जब महिला हितों की सुरक्षा होती है, तभी वे सेफ महसूस करती हैं और अच्छा लाइफस्टाइल जीने और अपनी खुशहाली के बारे में सोच पाती हैं। इसके लिए महिलाओं का अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना जरूरी है। जब महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में पता होता है तो वे किसी भी अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम होती हैं। इस लिहाज से हमने पिछले एक साल में महिला अधिकारों और उनकी सुरक्षा से जुड़े अहम कानूनों के बारे में बताया। हमने आपको दहेज उत्पीड़न कानून में हुए संशोधन, शादीशुदा महिलाओं के लिए फिजिकल रिलेशन्स पर पर आए हाई कोर्ट के फैसले के साथ ट्रिपल तलाक और होमोसेक्शुलिटी के कानून में आए बदलावों के बारे में बताया। आपको हमारे आर्टिकल्स पसंद आए, इसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया। इन आर्टिकल्स पर जब हमें आपके प्रेरणादायक कमेंट्स मिले तो उससे यह बात साबित हो गई कि हम सही दिशा में प्रयास कर रहे हैं, इससे हमें आगे और बेहतर करने की प्रेरणा मिली है।आइए जानें कि इन आर्टिकल्स में हमने किस तरह के प्रावधानों और संशोधनों के बारे में बताया और क्यों महिलाओं ने उन्हें इतना पसंद किया-
दहेज उत्पीड़न करने पर पति की सीधे हो सकती है गिरफ्तारी
दहेज उत्पीड़न के कितने ही मामलों में महिलाएं चुपचाप पति और ससुरालवालों की नाइंसाफी बर्दाश्त करती रहती हैं। ऐसी महिलाओं को घरेलू हिंसा या अपने साथ किसी तरह की अनहोनी का डर सताता है। इसीलिए वे आगे बढ़कर अपनी तकलीफों के बारे में बताने का साहस नहीं जुटा पातीं। खासतौर पर लव मैरिज वाले मामलों में महिलाओं पर अपने संबंधों को अच्छा बनाए रखने का दबाव होता है। दहेज उत्पीड़न महिलाओं को अंतर से तोड़कर रख देता है। दहेज उत्पीड़न की शिकार होने वाली बहुत सी महिलाएं घर की चारदीवारी तक सिमटकर रह जाती हैं। ऐसी महिलाओं को हिम्मत और हौसला देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न से जुड़े कानून में अहम बदलाव लाए हैं। अब ऐसे मामलों में पुलिस त्वरित कार्रवाई करते हुए सीआरपीसी की धारा 41 के तहत पति की सीधे गिरफ्तारी भी कर सकती है। दहेज उत्पीड़न के कानून में हुए इस संशोधन के बारे में जानकर महिलाएं काफी खुश हुईं और उन्होंने इसे महिलाओं को कानूनी सुरक्षा देने की दिशा में एक सकारात्मक पहल बताया।
शादी का मतलब यह नहीं कि फिजिकल रिलेशन के लिए पत्नी हमेशा तैयार हो
महिलाएं फिजिकल रिलेशन्स बनाना चाहती हैं या नहीं, यह पूरी तरह से उनकी मर्जी पर निर्भर करता है। शादी के बाद महिलाओं को अपने पति और ससुराल वालों के साथ रिश्ता निभाने का दबाव होता है। घर-परिवार की चीजें अच्छी हों तो भी महिलाओं पर उनके पति फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए दबाव नहीं डाल सकते। इस आर्टिकल में हमने दिल्ली हाईकोर्ट की एक अहम टिप्पणी का जिक्र किया था, जिसमें कहा गया था कि ‘शादी का यह मतलब नहीं है कि कोई महिला अपने पति के साथ फिजिकल रिलेशन बनाने के लिए हमेशा तैयार रहे।‘ इस मामले में हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि शादी जैसे रिश्ते में पुरुष और महिला दोनों को शारीरिक संबंध के लिए 'ना' कहने का अधिकार है। महिलाओं को उनकी शादीशुदा जिंदगी के निजी लम्हों में हासिल इस अधिकार के बारे में जानकार काफी खुशी हुई।
ट्रिपल तलाक देना अब है अपराध, मोदी की कैबिनेट ने पारित किया अध्यादेश
मुस्लिम महिलाओं में ट्रिपल तलाक की शिकार बनी कितनी ही महिलाओं के मामले हमारे सामने हैं। कई मामलों में बिल्कुल गैर-जरूरी चीजों को लेकर तीन तलाक दिए जाने के मामले सामने आए। तीन तलाक के साथ मुस्लिम महिलाओं में अपने साथ होने वाली ज्यादती को लेकर काफी रोष था और इसे लेकर वे लंबे समय से आवाज भी उठा रही थीं। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केंद्रीय कैबिनेट ने ट्रिपल तलाक को अपराध करार देने वाला अध्यादेश पारित कर दिया। इस अध्यादेश के आने से मुस्लिम महिलाओं की कानूनी स्थिति मजबूत होगी और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक फैसले में कहा कि समलैंगिकता अब अपराध नहीं है
समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखे जाने की वजह से बहुत सी महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थीं और अपनी बातों को खुलकर एक्सप्रेस नहीं कर पाती थीं। समलैंगिक आम भारतीयों नागरिकों की तरह अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकें, इसे लेकर काफी लंबे समय से आवाजें उठाई जा रही थीं। आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों के संबंधों को अपराध करार देने वाले कानून को आंशिक रूप से खत्म कर दिया। इससे समलैंगिक महिलाओं समाज में स्थिति मजबूत होगी और वे खुलकर अपने हक के लिए आवाज उठा सकेंगी। इस संबंध में धारा 377 में हुए संशोधन पर महिलाओं ने खुशी जताई और इसे समलैंगिकों के अधिकारों की जीत बताया।
साल 2017 के कानून, जिनके बारे में जानना हर महिला के लिए है जरूरी
साल 2017 में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई अहम फैसले दिए गए और कानूनी प्रावधान दिए गए, जिसके बारे में हमने अपने इस आर्टिकल में बताया। इसमें हमने निर्भया के दोषियों को हुई फांसी, नाबालिग पत्नी से संबंध बनाने को रेप की श्रेणी में गिना जाना, बच्चियों से रेप करने पर फांसी की सजा का प्रावधान और गर्भपात कराने के लिए पति की मंजूरी जरूरी नहीं जैसे प्रावधानों के बारे में बताया। इन अलग-अलग फैसलों और कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकर महिलाओं को जागरूक होने में मदद मिली और इसीलिए इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद हमें ढेर सारे उत्साहवर्धक कमेंट्स मिले।
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