यौन शोषण एक ऐसा विषय है, जिस पर बात करना किसी भी महिला के लिए बहुत मुश्किल होता है खासतौर पर उन महिलाओं के लिए जिसने इसे अनुभव किया है। हालांकि कई महिलाएं बहादुरी से इसके खिलाफ आवाज उठा रही हैं और अपनी कहानी शेयर करके जागरूकता लाने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन फिर भी कुछ महिलाएं आगे आने से डरती हैं और चुप्पी साधे रहती हैं। 2017 में इंडियन बार एसोसिएशन द्वारा किए गए सर्वे में पाया गया कि देश-भर से 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट इसलिए नहीं की, क्योंकि उन्हें नतीजों का डर था। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 2017 में भारत में यौन उत्पीड़न के सबसे अधिक मामले, जिसमें दिल्ली में 613, मुंबई में 391 और कानपुर में 162 दर्ज किए गए। किसी अन्य राज्य की तुलना में तेलंगाना में कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न के अधिक मामले दर्ज किए गए। बिहार सार्वजनिक परिवहन में यौन उत्पीड़न के सबसे अधिक मामले दर्ज करने वाला राज्य था। कुछ महिलाओं ने अपनी चुप्पी तोड़ी और हरजिंदगी के साथ अपनी यौन शोषण की कहानी शेयर की। आइए ऐसी ही कुछ महिलाओं की आपबीती के बारे में जानते हैं।
डिस्क्लेमर: MySafetyMyRight कैंपेन के अंतर्गत HerZindagi के रीडर ने हमारे साथ अपनी यौन शोषण की कहानी शेयर कीं। ये आर्टिकल इन्हीं पर्सनल एक्सपीरियंस से बनाया गया है। हमने नाम दिया है ताकि उनकी पहचान को गुप्त रखा जा सकें। इस आर्टिकल को लिखने का उद्देश्य महिलाओं को जागरूक करना और चुप्पी तोड़कर आगे बढ़कर यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठने के लिए प्रोत्साहित करने का है।
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"उसने मुझे डीटीसी बस में गलत तरीके से छुआ"
प्रिया जो अब एक हाउसवाइफ है, उन्होंने हमारे साथ अपने कॉलेज के दिनों की आपबीती शेयर की। उनका कहना है कि ''हर लड़की की तरह मुझे भी कॉलेज में अच्छे से ड्रेसअप होकर जाना पसंद था। और हम लोग कॉलेज डीटीसी बस में जाया करते थे, जिसमें एक छोटी सी सीढ़ी होती थी। जिस दिन मेरे साथ यह घटना हुई मैंने लॉग स्कर्ट पहनी हुई थी और बारिश हो रही थी। मेरे हाथ में छाता भी था। जब मैं बस में चढ़ रही थी तो मेरे पीछे कोई आदमी भी चढ़ रहा था। उसने हाथ रेलिंग में रखने की बजाय, मेरी स्कार्ट में अंदर करके थाई पर रख दिया। मैंने जल्दी से उसे अपनी छतरी से मारकर, पीछे से लात मारी, यह देखें बिना कि वह कौन है, मैं आगे बढ़ी और बस में बैठ गई ... वह आखिरी बार था जब मैंने स्कर्ट पहनी थी। लेकिन मुझे अब लगता है कि मुझे उस आदमी की शिकायत करनी चाहिए थी।''
''अनजान व्यक्ति ने किया लगातार मेरा पीछा''
अनुभा जो एक वर्किंग महिला हैं, उन्होंने भी हमारे साथ अपनी आपबीती शेयर की। उनका कहना हैं कि ''मुझे रोज ही अपने ऑफिस से घर तक अकेले ही सफर करना होता है। मैं पहले बस और बाद में मेट्रो से सफर करती हूं। पहले बस लेना और फिर सबवे से मेट्रो स्टेशन तक पहुंचना मेरा रोज का ही रूटीन है। मगर, जब मैंने इस रूट से आना-जाना शुरू किया था तब सबवे को क्रॉस करके मुझे मेट्रो स्टेशन जाने में डर लगता था। सबवे में एक लंबा पैच है जहां लाइट्स तो हैं मगर न तो कोई सीसी टीवी कैमरा लगा है और पहले तो वहां गार्ड भी नहीं रहता था। मेरे साथ 2 बार ऐसा हुआ जब अनजान व्यक्ति ने मेरा पीछा किया और वह मुझे बुरी तरह से घूरता था, मैं एलर्ट थी इसलिए कोई घटना नहीं घटी। मैने मेट्रो पुलिस को एक शिकायती पत्र लिखा और उसमें सबवे के अंदर गार्ड बैठाने के मांग की तब से वहां एक गार्ड हमेशा ही पैट्रोलिंग के लिए रहता है। मुझे यह करने के बाद लगता है कि मैंने केवल अपनी ही सेफ्टी नहीं बल्कि दूसरी महिलाओं की सेफ्टी के लिए भी कुछ काम किया है।''Women Safety: महिलाएं अपने पास जरूर रखें ये 5 सेफ्टी टूल्स
"उन्होंने मेेेेरा 10 किमी तक पीछा किया और रोक दिया"
