हिंदू धर्म के कई त्योहारों में से एक अक्षय तृतीया को बेहद खास और शुभ माना जाता है। ये पूरे देश में किसी जश्न की तरह मनाया जाता है और ऐसी मान्यता है कि इस दिन किसी भी अच्छे काम को करें तो उसमें हमें लाभ ही मिलता है। अच्छे भाग्य, सफलता और भविष्य में आने वाली उपलब्धियों से इस दिन को जोड़कर देखा जाता है। सिर्फ हिंदुओं के लिए ही नहीं बल्कि जैन धर्म के लिए भी ये त्योहार बहुत महत्व लेकर आता है। 3 मई 2020 को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जा रहा है।
सफलता और समृद्धि की बात करें तो अक्षय तृतीया को बेहद खास माना जाता है। पर आखिर इस दिन का महत्व क्या है और इससे जुड़ी कथाएं क्या हैं?
आज हम बात करते हैं उन पौराणिक कथाओं की जिनके कारण अक्षय तृतीया का महत्व इतना बढ़ जाता है। इस दिन बहुत से लोग उपवास रखते हैं, दान-धर्म करते हैं, नई चीजें खरीदते हैं और इसलिए ये जानना भी जरूरी है कि इस दिन से जुड़ी कथाएं क्या हैं।
अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम से जुड़ी कथा-
आपने शायद ये नोटिस ना किया हो, लेकिन जिस दिन अक्षय तृतीया होती है उसी दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। हिंदू मान्यता के हिसाब से भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठवें अवतार थे और मान्यता है कि भगवान परशुराम ने ही धरती को समुद्र से बचाया था। इसलिए इस दिन का महत्व माना जाता है।
अक्षय तृतीया और महाभारत -
अक्षय तृतीया को महाभारत से जोड़कर भी देखा जाता है। दरअसल, ऐसा माना जाता है कि ऋषि वेद व्यास के कहने पर भगवान श्री गणेश ने महाभारत की कथा लिखनी शुरू की थी। इतना ही नहीं इस ग्रंथ की कथा भी कहती है कि भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को एक अक्षय पात्र दिया था जो कभी खाली नहीं होता था। इसके कारण ही पांडवों को अन्न की कमी कभी महसूस नहीं हुई।
अक्षय तृतीया श्री कृष्ण और सुदामा की कहानी-
अक्षय तृतीया से जुड़ी एक पौराणिक कथा कृष्ण और सुदामा से जुड़ी हुई भी है। श्री कृष्ण और सुदामा बचपन के दोस्त थे और अक्षय तृतीया के दिन ही सुदामा श्री कृष्ण के दरबार में आए थे सिर्फ एक मुट्ठी चावल लेकर कुछ आर्थिक मदद के लिए। भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा को किसी राजा की तरह रखा और सुदामा इस आदर से इतना प्रसन्न हो गए कि वो श्री कृष्ण से कुछ मांग ही नहीं पाए। पर जब वो वापस पहुंचे तो पाया कि उनकी छोटी सी झोपड़ी एक महल में बदल गई है। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से मांगे बिना ही बहुत कुछ पा लिया था।
अक्षय तृतीया और देवी अन्नपूर्णा का जन्म-
ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ था। मां अन्नपूर्णा देवी पार्वती का अवतार मानी जाती हैं जो भूखों को खाना खिलाती हैं। जब भगवान शिव एक भिखारी की शक्ल में देवी के पास खाना मांगने गए थे तो देवी अन्नपूर्णा ने खुद भगवान शिव को खाना खिलाया था।
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अक्षय तृतीया और कुबेर-
कहते हैं कि कुबेर का खजाना कभी भी खत्म नहीं होता है और उन्हें स्वर्ग के अधिकारी के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि शिवपुरी के मंदिर में भगवान शिव की आराधना के बाद कुबेर को इसी दिन अपनी सारी संपत्ती मिली थी। इस दिन ही देवी लक्ष्मी को भी संपत्ति की देवी बनाया गया था और कुबेर और लक्ष्मी को संपत्ति का रखवाला बनाया गया था। इसलिए इस दिन को संपत्ती से जोड़कर देखा जाता है।
अक्षय तृतीया और मां गंगा की कहानी-
ऐसा माना जाता है कि इसी दिन देवी गंगा स्वर्ग से धरती पर आईं थी और धरती पर उन्होंने मनुष्यों को पापों से मुक्त करने का बीड़ा उठाया था।
तो ये थीं अक्षय तृतीया से जुड़ी सभी पौराणिक कथाएं जो इस दिन की मान्यता को और भी ज्यादा बढ़ाती हैं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Snapchat/ unsplash/ freepik
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