इस बार का साल काफी उथल-पुथल वाला रहा। लेकिन जैसा भी रहा... महिलाओं के लिए काफी अच्छा रहा। क्योंकि इस बार तीन तलाक से लेकर निर्भया के केस तक पर बात हुई। हमेशा से महिलाओं को नीचे दर्जे का समझा जाता था और उनके साथ व्यवहार भी वैसा ही किया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे चीजें बदल रही हैं। महिला आरक्षण पर संसद में बहस नहीं हो पा रही है तो क्या... धीरे-धीरे कुछ ऐसे कानून लाएं जा रहे हैं जो महिलाओं के हक में होते हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट भी ऐसे-ऐसे फैसले देते रहा है जिनसे साबित होता है कि महिलाओं को यहां तो जरूर न्याय मिलेगा।
तो चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कि इस साल ऐसे कौन से फैसले आए और कानून बनाए गए जो महिलाओं के लिए आगे चलकर जरूरी साबित होने वाले हैं।
निर्भया के दोषियों को हुई फांसी
2012 का निर्भया मामला इसी साल न्याय तक पहुंच पाया। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया केस के चार दोषियों को सुनाई फांसी की सजा बरकरार रखी। 5 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने अपना फैसला पढ़ते हुए चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए निर्भया कांड को 'सदमे की सुनामी' बताया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद कोर्ट रूम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। निर्भया के परिवार वालों ने इसे न्याय की नजीर कहा था।
नाबालिग पत्नी से संबंध बनाना भी होगा रेप
इस साल का सबसे बड़ा फैसला था नाबालिग पत्नी से संबंध बनाना होगा रेप।
अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा था कि"15 से 18 साल की नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने पर पति पर रेप का केस चलाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की उधारा IPC375(2) को असंवैधानिक बताया था, जिसके अनुसार 15 से 18 साल की पत्नी से पति का संबंध बनाना रेप नहीं माना जाता।"
NGO Independent thought ने 2013 में धारा 375 (2) को विवाहित और गैर विवाहित 15 से 18 वर्ष की लड़कियों मे भेदभाव करने वाला बताते हुए इसे रद करने की मांग की थी। पहले आईपीसी की धारा 375 (2) के तहत 15 से 18 वर्ष की नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना रेप नहीं माना जाता था। धारा 375 (2) को रद करने के लिए एनजीओ ने दलील दी थी कि नाबालिग पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना रेप की श्रेणी में आना चाहिए।
बच्चियों से रेप करने पर मिलेगी फांसी
मध्यप्रदेश सरकार इस साल महिलाओं के लिए बहुत सारी सौगात लेकर आई। इस साल मध्यप्रदेश सरकार ने दिवाली पर विधवा महिलाओं के लिए एलान किया था कि उनसे शादी करने वाले को 2 लाख रुपये देगी। इसी तरह बच्चियों के लिए लैपटॉप भी बंटवाए गए थे। लेकिन इन सब फैसलों के बीच मध्यप्रदेश सरकार का सबसे बड़ा फैसला था राज्य के कानून में बदलाव करने का।
मध्यप्रदेश सरकार ने विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले एक कानून पास किया, जिसके अनुसार 12 साल या उससे कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने वाले को फांसी की सजा दी जाएगी। इस तरह का कानून लाने के लिए कैबिनेट ने 376AA और 376DA के रूप में संशोधन किया है। गैंगरेप के दोषियों को भी फांसी की सजा मिलेगी।
गर्भपात कराने के लिए पति की मंजूरी जरूरी नहीं
नवम्बर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया। अब तक महिलाओं को अबॉर्शन कराने के लिए पति की इजाजत लेनी पड़ती थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि किसी भी महिला को अबॉर्शन कराने के लिए पति की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी। एक याचिका की सुनवाई करते सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए.एम खानविलकर की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि "बच्चे को जन्म देने वाली मां पूरी तरह से व्यस्क होती है और उसे पूरा अधिकार है कि वह अपने बच्चे को जन्म देना चाहती है या नहीं। इसलिए गर्भपात कराने के लिए महिला को अपने पति से इजाजत लेने की जरूरत नहीं।"
तीन तलाक देना होगा गैरकानूनी
साल के अंत में मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को इस साल का सबसे बड़ा गिफ्ट दिया। सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए तीन तलाक को गैरकानूनी करार दिया। उसके बाद मोदी सरकार के गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक बिल ड्राफ्ट तैयार किया गया। इस तीन तलाक बिल को यूनियन कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। अब यह बिल आने वाले दिनों में संसद में पेश किया जाएगा। आपको बता दें कि ये बिल केवल तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर लागू होगा। इस कानून के बाद अगर कोई भी तत्कालिन तीन तलाक देता है तो वो गैर-कानूनी होगा और इसके लिए तीन साल तक की जेल हो सकती है।
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