Saraswati Puja Murti Visarjan Muhurat 2025: बसंत पंचमी के दिन कब और कैसे करें मां सरस्वती का विसर्जन? जानें विधि एवं मुहूर्त

शास्त्रों में वर्णित जानकारी के अनुसार, जहां एक ओर बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की प्रतिमा को घर में स्थापित किया जाता है। वहीं, दूसरी ओर उसके अगले दिन मां सरस्वती की प्रतिमा का विसर्जन करने का विधान है।  
basant panchami 2025 saraswati visarjan muhurat

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा-आराधना करने का विधान है। इस साल बसंत पंचमी 3 फरवरी, दिन सोमवार को पड़ रही है। विशेष बात यह भी है कि सरस्वती पूजा के दिन ही शाही या अमृत स्नान का योग भी बन रहा है। शास्त्रों में वर्णित जानकारी के अनुसार, जहां एक ओर बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की प्रतिमा को घर में स्थापित किया जाता है। वहीं, दूसरी ओर उसके अगले दिन मां सरस्वती की प्रतिमा का विसर्जन करने का विधान है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं सरस्वती विसर्जन के शुभ मुहूर्त, विधि और मंत्र के बारे में विस्तार से।

सरस्वती विसर्जन 2025 का मुहूर्त (Saraswati Visarjan 2025 Ka Muhurat)

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सरस्वती विसर्जन षष्ठी के दिन किया जाएगा। ऐसे में षष्ठी तिथि का आरंभ 3 फरवरी को सुबह 9 बजकर 52 मिनट से हो रहा है। वहीं, इसका समापन 4 फरवरी, दिन मंगलवार को रात 9 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में सरस्वती विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट है।

सरस्वती विसर्जन 2025 की विधि (Saraswati Visarjan 2025 Ki Vidhi)

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विसर्जन से पहले, मां सरस्वती की मूर्ति को अच्छे से साफ करें और उनका श्रृंगार करें। मां सरस्वती की प्रतिमा के पास फूल, दीपक, अगरबत्ती और चंदन आदि से पूजा करें। पूजा के समय विशेष रूप से मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करें। फिर एक लाल कपड़े में मां की प्रतिमा को रखें और पवित्र नदी में विसर्जित कर दें।

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सरस्वती विसर्जन 2025 के मंत्र (Saraswati Visarjan 2025 Ke Mantra)

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सरस्वती विसर्जन के दौरान मां सरस्वती के मंत्रों का जाप करना अत्यधिक शुभ माना गया है। इससे मां के जाने के बाद भी उनकी ऊर्जा और दिव्यता घर में वास करती है। मां सरस्वती का विसर्जन करते समय हाथ में शुद्ध जल लें और श्रद्धा से बोलें- ओम सांग-सवाहन-सपरिवार भूर्भुवःस्वः श्रीसरस्वती पूजितासि प्रसीद प्रसन्ना।

माता का विसर्जन करने के बाद इस मंत्र का उच्चारण करें- क्षमस्व स्वस्थानं गच्छ। इसके अलावा, 'ओम गं गणपति पूजितोसि-प्रसीद-प्रसनो-भव-क्षमस्व स्वस्थानं गच्छ।', 'ओम सूर्यादि नवग्रहाः पूजितोसि-प्रसीद-प्रसनो-भव-क्षमस्व स्वस्थानं गच्छ।', 'ओम इन्द्रादि दशदिक्पालाः प्रसीद-प्रसनो-भव-क्षमस्व स्वस्थानं गच्छ।' मंत्र का एक-एक कर जाप करें।

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image credit: herzindagi

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