आज के समय की बेतहाशा महंगाई में जिन महिलाओं का अपना घर है, उन्हें आर्थिक स्थिरता से बड़ी मजबूती मिलती है। लेकिन अपना घर खरीदना और उसे मेंटेन करना काफी चुनौतीपूर्ण काम है, क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा खर्च आता है और टैक्स से जुड़े कई प्रावधानों के कारण प्रॉपर्टी खरीदना और इससे बेहतर रिटर्न पाना थोड़ा मुश्किल हो गया है। सरकार से कर नियमों में सुधार की उम्मीद लगाई जा रही है। अब तक की बजट घोषणाओं में कई अच्छी घोषणाएं की गई थीं, जिससे साल 2022 तक सभी के लिए 'अपने घर का सपना' साकार हो सके। बजट 2020 में इस बार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से उम्मीदें हैं कि वह ऐसे कदम उठाएं, जिससे महिलाओं के लिए प्रॉपर्टी खरीदना और उसे मेंटेन करना आसान हो जाए।
Income-tax Act, 1961 के प्रावधानों के अनुसार किराए का घर होने पर उसकी वैल्यू का आंकलन Gross rental value से म्यूनिसिपल टैक्स को घटाकर किया जाता है। Net annual value में से घर की रिपेयर और मेंटेनेंस के मद में 30 फीसदी का स्टेंडर्ड डिडक्शन किया जाता है। इसके साथ ही हाउसिंग लोन पर दिए जाने वाले ब्याज पर भी डिडक्शन किया जाता है। इनके आधार पर प्रॉपर्टी से होने वाली आय पर कर लगता है। Self occupied house की ग्रॉस एनुअल वैल्यू शून्य होती है। वित्त वर्ष 2019-20 के आरंभ से एक व्यक्ति दो Self occupied house रख सकता है और लोन पर चुकाए गए ब्याज पर Loss क्लेम कर सकता है। साल 2002 से 30 फीसदी के स्टेंडर्ड डिडक्शन में कोई इजाफा नहीं किया गया है। महंगाई के मद्देनजर रिपेयर, यूटिलिटीज और मेंटेनेंस आदि को ध्यान में रखते हुए सरकार स्टेंडर्ड डिडक्शन की सीमा बढ़ाकर 50 फीसदी कर सकती है।
हाउसिंग लोन पर जितना ब्याज अदा किया जाता है, उस पर भी कर में छूट के लिए दावा किया जा सकता है। Self-occupied house property के लिए फिलहाल डिडक्शन की सीमा 2 लाख रुपये की है। इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि घर self occupied हो या let -out, डिडक्शन की कुल तय सीमा 2 लाख ही है, फिर चाहे आपके पास एक घर हो या एक से अधिक। 2 लाख के स्टेंडर्ड डिडक्शन में pre-construction interest भी शामिल है, जिसे पांच बराबर किश्तों में क्लेम किया जा सकता है। जब तक आप होम लोन पर ब्याज भरते रहेंगे तब तक लॉस क्लेम करते रहेंगे। उदहारण के तौर पर यदि लोन 20 साल के लिए लिया है तो लॉस 20 साल तक क्लेम करेंगे। अपना घर लिए जाने पर शुरुआती सालों में ब्याज की रकम बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में सरकार हाउसिंग लोन पर ब्याज में मिलने वाले डिडक्शन को बढ़ाकर 5 लाख कर सकती है। इससे महिलाओं के लिए प्रॉपर्टी से जुड़े खर्चों को मैनेज करना आसान हो जाएगा।
सर्टीफाइड फाइनेंशियल प्लानर पंकज मठपाल का कहना है,
'वैसे तो कई राज्यों में महिलाओं के लिए घर खरीदने पर लगने वाली स्टैम्प ड्यूटी में छूट का प्रावधान है, किंतु यह सभी राज्यों में एक समान नहीं है। केंद्र सरकार इसे सभी राज्यों में एक समान करने का प्रस्ताव रख सकती है। कई महिलाएं असंगठित क्षेत्रों में काम करती हैं और उनकी आमदनी अनियमित होती है। आमदनी के मान्य कागजात नहीं होने की वजह से ऐसी महिलाओं को होम लोन मिलने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस पर सरकार को प्रावधान लाने की जरूरत है। इसके अलावा आजकल बिना ऋण लिए घर खरीद पाना नामुमकिन हो गया है। इसलिए महिलाओं के लिए होम लोन के नियम थोड़े आसान बनाने की आवश्यकता है और साथ ही ऋण पर लगने वाले ब्याज में रियायत दी जानी चाहिए।'
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