कहानी में अब तक: विकास और मनोज सुहानी के दो सीनियर्स थे जो ऑफिस में उसे हैरेस करते थे। घर की मजबूरियों के कारण सुहानी के लिए नौकरी करना बहुत जरूरी था। आज उसके ऑफिस की बाकी दो लड़कियां नहीं आई थीं और नाइट शिफ्ट में उसके सीनियर मनोज ने कुछ ऐसा कर दिया कि वो अपने होश खो बैठी।
मनोज ने अपना हाथ आगे बढ़ाया, थोड़ा सा झुका और सुहानी के माने पर आ रहे पसीने को अपने हाथ से पोंछ दिया। सुहानी इतना घबरा गई कि एकदम से उठकर वॉशरूम में चली गई। उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं और हाथ-पैर कांपने लगे। सुहानी को लग रहा था कि वो अपनी नौकरी को मैनेज कर लेगी, लेकिन जिस तरह से उसके हालात थे, ऐसा लग रहा था कि उसे कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा। पहली बार सुहानी को इस तरह का पैनिक अटैक आया था। वो काफी देर तक खुद को नॉर्मल करने की कोशिश करती रही, लेकिन उससे कुछ ना हो सका। वो बाहर जाने से घबरा रही थी, उसे लग रहा था कि आज अगर वो बाहर गई, तो उसके साथ कुछ ऐसा हो जाएगा कि वो खुद को बचा ही नहीं पाएगी।
किसी तरह 40 मिनट बाद खुद को संभाल कर सुहानी बाहर आई। 'आज तो हमें लगा आधी रात वहीं निकाल दोगी, आज काम ज्यादा है, मेहनत भी ज्यादा होगी और तुम पता नहीं वहां क्या करने लगी थीं...' विकास ने फिर से एक भद्दी सी हंसी के साथ सुहानी के सामने मजाक किया। आज की रात उसके लिए बहुत लंबी होने वाली थी। मनोज की हिम्मत अब और बढ़ चुकी थी। उसने अपनी चेयर सुहानी के पास ही लगा ली थी। 'अरे विकास, ये हमारे एरिया का सीसीटीवी कैमरा खराब है ना?' मनोज ने कहा, 'हां है तो, कम्प्लेंट डाली हुई है किसी ने, लेकिन मेरी मानो तो ठीक ना ही करवाओ मनोज, अब यहां सुहानी क्या काम कर रही है, वो सबको थोड़ी दिखाना है,' विकास ने कहा।
दोनों इस वक्त क्या करने की कोशिश कर रहे थे, सुहानी को साफ समझ में आ रहा था। बस किसी तरह से आज की रात सही से निकल जाए ऐसा सुहानी बार-बार सोच रही थी। ऐसा काफी देर तक चलता रहा। मनोज और विकास दोनों ही एक दूसरे को देखकर कुछ इशारे करते, सुहानी को काफी सारा काम बताते और फिर चले जाते। बार-बार सिगरेट पीकर आते और सुहानी के पास आ जाते। उनके शरीर से धुएं की गंध सुहानी को और परेशान कर रही थी।
'अच्छा सुहानी, एक बात बताओ... क्या तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड है? अगर है तो उसे बुला लिया करो, अगर नहीं, तो फिर एक बना लो तुम... कितने दिन अकेली रहोगी?' मनोज ने फिर सुहानी पर तंज कसा। सुहानी उठकर बाहर चली गई और ऑफिस की बालकनी में जाकर खड़ी हो गई। उसके फ्लोर पर उसके डिपार्टमेंट के अलावा और दो डिपार्टमेंट भी थे, वहीं से एक लड़की उठकर सुहानी के पीछे आ गई।
