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Delhi Assembly Election Exit Poll 2025 : कैसे तय किए जाते हैं एग्जिट पोल, जानिए क्या है नियम तोड़ने की सजा

Delhi Election Exit Poll:  दिल्ली विधानसभा चुनाव के मुद्दे पर पूरे देश में चर्चा चल रही है। इस दौरान आने वाले एग्जिट पोल पर सबकी नजरें टिकी हुई है। इन पोल्स के जरिए अनुमान लगाया जाता है कि किस पार्टी के हिस्से कितनी सीटें आ रही हैं।  
Editorial
Updated:- 2025-02-05, 12:10 IST

Delhi Assembly Election 2025: आज यानी 5 फरवरी, 2025 को दिल्ली विधानसभा का इलेक्शन हो रहा है। इसके बाद से सभी की नजरें चुनाव के रिजल्ट पर टिकी हुई है। वहीं शाम को मतदान खत्म होने के बाद मिले वोट आकड़ों के अनुसार सर्वे जारी किए जा सकते हैं। इन पोल्स को देखकर लोग यह अनुमान लगाते हैं कि इसके हिस्से में कितनी सीट आने वाली है। इसके साथ ही किसकी सरकार बनने के आसार नजर आ रहे हैं। बता दें, कि दिल्ली विधानसभा का परिणाम 8 फरवरी को घोषित किया जाएगा।

देश की अलग-अलग एजेंसी अपने-अपने आंकड़े जारी करती है। एग्जिट पोल का अनुमान कितनी सही होगा यह परिणाम आने के बाद ही साफ होता है। जैसा कि हम सभी को पता है कि गलती करने पर सजा दी जाती है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कोई एग्जिट पोल के नियम का उल्लंघन करता है तो क्या उसे भी सजा होती है। इस बारे में इलाहाबाद हाई कोर्ट अधिवक्ता नीतेश पटेल से पूछते हैं, कि इससे जुड़े क्या-क्या नियम बनाए गए हैं और अगर कोई नियम तोड़ता है तो कौन सी सजा का प्रावधान है।

जानिए क्या होता है एग्जिट पोल

Exit Polls Rules

बता दें, कि एग्जिट पोल एक प्रकार का चुनावी सर्वे होता है। मतदान के दिन एग्जिट पोल कराने वाली एजेंसियों के प्रतिनिधि मतदान केंद्र पर मौजूद होते हैं। मतदाताओं से प्रतिनिधि प्रश्न पूछते हैं। उनके जवाबों को परखने और एनालिसिस करके अनुमान लगाया जाता है कि लोगों का रुझान किस तरफ है। इस सर्वे में केवल मतदाताओं को शामिल किया जाता है ताकि अनुमान ज्यादा बेहतर तरीके से लगाया जा सके।

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एग्जिट पोल से जुड़े नियम

What is exit poll

एग्जिट पोल से जुड़े नियम के बारे में अधिवक्ता नीतेश पटेल ने बताया कि, पोल कब और किस तरह से जारी किए जाएंगे। इससे जुड़े कानून और गाइडलाइन का संविधान में प्रावधान है। रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के अनुसार जब तक सभी चरण के चुनाव खत्म नहीं हो जाते तब तक एग्जिट पोल जारी  नहीं किए जा सकते हैं। इलेक्शन कमेटी द्वारा सन् 1988 में इसको लेकर पहली बार गाइडलाइन तैयार की गई थी। इसके बाद अलग-अलग गाइडलाइन और कानून सामने आते रहे हैं। बता दें, कि अगर कोई एग्जिट पोल से जुड़े नियम को तोड़ता है तो आरोपी को 2 वर्ष की कैद, जुर्माना का प्रावधान है।

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Image Credit- Freepik

 

 

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