जगन्नाथ रथ यात्रा का सनातन धर्म में विशेष महत्व बताया गया है। यह रथ यात्रा हर साल उड़ीसा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर से होता है। यह रथ यात्रा हर साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होती है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भगवान श्री कृष्ण जिन्हें भगवान जगन्नाथ कहा जाता है वो अपने भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ 9 दिनों की यात्रा पर निकलते हैं।
ऐसा माना जाता है कि पुरी भगवान जगन्नाथ की मुख्य लीला भूमि है इसलिए जगन्नाथ रथ यात्रा का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यतानुसार पुरी में रथयात्रा निकालकर भगवान जगन्नाथ को प्रसिद्ध गुंडिचा माता मंदिर पहुंचाया जाता है और ऐसा माना जाता है कि भगवान वहां 7 दिनों तक के लिए विश्राम करते हैं। आइए जानी मानी ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ.आरती दहिया जी से जानें कि इस साल कब आरंभ हो रही है जगन्नाथ रथ यात्रा और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।
जगन्नाथ रथ यात्रा की तिथि
- इस साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 1 जुलाई 2022, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।
- आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि आरंभ - 30 जून 2022, प्रातः 10:49 से
- आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि समापन- 1 जुलाई, दोपहर 01:09 तक
- चूंकि उदया तिथि में द्वितीया तिथि 1 जुलाई को है इसलिए रथ यात्रा का आरंभ इसी दिन होगा।
क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा
ऐसी मान्यता है कि रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ मुख्य मंदिर से निकलकर अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। इसी मंदिर में 9 दिन तक भगवान अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा जी के साथ निवास करते हैं। इस दौरान केवल रुकमणी जी, जिन्हें माता लक्ष्मी (मां लक्ष्मी की पूजा में रखें इन बातों का ध्यान)का अवतार माना जाता है वही जगन्नाथ पुरीके मुख्य मंदिर में विराजमान रहती हैं। इन 9 दिनों में पूजा पाठ गुंडिचा मंदिर में ही संपन्न होता है क्योंकि भगवान वहीं विराजमान होते हैं। भगवान जगन्नाथ को मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाने के लिए ही जगन्नाथ रथ यात्रा निकालने की प्रथा सदियों से चली आ रही है।
जगन्नाथ रथ से जुड़े तथ्य
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए रथों का निर्माण अक्षय तृतीया से ही प्रारंभ हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन रथों को बनाने में लगभग 2 महीने का समय लग जाता है। वसंत पंचमी के दिन से इस रथ के लिए लकड़ी एकत्र करने का काम प्रारंभ हो जाता है। 200 से भी ज्यादा लोग मिलकर इन तीनों रथों का निर्माण करते हैं। ऐसी मान्यता है कि हर साल रथ यात्रा के लिए नए रथ बनाए जाते हैं और पुराने रथों को तोड़ दिया जाता है।
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जगन्नाथ रथ यात्रा कामहत्व
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरे देश में एक पर्व की तरह मनाई जाती है। भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा, रथ यात्रा के मुख्य आराध्य होते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त इस रथ यात्रा में शामिल होकर भगवान के रथ को खींचते हैं उन्हें कई यज्ञों के समान फल मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति दौरान जगन्नाथ पुरी दर्शन हेतु जाता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।
वास्तव में हिंदू धर्म में इस रथ यात्रा का विशेष महत्व बताया गया है और जो व्यक्ति इसमें शामिल नहीं हो पाते हैं वो भी यदि इन दिनों जगन्नाथ भगवान की पूजा सच्चे मन से करते हैं तो उन्हें अच्छे फलों की प्राप्ति होती है।
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Image Credit:shutterstock .com , wikipedia
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