी सीतारमण कई महत्वूपर्ण फैसले ले चुकी हैं। इससे पहले के बजट में उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया था, जिसमें सड़क, रेलवे और डिजिटल कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए आवंटन में वृद्धि की गई थी।

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पी. चिदंबरम

P chidambaram

कार्यकाल: 1996-1997, 2004-2008 और 2012-2014

ऐतिहासिक निर्णय

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने 1990 और 2000 के दशक के बीच वित्त मंत्रालय की कमान संभाली थी। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कुल 9 बजट पेश किए थे। उनके कार्यकाल में आर्थिक सुधारों की झलक देखने को मिली थी। उन्होंने अधिकतम सीमा शुल्क में कटौती की थी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का समाधान किया था। इसके अलावा, कर कानूनों को सरल बनाने के लिए टैक्सेशन सिस्टम में भी सुधार करने की घोषणा की थी। 

प्रणब मुखर्जी

pranab mukherji

कार्यकाल: 1982-1984, 2009-2012

ऐतिहासिक निर्णय

प्रणब मुखर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे। वह भारत के 13वें राष्ट्रपति बने थे, लेकिन इससे पहले उन्होंने वित्त मंत्री के तौर पर भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने में बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने 2005-06 में फ्रिंज बेनिफिट टैक्स (एफबीटी) की शुरुआत की था ऐसा इसलिए किया गया था, ताकि नियोक्ताओं द्वारा कर्मचारियों को दिए जाने वाले कुछ फ्रिंज लाभों पर कर लगाया जा सके, जिसका उद्देश्य टैक्स बेस को ब्रॉड बनाना था।

उन्होंने कर चोरी और करदाताओं द्वारा अग्रेसिव कर योजनाओं को रोकने के लिए जीएएआर की शुरुआत की थी। प्रणब मुखर्जी ने वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया था।

यशवंत सिन्हा

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कार्यकाल: 1998-2002

ऐतिहासिक निर्णय

यशवंत सिन्हा भारतीय प्रशासक और राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने 1990 से 1991 तक प्रधान मंत्री चंद्रशेखर के अधीन वित्त मंत्री के रूप में काम किया और फिर 1998 से 2002 तक प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अधीन वित्त मंत्रालय की कमान संभाली थी। सिन्हा ने व्यापार उदारीकरण और वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सीमा शुल्क में उल्लेखनीय कमी सहित राजकोषीय सुधारों की शुरुआत की थी।

इसके साथ ही, उन्होंने अघोषित आय और संपत्ति घोषित करने की अनुमति देकर काले धन का पता लगाने के लिए वॉलन्ट्री डिस्क्लोजर ऑफ इनकम स्कीम (वीडीआईएस) की शुरुआत की थी। भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों का विस्तार करने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

डॉ. मनमोहन सिंह

कार्यकाल: 1991-1996

ऐतिहासिक निर्णय

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अर्थशास्त्री भी हैं। उन्होंने साल 1991 में वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला था और इसके साथ ही आर्थिक सुधारों की अगुआई की। भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर को बदलने में उनका बड़ा योगदान रहा था। अपने सुधारों से उन्होंने लाइसेंस राज को खत्म करवाया और विदेशी निवेश पर प्रतिबंधों को कम किया। इसके अलावा, उन्होंने सीमा शुल्‍क को 220 फीसदी से घटाकर 150 फीसदी कर दिया था। उनके द्वारा पेश किया गया साल 1991 का बजट 'युगांतकारी बजट' कहलाया जाता है। आर्थिक सुधार पर ध्यान देते हुए इस दौरान LPG मॉडल को अपनाया था।

मोरारजी देसाई

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कार्यकाल: 1959-1964

ऐतिहासिक निर्णय

भारत के स्वाधीनता सेनानी, राजनेता और देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई जनता पार्टी दल से थे। मगर इससे पहले साल 1959 में उन्होंने वित्त मंत्री का पद संभाला था। मोरारजी देसाई के नाम वित्त मंत्रियों में सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकॉर्ड भी है। देसाई ने अर्थव्यवस्था को अधिक स्थिर बनाने के लिए धन के प्रति सावधानी बरतने तथा वित्त का बुद्धिमानी से प्रबंधन करने के महत्व पर प्रकाश डाला था। उन्होंने भारत की कर प्रणाली को सरल बनाने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किए थे। कर कानूनों का पालन आसान बनाने और कर चोरी को कम करने पर भी ध्यान केंद्रित किया था।

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चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख

chintaman dwarkanath deshmukh

कार्यकाल: 1950-1956

ऐतिहासिक निर्णय

 चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख भारतीय रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर थे। इसके बाद, तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में 1950 में उन्हें देश के वित्त मंत्री के रूप में सम्मिलित किया गया था। देशमुख ने भारत की पहली पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्वतंत्रता के बाद शुरुआती वर्षों में भारत के अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों को आकार देने में भी भूमिका निभाई थी। देशमुख द्वारा बुनियादी ढांचे के औद्योगिक विकास और कृषि आधुनिकीकरण पर दिए गए जोर ने भारत को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से जीवंत राष्ट्र बनने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

इसके अलावा भी इस देश ने ऐसे कई वित्त मंत्री देखे, जिनके निर्णयों के कारण आज देश यहां तक पहुंचा है। आज के बजट के बारे में आपका क्या ख्याल है, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। 

 

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Image Credit: Freepik

 

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