हमारी फूड चॉइसेस हमारे मूड, एनर्जी लेवल, क्रेविंग और दूसरी चीजों के कारण घड़ी-घड़ी बदलती रहती हैं। हर व्यक्ति का अपना अलग टेस्ट होता है। अगर मोटे तौर पर बात करें तो स्वाद को चार क्लासिक ग्रुप में बांट सकते हैं- नमकीन, मीठा, खट्टा, कड़वा और तीखा। साइकोलॉजिस्ट डॉ. जेन नेश बताते हैं कि टेस्ट और पर्सनेलिटी का आपस में गहरा नाता है और अगर आपको किसी व्यक्ति के टेस्ट के बारे में पता है तो आप उसकी शख्सीयत के बारे में भी काफी कुछ जान सकते हैं। हमारे स्वाद को बहुत सारी चीजें इफेक्ट करती हैं और स्वाद के कई मायने होते हैं।
बचपन में हमें जो चीजें पसंद होती हैं, उनकी क्रेविंग हमें बड़े होकर भी महसूस होती है। हमें बचपन में इनाम के तौर पर या फिर खुद को बेहतर फील कराने के लिए जो भी चीजें खाने को मिली, वो चीजें बड़े होने पर भी हमारे लिए फेवरेट बनी रहती हैं। खाना सिर्फ हमारे लिए एनर्जी देने का ही काम नहीं करता, फूड का नाता अपनों के प्यार और केयर से भी जुड़ा हुआ है।
बचपन से बड़े होने के सफर में हमें कैसी भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, उससे इंस्टेंट रिलीफ पाने का बेहतरीन जरिया खाना ही होता है, फिर चाहे वह कोई शोषण से जुड़ी बात हो, कोई सदमा हो, कोई गहरा दुख हो, बुलींग का मामला हो या कोई भी और गंभीर मसला। युवा अपने इमोशन्स को बड़ी मुश्किल से बयां कर पाते हैं। अगर पेरेटंस को बच्चों के दुख, दर्द, आंसू और दूसरी इमोशनल दिक्कतों को सुनने में प्रॉब्लम होती है तो बच्चे के लिए अपनी मुश्किल बताना और भी चैलेंजिंग हो जाता है। इस समय में बच्चा को जो चीज सबसे ज्यादा राहत देती है वह है टेस्टी-टेस्टी फूड आइटम्स। इसीलिए अगर आपको बचपन में चोट लगने पर मम्मी चॉकलेट या कोई और मीठी चीज दे देती थीं तो उसे आपने एक तरह से अपनी खुशी से जोड़ लिया। न्यूरोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट डॉ एलेन हिर्स्च ने टेस्ट और पर्सनेलिटीज के लिंक पर रिसर्च की। उनकी रिसर्च के अनुसार हम जो भी खाना खाते हैं, उससे हमारे विचार और भावनाएं जाहिर हो जाती हैं। अपनी टेस्ट बड्स से हम पांच अलग तरह के टेस्ट का पता लगा सकते हैं, ये सभी टेस्ट जब हमारे खाने में शामिल होते हैं तो हमें सेटिसफेक्शन मिलता है। लेकिन अगर हमें कुछ खास तरह के टेस्ट ज्यादा पसंद हैं तो उससे हमारी शख्सीयत के अलग पहलू उजागर होते हैं। आइए जानें ये फ्लेवर क्या बताते हैं आपकी पर्सनेलिटी के बारे में-
क्या कम मिर्च वाला खाना आपको बहुत बोरिंग लगता है, क्या अच्छा-खासा तीखा खाना भी आपको तीखा नहीं लगता और आप उसे खूब एंजॉय करती हैं? इसका अर्थ ये है कि आपको तीखा टेस्ट काफी ज्यादा पसंद है। इससे जाहिर होता है कि आपको अपनी जिंदगी में रिस्क लेना अच्छा लगता है। जिंदगी में कुछ थ्रिलिंग करने या नया एक्सपीरिएंस करने में आपको खूब मजा आता है।
क्या आपको खीर की जगह करेला भाता है, कैफे लाते की जगह ब्लैक कॉफी पसंद करती हैं तो आपको कड़वा स्वाद ज्यादा भाता है? रिसर्च कहती हैं कि आपमें एंटी सोशल पर्सनेलिटी ट्रेट हो सकते हैं मसलन आप चीजों को अपने हिसाब से ढालने वाली हो सकती है, गलत प्रवृत्तियों वाली, इंसेंसिटिव या फिर साइकोपैथ (असामाजिक तत्व ) भी हो सकती हैं।
अगर आपको अन्य फूड आइटम्स के बजाय मीठे फूड आइटम्स ज्यादा पसंद हैं तो मुमकिन है कि आप लोगों के साथ ज्यादा जल्दी घुम-मिल जाती हों, जरूरत पड़ने पर दूसरों की मदद कर देती हों और बदले में भी उनसे किसी तरह की उम्मीद नहीं करती हों।
मुमकिन है कि आपके आसपास के लोग आपको क्रिटिकल और कड़वी बातें कहने वाला बताते हों, लेकिन आपको इससे फर्क नहीं पड़ता हो। आप शायद इसके लिए यही दलील रखती हों कि आपके स्टेंडर्ड हाई हैं और आप चाहेंगी कि खुद को और बेहतर स्थितियों में ले जाएं।
अगर आपको चटपटी नमकीन, फ्रेंच फ्राइस जैसे फूड आइटम्स भाते हैं तो मुमकिन है कि आप काफी कंपटीटिव और तेज-तर्रा होंगी। यह भी संभव है कि रोजमर्रा की मुश्किलों जैसे कि ट्रैफिक जाम या लाइन में लगने से आपको बहुत चिढ़ होती हो।
इस नई तरह की रिसर्च के बारे में पढ़कर मुमकिन है कि आपको भी अपनी पर्सनेलिटी के बारे में बहुत कुछ समझ आ गया होगा और इस जानकारी के साथ आप अपने दोस्तों और रिलेटिव्स की पर्सनेलिटी के बारे में भी बहुत कुछ समझ सकेंगी।
साभार: डेलीमेल
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