महिला सुरक्षा भारत में अब बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। आए दिन होती घटनाएं बहुत बड़ी हो गई हैं और आलम यहां तक पहुंच गया है कि 2018 की एक रिपोर्ट में भारत को महिलाओं के लिए सबसे खराब देश कहा गया था। यानी हम सूडान आदि से भी पीछे थे। 1 फरवरी 2020 को बजट आने वाला है। बजट 2020 कई मायनों में महत्वपूर्ण रहेगा क्योंकि इस बार निर्मला सीतारमन बतौर वित्त मंत्री अपना पहला फुल बजट पेश करने जा रही हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस बार उनका ध्यान कितना जाता है ये देखने वाली बात हो।
अगर हम पिछले बजट की बात करें तो पिछले अंतरीम बजट में केंद्र की तरफ से 1330 करोड़ महिला सुरक्षा पर दिया गया था। वैसे 2018-19 के मुकाबले ये 174 करोड़ ज्यादा था। लेकिन इससे कितना फायदा हुआ है ये तो हम सभी देख रहे हैं। जहां तक योजनाओं की बात है तो पिछले साल प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (Pradhan Mantri MUDRA Yojana) भी शुरू की गई थी जो महिलाओं को अफोर्डेबल और सही लोन लेने में मदद करती जो उनकी फाइनेंशियल सिक्योरिटी के लिए जरूरी था। इसके अलावा, नई मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana) की भी बात की गई थी और उज्जवला योजना और कई तरह की योजनाएं चल रही हैं, लेकिन अहम मुद्दा अभी भी वहीं का वहीं है, राह चलते सुरक्षा का इंतजाम कितना बढ़ा है। हाल ही की एक खबर है कि दिल्ली एयरपोर्ट से महिलाओं को घर और ऑफिस तक जाने के लिए All Women कैब मिलेगी। यानी इसकी ड्राइवर भी कोई महिला ही होगी।
2019 में महिलाओं के लिए बजट में ये स्कीम-
निर्मला सीतारमण ने अपने पहले बजट में 4.71% हिस्सा महिलाओं से जुड़ी स्कीम्स के लिए चुना था। पर ये 2019 और 2018 के बजट के मुकाबले कम था। 2019 में 4.99% और 2018 में बजट का 5.28% हिस्सा महिलाओं के लिए निर्धारित था। यानी पहले बजट में तो निर्मला सीतारमण महिलाओं को खुश करने में थोड़ी पीछे रह गई थीं।
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महिला सुरक्षा पर कितना?
पिछले साल के बजट में 891.23 करोड़ रुपए ही निर्भया फंड के नाम पर अलग रखे गए थे। इसके अलावा, इसका थोड़ा सा हिस्सा वुमेन हेल्पलाइन के लिए भी था।
इस बजट से क्या है उम्मीदें-
पिछले बजट के आंकड़े देखते हुए लगता है कि इस बजट में महिला सुरक्षा निर्मला सीतारमण के लिए एक बड़ी चुनौती के तौर पर खड़ी है। महिला सुरक्षा के लिए हम क्या सोचते हैं चलिए ये जानते हैं।
1. पब्लिक ट्रांसपोर्ट हो और भी ज्यादा सुरक्षित-
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में छेड़छाड़ के कितने किस्से आते हैं ये तो आपको पता ही होगा। Thomas Reuters Foundation की एक स्टडी बताती है कि दिल्ली का मेट्रो सिस्टम दुनिया का चौथा सबसे खतरनाक मेट्रो सिस्टम है महिला सुरक्षा के मामले में। यानी महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट अगर महिलाओं के लिए और सुरक्षित होता है तो ये पूरी सुरक्षा पर असर करेगा। मेट्रो स्टेशन के आस-पास की सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है।
2. सस्ता ट्रांसपोर्ट-
महिलाओं के लिए सुरक्षा और बढ़ेगी अगर ज्यादा से ज्यादा महिलाएं सड़कों पर होंगी। ये कहना एक महिला IPS का है। दिल्ली सरकार ने बस यात्रा और भी ज्यादा सस्ती कर दी है। इससे महिलाओं की आवाजाही बढ़ गई है। मंथली पास या ऐसी सुविधाएं अगर और भी ज्यादा होती हैं तो महिलाओं का आना-जाना भी बढ़ेगा। ऐसे में अगर हम महिला सुरक्षा की बात करें तो वो भी बढ़ेगी।
3. ओला-ऊबर का भी ध्यान-
जैसे दिल्ली एयरपोर्ट से ऑल वुमेन कैब्स चलना शुरू हुई हैं, दिल्ली में पिंक ऑटो और पिंक बस भी चलती हैं तो ऐसी स्कीम्स और शहरों में भी चलाई जा सकती हैं। अगर महिलाओं को लेकर ऐसी सुविधाएं शुरू की जाती हैं तो ज्यादा महिलाओं के लिए रोजगार की सुविधा भी बनेगी और साथ ही साथ यात्रा करने वालों की सुविधाएं भी बढ़ेंगी।
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4. नाइट पेट्रोलिंग-
ज्यादातर वारदातें रात के समय होती हैं। वैसे ऐसा नहीं है कि दिन में कोई सुरक्षा नहीं होती, लेकिन फिर भी रात का समय महिला सुरक्षा के लिए अहम होता है। नाइट पेट्रोलिंग अगर बढ़ा दी जाए तो इससे महिलाएं खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस कर सकेंगी।
5. हेल्पलाइन पर ज्यादा ध्यान-
2018 के बजट में 28.8 करोड़ रुपए महिला हेल्पलाइन स्कीम्स पर लगाए गए थे। ऐसे में अगर इस बजट को डबल कर दिया जाए तो ज्यादा महिलाओं को फायदा होगा। कई महिलाओं की शिकायत होती है कि हेल्पलाइन नंबर अधिकतर व्यस्त आते हैं या उनपर ज्यादा काम नहीं होगा। ऐसे में अगर बजट इसपर बढ़ता है तो ज्यादा फायदा महिलाओं को ही होगा।
6. ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा-
इसके लिए सिर्फ उज्जवला योजना ही नहीं बल्कि Mahila Shakti Kendra scheme (महिला शक्ति केंद्र स्कीम) भी चलाई गई थी। पर 2019 के बजट में महिलाओं की स्कीम्स थोड़ी पीछे रह गई थीं। इस तरह अगर हम देखें तो ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए अगर और स्कीम्स लाई जाती हैं तो ये उनके लिए काफी बेहतर होगा। इसी के साथ, ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सुरक्षा पर बने कानूनों में ढील देखी जाती है। अगर इसे थोड़ा और बेहतर किया जाए तो शायद स्थिति में बदलाव आएगा। इसके लिए भी बजट में अलग से प्रावधान की जरूरत है।
7. सोलो ट्रैवलर्स के लिए सुरक्षा-
महिलाओं के लिए अब सोलो ट्रैवल का ट्रेंड भी शुरू हुआ है। ऐसे में अगर सोलो ट्रैवलर्स के लिए कोई सरकारी एप या कोई अन्य सुरक्षा का इंतज़ाम किया जाए तो ये काफी अच्छा होगा। कोई ऐसा सरकारी ट्रैवल एप भी काम आ सकता है जो न सिर्फ महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों के लिए भी समान तरह से सुरक्षित इंतज़ाम करे।
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