Akshaya Tritiya Festival Story: हिंदू धर्म में कई तीज त्योहार आते हैं, मगर कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। अक्षय तृतिया भी इन्हीं त्योहारों में से एक है, इसे वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक ग्रंथों अक्षय तृतिया को लेकर बहुत सारी कहानियां और कथाओं का वर्णन मिलता है। इस दिन को इतना शुभ माना जाता है कि कोई भी अच्छा काम इस दिन काराया जा सकता है। अक्षय तृतीया के अलावा इस तिथि में विष्णु जी के छठवें अवतार भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को भगवान परशुराम की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया के शुभ दिन को लेकर यह भी मान्यता है कि इसी दिन गंगा नदी स्वर्ग से धरती पर आई थी। साथ ही अक्षय तृतीया को अन्न एवं रसोई की देवी मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था। हिंदू धर्म में इस दिन के कई महत्व एवं इससे जुड़ी कई तरह की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। चलिए उन कथाओं और महत्वों के बारे में हम आपको बताते हैं।
अक्षय तृतीया व्रत कथा (Akshaya Tritiya Vrat Katha 2024)
अक्षय तृतीया से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, धर्मदास नामक एक वैश्य था। धर्मदास की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। वह हमेशा अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए चिंतित रहता था, आर्थिक स्थिति ठीक न होते हुए भी वह स्वभाव से बहुत ही धार्मिक एवं दानी था। एक बार धर्मदास ने किसी कथा के दौरान अक्षय तृतीया के दिन किए जाने वाले दान का महत्व सुना। कथा का महात्म्य सुनने के बाद वह हर साल अक्षय तृतीया को सुबह गंगा नदी में स्नान कर सभी देवी देवताओं की विधिपूर्वक पूजा करने लगा। अपने सामर्थ्य अनुसार जल से भरे घड़े, जौ, अनाज, गुड़, घी, जैसी कई वस्तुओं को भगवान और ब्राह्मणों को अर्पित करता था।
यह सब देखकर धर्मदास की पत्नी उसे रोकने की कोशिश करती थी, क्योंकि उसे लगता था कि अगर इतना सब दान में दे देंगे तो परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा। अपनी पत्नी की बातों को सुनकर धर्मदास बिल्कुल भी विचलित नहीं होता और वह अपने सामर्थ्य अनुसार दान पुण्य करते रहता था। वृद्धावस्था में अनेक रोगों से ग्रस्त होने के बावजूद भी धर्मदास अक्षय तृतीया के दिन व्रत एवं दान पुण्य किया करता था। पौराणिक कथा के अनुसार, यही धर्मदास वैश्य अक्षय तृतीया के दान-धर्म के पुण्य के कारण अगले जन्म में कुशावती राजा हुआ।
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धर्मदास अपने अगले जन्म में भी दान-पुण्य करने वाला धार्मिक स्वभाव का था। कहा जाता है कि उनके महायज्ञ के आयोजन में त्रिदेव वेश बदलकर शामिल हुआ करते थे। प्रतापी राजा होने के बावजूद भी वह कभी दान धर्म के मार्ग से नहीं भटका और अपने पुण्य फल से अपने अगले जन्म में यही राजा भारत के महान सम्राट चंद्रगुप्त के रूप में पैदा हुए थे। (अक्षय तृतीया उपाय)
अक्षय तृतीया पर दान-पुण्य से खुश होकर भगवान ने धर्मदास पर कृपा की वैसे ही जो कोई भी अक्षय तृतीया (अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त) के इस दिन दान पुण्य कर व्रत कथा सुनता एवं पढ़ता है उसे भी अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक शास्त्रों में भी यह कहा गया है कि जीवन में सुख, समृद्धि, यश और वैभव की प्राप्ति के लिए इस दिन दान-पुण्य करके व्रत कथा जरूर सुननी चाहिए।
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आप भी अक्षय तृतीया पर सुख-समृद्धि और यश पाने के लिए पुण्य कमाएं और व्रत कथा जरूर सुनें और पढ़ें। आशा है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख पसंद आया हो तो आप इसे अपने फैमली और फ्रेंड्स के साथ जरूर शेयर करें। ऐसे ही पौराणिक कथा और धर्म से जुड़े लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
Image Credit: Free pik
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