Bhagwan Shiv Path: भगवान शिव एक बेलपत्र चढ़ाने मात्र से खुश हो जाते हैं। ऐसे में अगर उनकी पूर्ण श्रद्धा के साथ पूजा की जाए तो वह अपने भक्तों पर अपनी अपार कृपा बरसाने से नहीं चूंकते। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स का ये कहना है कि भगवान शिव की स्तुति करने के कई माध्यम हैं। जिनमें से एक है उनके स्तोत्र का अखंड पाठ।
हमारे एक्सपर्ट के मुताबिक, यूं तो भोलेनाथ के कई स्तोत्र हैं लेकिन रुद्राष्टकम स्तोत्र को गृहस्त लोगों के लिए उत्तम बताया गया है। इसका एक तो कारण यह है कि अन्य स्तोत्रों की अपेक्षा यह स्तोत्र सरल संस्कृत में हैं और छोटा है। वहीं, दूसरा कारण यह है कि इस स्तोत्र के पाठ से अकाल मृत्यु जैसा भयावह योग भी टल जाता है और यह पाठ शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त करवाता है। ऐसे में आइए जानते हैं हमारे एक्सपर्ट द्वारा बताए गए इस स्तोत्र के निरंतर जाप के अखंड और अचूक लाभों के बारे में।
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजे हं
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं।
करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतो हं॥2॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि॥4॥
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प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं। अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम्।
त्रय: शूल निर्मूलनं शूलपाणिं। भजे हं भवानीपतिं भावगम्यं
कलातीत कल्याण कल्पांतकारी। सदासज्जनानन्ददाता पुरारी।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी। प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी॥6॥
न यावद् उमानाथ पादारविंदं। भजंतीह लोके परे वा नराणां।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं। प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं
न जानामि योगं जपं नैव पूजां। नतो हं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यं।
जराजन्म दु:खौघ तातप्यमानं। प्रभो पाहि आपन्न्मामीश शंभो॥8॥
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये।
ये पठन्ति नरा भक्तया तेषां शम्भु: प्रसीदति॥
॥ इति श्री गोस्वामी तुलसिदास कृतम श्रीरुद्राश्ह्टकम संपूर्णम ॥
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श्रीरामचरितमानस में वर्णित उल्लेख के अनुसार, प्रभु श्री राम ने रावन से युद्ध से पहले महादेव की स्तुति की थी। श्री राम (भगवान राम की मृत्यु से जुड़े रहस्य) ने भोलेनाथ की स्तुति के दौरान न सिर्फ भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी अपितु उन्हों काव्य के रूप में लयबद्ध तरीके से रुद्राष्टकम स्तोत्र का अखंड पाठ भी किया था।
माना जाता है कि श्री राम के इस पाठ के जाप से प्रसन्न होकर स्वयं रूद्र अर्थात भगवान शिव (भगवान शिव की क्यों हैं तीन आंखें) ने उन्हें युद्ध में विजय प्राप्त होने का वरदान दिया था और श्री राम ने रावण वध कर लंका पर जीत हासिल भी की थी।
शास्त्रों के अनुसार, रुद्राष्टकम पाठ से जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है। शत्रु पक्ष पर विजय प्राप्त करने की इच्छा से अगर कोई व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ करे तो उसे जरूर लाभ मिलता है। रुद्राष्टकम पाठ से व्यक्ति को असीम बल, सकारात्मक ऊर्जा और निर्भीक व्यक्तित्व की प्राप्ति होती है।
तो ये थे भगवान शिव के परम दिव्य और प्रभावकारी रुद्राष्टकम पाठ के लाभ। इस आर्टिकल को शेयर और लाइक जरूर करें, साथ ही कमेंट भी करें। धर्म और त्यौहारों से जुड़े ऐसे ही और आर्टिकल पढ़ने के लिए रहें जुड़े हरजिंदगी से।
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