उसे इससे पहले भी सुहानी ने देखा था, लेकिन कभी गौर नहीं किया। हमेशा काले, चुस्त कपड़े पहनने वाली, बाइक चलाने वाली, गहरा मेकअप करने वाली लड़कियों से मां ने हमेशा दूर रहने को ही कहा था। शायद यही कारण था कि ऊर्वशी से सुहानी ने अब तक बात नहीं की थी। एक वही तो थी जो हमेशा उसके साथ ऑफिस आती थी। बाकी लड़कियां अलग-अलग शिफ्ट्स में थीं, लेकिन सिर्फ ऊर्वशी ही सुहानी के साथ रहती थी। ऊर्वशी आते-जाते बहुत देर से नोटिस कर रही थी कि सुहानी के दो सीनियर्स उसके आस-पास घूम रहे हैं। 'तुम बेवकूफ हो या फिर तुम्हें ये सब अच्छा लग रहा है?' ऊर्वशी ने सुहानी से कहा। सुहानी की लाल आंखें देख ऊर्वशी समझ गई थी कि माजरा क्या है। 'मैं समझ नहीं पा रही हूं तुम क्या कह रही हो...' सुहानी ने ऊर्वशी से कहा।
'इतने दिनों से जो तुम्हारे साथ चल रहा है, कब तक बाथरूम में रोती रहोगी?' ऊर्वशी ने जवाब दिया। 'मुझे इस नौकरी की जरूरत है, इसलिए बस...' सुहानी ने कहा। 'नौकरी तुम अपने काम की वजह से कर रही हो, कोई तुम्हारी नौकरी को कुछ कर नहीं सकता। सीनियर हैं, तो भी उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। तुम डरती रहोगी, तो ये डराते रहेंगे। क्या करना चाह रही हो अपनी जिंदगी का?' ऊर्वशी ने कहा। 'एचआर में शिकायत करो और इनपर POSH लगाओ।' ऊर्वशी ने कहा और सुहानी को कुछ बातें समझाईं। सुहानी अंदर गई और उधेड़बुन में अपना काम करने लग गई। काम के बीच-बीच में अब वो फोन देखती जा रही थी। बार-बार ऊर्वशी के मैसेज भी आ रहे थे। सुहानी ने अपने काम के साथ-साथ कुछ और भी करना शुरू कर दिया।
'आज कल के लोगों का काम में इंटरेस्ट ही नहीं है मनोज, देखो फोन पर ही लगे रहते हैं,' विकास ने कहा। 'सुहानी, अगर काम में मन नहीं लग रहा है, तो हमसे ही बात कर लो। हम तो कब से तुमसे बात करना चाहते हैं। तुम इतना चुप क्यों रहती हो, कहो तो मैं तुम्हारे पास आकर बैठ जाऊं? मतलब, तुम्हारी मदद करने के लिए। अब अकेली हो आज डिपार्टमेंट में, तुम्हारी जिम्मेदारी भी तो हमारी है,' विकास ने आगे कहा। मनोज इतनी देर में उठकर सुहानी के पास ही आ गया और उसकी डेस्क पर बैठ गया। सुहानी को फिर से पैनिक अटैक आने लगा, लेकिन इस बार उसने किसी तरह से खुद को संभाला। 'क्या किसी ने कहा है तुमसे कि तुम्हारी गर्दन बहुत सुंदर है? इतनी मेहनत करती हो तुम, तुम्हें थकान भी होती होगी, कहो तो मैं तुम्हारी पीठ में मसाज कर दूं?' मनोज ने कहा।
'आप यहां से चले जाएं, तो मैं अपना काम बेहतर तरीके से कर पाऊंगी।' सुहानी को एकदम से जोश आ गया था। 'आप लोग मुझसे भद्दे मजाक करते हैं, मेरे आस-पास आकर मुझे असहज महसूस करवाते हैं, क्या मैं ये नौकरी छोड़कर चली जाऊंगी तभी आपको फर्क पड़ेगा?' सुहानी गुस्से में गरजी।
'खुद को क्या समझती है तू? तू नौकरी छोड़ देगी, तो क्या कोई और मिलेगी? अब देख तू, तेरा रिव्यू कैसा करते हैं हम। जरा सी हंसकर बात क्या कर लो, लड़कियां सिर पर चढ़ जाती हैं।' मनोज ने गुस्से में कहा। 'आज तुमने बिना मेरी मर्जी के मुझे छुआ है, मैं इसकी शिकायत पुलिस में करूंगी,' सुहानी ने कहा। 'हां छुआ तो? माथे से पसीना पोंछा है, कोई और हरकत नहीं की तुम्हारे साथ, पुलिस भी ना तुझे ही बाहर निकाल देगी...' विकास ने कहा।
इससे पहले कि सुहानी कुछ कह पाती... ऑफिस में कोई ऐसा आ गया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। आखिर कौन आया था ऑफिस के अंदर? जानिए ऑफिस का हैरेस्मेंट- पार्ट 3 में।
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