हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में परशुराम जयंती मनाई जाती है। इस तिथि में भगवान विष्णु ने परशुराम के रूप में छठवां अवतार लिया था, इसलिए अक्षय तृतीया के साथ- साथ परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। परशुराम जयंती के अलावा हिंदू धर्म में इस तिथि के कई और महत्व हैं।
इस साल परशुराम जयंती 22 अप्रैल शनिवार को पड़ रही है। भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। एक ब्राह्मण होते हुए भी उनमें क्षत्रियों वाले गुण थे। आज के इस लेख में हम भगवान परशुराम के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानेंगे।
1. चिरंजीवी हैं परशुराम
भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पांच संतानों में चौथे पुत्र थे। परशुराम को भगवान शिव के परम भक्त के रूप में जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने राजाओं द्वारा किए जा रहे अन्याय, अधर्म और पापों के विनाश के लिए जन्म लिया था। ये सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक हैं जो धरती में आज भी मौजूद हैं।
2. मां का किया वध
पौराणिक कथा और ग्रंथों के अनुसार एक बार परशुराम की माता से एक अपराध हो गया था, जिससे क्रोधित होकर परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि ने अपने पुत्रों से माता रेणुका का वध करने का आदेश दिया। आदेश सुनकर परशुराम के सभी भाइयों ने माता का वध करने से मना कर दिया लेकिन भगवान परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा मानते हुए अपनी मां की वध की थी।
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3. गणेश जी से भी हुए थे क्रोधित
गणेश पुराण के अनुसार एक बार परशुराम जीभगवान भोलेनाथके दर्शन के लिए कैलाश पर्वत गए थे, लेकिन भगवान गणेश जी ने उन्हें मिलने से रोक दिया था। इस बात से क्रोधित होकर भगवान परशुराम ने गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया था। दांत टूटने के बाद से गणेश जी का एकदंत नाम प्रचलित हुआ।
4. भगवान कृष्ण को सौंपा सुदर्शन चक्र
रामायण काल में सीता स्वयंवर में भगवान राम द्वारा धनुष तोड़ने के पश्चात जब परशुराम क्रोधित होकर सभा में आए थे, तब भगवान राम और लक्ष्मण का परशुराम के साथ संवाद हुआ था। इसके बाद भगवान राम ने उनका सम्मान करते हुए अपना चक्र उन्हें सौंपा था। वही सुदर्शन चक्र को भगवान परशुराम ने द्वापर युग में श्री कृष्ण को वापस दिया था।
5. कर्ण को दिया था श्राप
परशुराम जी अस्त्र-शस्त्र के ज्ञानी थे। उन्होंने कई बड़े योद्धाओं और महापुरुषों को शिक्षा भी दी है। इन्हीं में से एक शिष्य कर्ण भी थे, जिन्होंने परशुराम जी से झूठ बोलकर शस्त्र विद्या प्राप्त की थी। जब परशुराम जी को कर्ण के झूठ के बारे में पता चला था तब उन्होंने कर्ण को श्राप दिया और कहा था कि जिस झूठ के बल से तूने विद्या ग्रहण की है, वही विद्या जरूरत पड़ने पर भूल जाएगा। इसलिए महाभारत(महाभारत में रावण का पुनर्जन्म) युद्ध के दौरान कर्ण शस्त्र चलाते वक्त मंत्र भूल गए थे और पांडवों द्वारा उनकी मृत्यु हुई।
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