अक्षय तृतीया कब है? जानें तिथि, महत्व, इतिहास एवं पूजा विधि

अक्षय तृतीया के दिन चाहिए भगवान विष्णु और मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद तो करें ये काम। खुशियों और धन-धान्य से भरा रहेगा घर।

Akshaya Tritiya  main

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2022) मनाई जाती है। इस साल अक्षय तृतीया 3 मई, मंगलवार के दिन पड़ रही है। अक्षय तृतीया के दिन लोग सोने की खरीददारी करना बेहद शुभ मानते हैं। इसके अलावा इस दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।

अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी के पति भगवान विष्णु के अलावा देवी अन्नपूर्णा की भी पूजा-अर्चना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी पावन तिथि को मां अन्नपूर्णा भी अवतरित हुई थीं। विद्वानों के अनुसार, इस दिन यदि आप जरूरतमंदों को खाना खिलाते हैं या दान देते हैं तो आप पर मां अन्नपूर्णा की विशेष कृपा रहती है। इसके अलावा आपको कभी खाने-पीने की कमी नहीं होती है।

पंडित जी ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम भी अवतरित हुए थे। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इसीलिए इस दिन को परशुराम जयंती के तौर पर भी मनाया जाता है। आइए जानें पंडित अमित मिश्रा जी से अक्षय तृतीया का महत्व, इतिहास एवं पूजा विधि।

अक्षय तृतीया का महत्व (Akshaya Tritiya Significance)

Akshaya Tritiya  May

पंडित जी के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु और मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से आपका घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहेगा। साथ ही इस दिन परशुराम जयंती भी होती है। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम की भी पूजा कई जगहों पर की जाती है। अक्षय तृतीया अपने आप में एक अबूझ मुहूर्त है, इसलिए इस दिन बिना मुहूर्त देखे विवाह और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। लेकिन चूंकि अक्षय तृतीया मंगलवार के दिन पड़ रही है ऐसे में ये भूमि पूजन के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है।

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अक्षय तृतीया का इतिहास

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पंडित जी ने बताया कि पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी कि अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya Date) के दिन ही महर्षि जमदग्नि की पत्नी रेणुका ने भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम को जन्म दिया। अक्षय तृतीया के दिन ही अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा का भी अवतरण दिवस में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां अन्नपूर्णा काशी यानी कि बनारस में निवास करती हैं। ऐसे में यह भी कहा जाता है कि इस शहर में कोई भूखा नहीं रहता है। इस दिन अन्न-दान का विशेष महत्व है। अगर आप इस दिन पानी के बर्तन जैसे घड़ा, गिलास या पानी की बोतल का दान करते हैं तो भी आप सुख, समृद्धि, धन, यश और वैभव प्राप्त कर सकते हैं।

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अक्षय तृतीया पूजा विधि

पंचांग के मुताबिक, अक्षय तृतीया 3 मई मंगलवार को सुबह 05:39 से शुरू होगी और अगले दिन यानी कि 4 मई को प्रातः 7:32 तक रहेगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का शुभ मुहूर्त 3 मई को सुबह 05:39 से लेकर दोपहर 12:18 तक रहेगा। अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya Benefits ) को लक्ष्मी पति भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए प्रातः सुबह उठकर स्नान, ध्यान करें। पूरा दिन भगवान का चिंतन और मनन करें। आप इस दिन फलाहारी उपवास भी रख सकते हैं। अगर आप मां अन्नपूर्णा को खुश करना चाहते हैं तो ऐसे लोगों को खाने की चीजें दान करें जो जरूरतमंद हैं। पुराणों में मां अन्नपूर्णा को अन्न (खाद्य पदार्थ) की देवी माना गया है। ऐसे में माना जाता है कि उनके आशीर्वाद से जातक के घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी, देवी अन्नपूर्णा, भगवान विष्णु और परशुराम की इस विधि से पूजा अर्चना कर जीवन में लाएं खुशियां और धन-धान्य , यह लेख यदि आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें, साथ ही इसी तरह की अन्य जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें HerZindagi के साथ।

image credit: Shutterstock/pxhere/freepik

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