भारत में बने हर एक मंदिर में आपको भगवान शिव की मूर्ति देखने को जरूर मिलेगी। अगर आप उनकी प्रतिमा को गौर से देखेंगे तो उनके माथे पर आपको एक आंख नजर आएगी। मतलब ये कि भगवान शिव की 2 नहीं बल्कि 3 आंखें हैं।
बहुत से लोग इस बारे में जानते हैं और बहुत से लोग अंजान भी हैं। हालांकि इसके पीछे का कारण शायद ही किसी को मालूम हो। भगवान शिव की तीसरी आंख केपीछे का क्या रहस्य है इस आर्टिकल में हम आपको इसी विषय के बारे में बताने वाले हैं।
भगवान शिव की तीसरी आंख क्यों हैं?
- महाभारत के एक खंड में दी गई जानकारी के मुताबिक भगवान शिव, पार्वती और नारद जी के बीच हो रही बातचीत के दौरान बताया गया है कि शिव जी की तीसरीआंख कैसे उत्पन्न हुई थी।
- नारद कहते हैं कि भगवान शिव हिमालय पर्वत पर सभा कर रहे थे। इस सभा में देवता, ऋषि-मुनि और ज्ञानीजन भी मौजूद थे। तभी पार्वती जी वहां आकर भगवान शिवकी दोनों आंखों पर हाथ रख देते हैं।
- ऐसा करने से पृथ्वी पर सब कुछ काला हो जाता है और ऐसा लगता है कि मानो सब विनाश हो जाएगा। इसी को देखते हुए भगवान शिव व्याकुल हो उठते हैं औरउनकी तीसरी आंख उत्पन्न होती है।

तीनों काल को देख सकती है तीसरी आंख
भगवान शिव की तीसरी आंख काफी शक्तिशाली है। इस आंख से वो तीनों काल यानी भूत, भविष्य और वर्तमान को देख सकते हैं। यही कारण है कि शिव जीकी तीसरी आंख को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। कहा जाता है वो इस आंख से वो सब कुछ देख सकते हैं जो सामान्य आंख नहीं देख सकती है।
कब खोलते हैं शिव जी तीसरी आंख
माना जाता है कि जब ब्रमांड में सबकुछ अच्छा ना हो तब शिव जी क्रोधित होकर आंख खोलते हैं। उनकी तीसरी आंख के खुलने को खतरे की घंटी की तरह देखा जाता है। (संतान सुख के लिए पूजा के साथ पढ़ें यह व्रत कथा)
उम्मीद है आपको अब समझ आ गया होगा कि भगवान शिव की 3 आंख क्यों हैं। अगर आप इसके अलावा ऐसी ही कोई जानकारी लेना चाहते हैं तो कमेंट सेक्शन में सवाल जरूर करें।
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Photo Credit: Jagran, HerZindagi
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