Jagannath Rath Yatra 2022:हमारे आसपास न जाने कितनी ऐसी चीजें होती हैं जिनका रहस्य सुलझा पाना मुश्किल होता है। ऐसे ही हमारे देश में कुछ मंदिर हैं जिनमें आज भी ऐसे रहस्य मौजूद हैं जो भक्तों की भक्ति का प्रतीक हैं लेकिन उनका पता लगा पाना थोड़ा मुश्किल है। एक ऐसा ही रहस्य है जगन्नाथ पुरी के मंदिर का जिसे सदियों से सुलझा पाना मुश्किल है।
दरअसल आज भी यहां की मूर्तियां अधूरी हैं और ऐसा माना जाता है कि इन मूर्तियों में श्री कृष्ण का दिल धड़कता है। इस रहस्य का पता लगाने के लिए हमने जगन्नाथ मंदिर के मुख्य पंडित श्री माधव चंद्र महापात्रा जी से बात की। उन्होंने हमें इससे जुड़ी कुछ मान्यताओं के बारे में बताया वो आप भी जानें।
रथ यात्रा के समय रथ में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा जी के साथ सुदर्शन और माता लक्ष्मी व सरस्वती भी मौजूद होते हैं। रथ यात्रा वो समय होता है जब भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ बाहर निकलकर कुछ दिनों के लिए मौसी गुंडिचा देवी मंदिर की और प्रस्थान करते हैं। इनमें से भगवान जगन्नाथ जी के रथ को नंदीघोष, बलराम के रथ को तालध्वज और सुभद्रा जी के रथ को देवदानम कहा जाता है। ये तीनों रथ में भगवानों को स्थापित किया जाता है और सुदर्शन केवल सुभद्रा जी के रथ में विराजमान होता है। इन रथ में बैठकर भगवान सिंह दरवाजा से चलकर गुंडिचा मंदिर में जाते हैं। जिसमें सिंह दरवाजा में भगवान 3 दिन के लिए और गुंडिचा मंदिर में 9 दिन रहते हैं।
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पंडित श्री माधव चंद्र महापात्र जी बताते हैं कि जगन्नाथ पुरी मंदिर की मूर्तियां अभी भी अधूरी हैं इसके पीछे एक प्राचीन कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में एक राजा इन्द्रद्युम्न थे जिन्हें सपना आया कि लकड़ी के लट्ठे से मूर्ति का निर्माण किया जाए। इस कार्य के लिए उन्होंने वृद्ध मूर्तिकार को बुलाया और मूर्तिकार ने मूर्तियों का निर्माण दरवाजा बंद करके शुरू कर दिया। जब कुछ दिनों तक कमरे के भीतर से कोई आवाज सुनाई नहीं दी तो राजा ने दरवाजा खोलकर देखा। दरअसल वो वृद्ध मूर्तिकार स्वयं भगवान कृष्ण थे और उस समय मूर्तियां आधी तैयार हो पाईं थी। उस समय भगवान ने शरीर त्याग दिया और अधूरी मूर्तियों की ही पूजा होने लगी क्योंकि ऐसा माना जाने लगा कि भगवान ने स्वयं उन मूर्तियों में प्राण प्रतिष्ठा कर दी है।(जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़े तथ्य)
आज भी ऐसी मान्यता है कि जब मूर्तियों के निर्माण के समय ही वृद्ध मूर्तिकार यानी कि भगवान् कृष्ण ने अपना शरीर छोड़ा तो अपना ह्रदय वहीं छोड़ दिया। मूर्तियों में आज भी दिल धड़कता है जो आज तक भक्तों के बीच एक रहस्य बना हुआ है। लेकिन वास्तव में ये भक्तों की आस्था को दिखाता है और इसी भक्ति में सराबोर होकर लाखों भक्तजन हर साल रथ यात्रा के दौरान पुरी में इकठ्ठा होते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं।
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वास्तव में जगन्नाथ पुरी से जुड़े कई ऐसे तथ्य हैं जिनका पता लगा पाना मुश्किल ही है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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