आरती जो एक स्टूडेंट हैं, उन्होंने ने भी हमारे साथ आपबीती शेयर की, "मैं गोवा घूमने गई थी और लोगों का कहना है कि गोवा भारत में ज्यादा सुरक्षित जगह है, लेकिन जब मैंने अपनी स्कूटी किराए पर ली तो कुछ स्थानीय लोगों ने मेरा पीछा करना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि वे शायद उसी दिशा में जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने 10 किमी तक मेरा पीछा किया था। अचानक से वह आगे आ गए और अपने वाहन को ठीक मेरे सामने रोक दिया। मुझे रुकना पड़ा और अचानक उनमें से एक ने आकर मेरा हाथ पकड़ लिया। सौभाग्य से, मेरे पास स्टन गन थी, मैंने उसका इस्तेमाल किया और चिल्लाना शुरू कर दिया। मेरी आवाज़ सुनकर कुछ लोग बचाव के लिए आ गए और वह लोग भाग गए।'' आरती की तरह लगभग हर महिला को अपनी सुरक्षा के लिए अपने पास कोई न कोई सेफ्टी टूल रखना चाहिए।
''2 लोगों ने भरी सड़क में मुझे कार में खींचने की कोशिश की''
करीना जो एक वर्किंग लड़की है, उसने अपनी आपबीती शेयर करते हुए कहा, "मैं घर जा रहा थी ... लगभग घर तक पहुंच ही गई थी, लेकिन अचानक यह क्या हुआ, मेरी कॉलोनी के बाहर सड़क आती कार में तीन आदमी (मैं हमेशा ट्रैफ़िक फ्लो के दूसरी साइड चलती हूं), रुक गए, और मुझे कार में अंदर खींचने की कोशिश की। शाम के 8 बजे थे और वह सड़क हमेशा बिजी रहती है। एक ड्राइवर की सीट पर था और अन्य दो पीछे की सीट पर थे जो मुझे खींचने लगे थे। मैं जोर-जोर से चिल्लाने लगी। मुझे लगता है कि मेरा वजन थोड़ा ज्यादा है इसलिए वह मुझे पूरी तरह से खींच नहीं पाए। मैं आधा अंदर थी और आधा बाहर। तब फुटपाथ पर रहने वाली आदिवासी महिला (जिनकी बेटी से मैं कभी-कभी चाय पीती थी, और वे दरांती बनाने वाले है) अपनी दरांती के साथ उन लोगों के पास दौड़ती हुई आई। उस महिला ने मुझे वहां से भागने के लिए कहा। और मैं वहां से तेजी से भाग गई और बच गई। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि पुलिस स्टेशन के सामने की घटना है!"
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''गंदी फोटो दिखाने लगा''
यह आपबीती हमारे साथ सीमा ने शेयर की जो अब एक वर्किंग महिला हैं। उनका कहना हैं कि ''जब मैं 12 साल की थी तब मेरी मम्मी ने मुझे टेलर के पास अपनी ड्रेस का डिजाइन देखने के लिए भेजा। वह किसी काम से कहीं गई हुई थीं और मुझे ड्रेस जल्दी चाहिए थी, इसलिए उन्होंने मुझे अकेले ही टेलर के पास भेज दिया। लेकिन टेलर मुझे ड्रेस के डिजाइन दिखाने की बजाय, गंदी फोटोज दिखाने लगा। पहले तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या है, लेकिन जब लगा कि कुछ गलत हैं तो मैं वहां से भाग गई। मैं इतना डर गई थीं कि मैंने अपनी मम्मी को कुछ नहीं बताया। उस दिन को याद कर-करके आज भी मुझे बहुत अजीब अनुभव होता है। लेकिन मुझे आज लगता है कि मुझे कम से कम अपनी मम्मी को तो इस बारे में बताना चाहिए था।''Case Study: रेप का एक ऐसा मामला जिसमे रक्षक ही बन गया भक्षक, देखें वीडियो
"जब मैं 10 साल की थी तब मेरे नौकर ने मेरे साथ छेड़छाड़ की"
अमिता जो अब एक हॉस्पिटल में एक फिजियोथेरेपिस्ट है, जब वह सिर्फ 10 साल की थी तब वह छेड़छाड़ का शिकार हुई थी। अमिता कहती है ''एक बच्चे के रूप में मेरी दादी के घर का नौकर मुझे अनुचित तरीके से छूता था, लेकिन तब मैं सिर्फ 10 साल की थी, और मुझे इस बारे में जानकारी नहीं थी कि यह गलत था। जब तक # मीटू नहीं आया था, तब तक मुझे इस बात का एहसास भी नहीं हुआ कि मेरा यौन शोषण किया गया था।" नौकर, मेरा कजिन और मैं लुका-छिपी खेलते थे और वह नौकर मुझे छिपाने के लिए ले जाता था ताकि वह मेरे साथ छेड़छाड़ कर सकें। वह मुझे यह कहते हुए विचलित करता था कि मेरा चचेरा भाई कहीं पास में ही है और हमें कहीं और छिपना चाहिए। ऐसा उसने मेरे साथ 1 साल तक किया, फिर उसे चोरी के इल्जाम में घर से निकाल दिया गया। अब मुझे यह सब याद करके लगता है कि यह कितना असहज था।''निर्भया कांड 16 दिसंबर 2012: ये कानून दिलवा सकते हैं महिलाओं को इंसाफ, जाने एक्सपर्ट से
अगर आपके साथ भी ऐसी ही कोई घटना घटी हैं तो चुप्पी तोड़कर आप भी हमारे साथ अपनी आपबीती जरूर शेयर करें।
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