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Karan Mehra-Nisha Rawal Case: घरेलू हिंसा, अडल्ट्री, और मानसिक प्रताड़ना को लेकर क्या कहता है कानून?

एक्टर करण मेहरा और निशा रावल का मामला अब बहुत आगे बढ़ चुका है और इस मामले में कानूनी मदद भी ली जा रही है। जानिए क्या कहता है कानून। 
Editorial
Updated:- 2021-06-02, 13:04 IST

हाल ही में टीवी एक्टर करण मेहरा और उनकी पत्नी निशा रावल का केस बहुत चर्चा में आ गया है। निशा ने करण पर घरेलू हिंसा और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का केस किया है तो करण ने निशा को बायपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित बताया है। इस केस में एक्टर करण मेहरा जो सीरियल 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में नैतिक की भूमिका से फेमस हुए थे उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी और अब बेल भी मिल गई। तब से ही आरोप और प्रत्यारोप का सिलसिला चल रहा है और इस मामले ने तेज़ी पकड़ ली है।

निशा ने करण के खिलाफ जो शिकायत दर्ज करवाई थी उसमें उन्होंने फिजिकल असॉल्ट के आरोप लगाए थे। करण मेहरा ने ये सारे आरोप सिरे से खारिज किए हैं और कहा है कि उनका नाम कई लोगों के साथ जोड़ा गया था। उन्होंने कहा है कि उन्होंने कभी धोखा नहीं दिया और न ही उनका किसी के साथ अफेयर चल रहा है।

निशा ने इसके जवाब में कहा है कि करण उन्हें मारते थे और उनके बेटे की भी परवाह नहीं करते थे। करण का कहना है कि निशा हिंसक हैं और उनसे एलिमनी में काफी बड़ी रकम मांग रही हैं।

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निशा पर लगाए गए बायपोलर होने के आरोप-

करण मेहरा ने निशा पर 5-6 साल पहले बायपोलर डायग्नोज होने के आरोप लगाए हैं। उनका कहना था कि निशा पब्लिक में भी बहुत अजीब व्यवहार करती थीं और करण अब इसे और बर्दाश्त नहीं कर सकते थे। करण का कहना है कि निशा पर उन्होंने हाथ नहीं उठाया और निशा ने खुद अपना सिर दीवार में दे मारा ताकि वो करण को बर्बाद कर सकें।

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ये पूरा मामला अब कानूनी मोड़ ले चुका है और अब इसका हल तो कोर्ट के फैसले और कानून के हिसाब से ही निकलेगा, लेकिन इन आरोप प्रत्यारोप के बीच सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर अब दोनों के पास कानूनी तौर पर क्या रास्ते हैं?

इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमने एडवोकेट अंकुर बाली से संपर्क किया और उनसे ये जानने की कोशिश की कि ऐसे मामलों में कानून क्या कहता है?

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सवाल: निशा के पास अब क्या लीगल रास्ते हैं?

जवाब:

अगर निशा पीड़िता हैं तो वो हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के सेक्शन 13 के तहत इन आधार पर तलाक की अर्जी दे सकती हैं जिसमें-

  • पति या पत्नी तलाक चाहते हों क्योंकि उनका पार्टनर किसी अन्य इंसान के साथ अपनी इच्छा से शारीरिक संबंध रखता हो।
  • अगर पति या पत्नी में से कोई भी एक दूसरे के साथ हिंसा करता हो।
  • अगर दोनों दो साल से अधिक समय से अलग रह रहे हों।
  • अगर पति-पत्नी में से किसी ने अपना धर्म बदल लिया हो और हिंदू न रहा हो।
  • अगर पति-पत्नी में से कोई मानसिक रूप से पीड़ित हो।
  • अगर दोनों में से कोई किसी गंभीर रोग से पीड़ित हो जो फैल सकता हो।
  • अगर दोनों में से किसी ने संसार का त्याग कर दिया हो और सन्यास ले लिया हो।
  • अगर दोनों में से कोई 7 साल से ज्यादा समय से लापता हो या उसके जिंदा होने के बारे में किसी को न पता हो।

ये सारे लीगल फैक्टर्स पत्नी को तलाक लेने में मदद कर सकते हैं।

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सवाल: व्यभिचार या अडल्ट्री को लेकर अब भारत में क्या लीगल एक्शन लिए जा सकते हैं?

जवाब:

पहले IPC के सेक्शन 497 में अडल्ट्री को गैरकानूनी माना गया था जब किसी पुरुष को पता हो कि कोई महिला किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और फिर भी उसके साथ इच्छा स्वरूप शारीरिक संबंध बना रहा हो, लेकिन हाल ही में पास किए गए जजमेंट के दौरान इसे खारिज कर दिया गया था। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने जोसफ शाइन केस में ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। हालांकि, पहले भी ये पति के लिए नहीं बल्कि पत्नी के साथ संबंध रखने वाले इंसान के लिए गैरकानूनी करार दिया गया था।

हालांकि, ये अभी भी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक का कारण माना जा सकता है। और किसी अन्य इंसान से संबंध रखने को लेकर तलाक की अर्जी दोनों पति-पत्नी में से कोई भी दे सकता है।

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सवाल: क्या घरेलू हिंसा तलाक का आधार माना जा सकता है?

जवाब:

हां, जैसा कि पहले बताया गया है हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13 में ये कहा गया है कि घरेलू हिंसा के आधार पर तलाक लिया जा सकता है। दोनों में से कोई भी इस आधार पर तलाक की अर्जी दे सकता है।

तो अब करण और निशा के मामले में तलाक की अर्जी देने की गुंजाइश तो है, लेकिन इस मामले में भी एडवोकेट अंकुर का कहना है कि अगर कोर्ट कोई फैसला करती है और दोनों में से कोई भी उसकी अवहेलना करता है तो ये मामला और पेचीदा हो सकता है। उस आधार पर फैसला बदला भी जा सकता है और सज़ा का प्रावधान और कड़ा हो सकता है।

बहरहाल, ये मामला और क्या मोड़ लेता है ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन फिलहाल ये कहा जा सकता है कि मौजूदा समय में करण और निशा दोनों के ही पास कई लीगल ऑप्शन अभी भी मौजूद हैं।

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