सुचेता कदेथांकर, जिसने एशिया के सबसे बड़े रेगिस्तान को भी कर दिया पार

सुचेता कदेथांकर का नाम देश की साहसिक महिलाओं में लिया जाता है। वह एशिया के सबसे बड़े रेगिस्तान गोबी रेगिस्तान को पार करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।

Sucheta Kadethankar First female across gobi desert

एक नारी में असीमित शक्ति होती है फिर भी उसे समाज में अबला ही समझा जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि एक नारी किसी भी समय, कही भी और कोई भी स्थिति का सामना बहादुरी से कर सकती है। ऐसी ही एक महिला है सुचेता कदेथांकर। एक ऐसी महिला, जिसने एशिया के सबसे बड़े रेगिस्तान गोबी रेगिस्तान को भी पार करके दिखाया। ऐसा कारनामा करने वाली वह पहली भारतीय महिला बनीं।

1600 किमी लंबे इस रेगिस्तान की गिनती एशिया के सबसे बड़े और विश्व के ऐसे पांचवे रेगिस्तान के रूप में होती है। उन्होंने साल 2011 में यह असंभव कार्य संभव करके दिखाया। अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया, लेकिन फिर भी अपनी उम्मीद व हिम्मत नहीं खोई। अंततः उन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर एक स्त्री चाहे तो वह सबकुछ हासिल कर सकती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको सुचेता कदेथांकर के जीवन और उनके अदम्य साहस के बारे में बता रहे हैं-

कौन है सुचेता कदेथांकर

who is sucheta kadethankar

पुणे की सुचेता कदेथांकर मंगोलिया में स्थित एशिया के सबसे बड़े रेगिस्तान गोबी रेगिस्तान को पार करने वाली पहली भारतीय महिला हैं। सुचेता वर्तमान में योग सिखा रही हैं और नवसह्याद्री पुणे में कोहम फिट नाम से एक फिटनेस और एक्टिविटी सेंटर चलाती हैं।

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सुचेता कदेथांकर का प्रारंभिक जीवन

sucheta kadethankar life

सुचेता कदेथांकर का जन्म 1977 को भारत में पुणे में हुआ था। उन्होंने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने बतौर पत्रकार अपने करियर की शुरुआत की। हालांकि, इसके बाद उन्होंने स्विच किया और वह एक आईटी पेशेवर बन गई और सिमेंटेक में लीड इंफॉर्मेशन डेवलपर के रूप में कार्य करने लगी।

सुचेता एक ऐसी महिला हैं, जिन्हें हमेशा से ही कुछ एडवेंचर्स करना पसंद रहा है। वह पहाड़ों में ट्रेकिंग, साइकिल चलाना, नदी पार करना और रेगिस्तान की सैर करना पसंद करती हैं। यहां तक कि उन्होंने 2008 में माउंट एवरेस्ट बेस कैंप की ट्रेकिंग और फिर कई हिमालयी ट्रेक और अभियानों में भी भाग लिया है।

इस तरह पूरा किया कारनामा

साल 2011 में सुचेता रेगिस्तान खोजकर्ता रिप्ले डेवनपोर्ट के नेतृत्व में गोबी क्रॉसिंग 2011 अभियान का हिस्सा बनीं। इस अभियान में नौ देशों की 13 सदस्यीय टीम तैयार की गई थी। यह 1,600 किलोमीटर की दूरी को कवर करते हुए 60-दिवसीय ट्रेक के रूप में योजनाबद्ध था। हालांकि, सुचेता ने इसे 15 जुलाई के दिन अभियान के खत्म होने में नौ दिन पहले ही पूरा कर लिया।(हिंदुस्तान की पहली महिला पायलट)

अपने अभियान को पूरा करने के लिए सुचेता हर दिन लगभग 32 किमी चलती थीं। बता दें कि इस 13 सदस्यीय टीम में से केवल 7 ही अपनी अंतिम मंजिल तक पहुंच पाए थे। जिसमें से तीन महिलाएं थीं और सुचेता भी इनमें शामिल थीं। जबकि अन्य सदस्य किसी ना किसी कारणवश अभियान से अलग हो गए थे।

सुचेता कदेथांकर की उपलब्धियां

sucheta kadethankar achievements

  • इंडिया टुडे ने उन्हें 35 यंग अचीवर्स में से एक के रूप में सम्मानित किया है।
  • उन्हें हीराकानी अवार्ड भी मिल चुका है।
  • उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज है।
  • उन्हें बजाज आलियांज मोस्ट इंस्पिरेशनल वर्किंग वुमन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • उन्होंने साल 2011 का “द टाई एस्पायर इंडिया यंग अचीवर अवार्ड“ भी मिल चुका है।

यकीनन सुचेता कदेथांकर का जीवन बेहद ही इंस्पायरिंग हैं और यह दर्शाता है कि दृढ़ निश्चय के आगे हर किसी को झुकना ही पड़ता है। आपको सुचेता कदेथांकरं की यह स्टोरी कैसी लगी? हमें फेसबुक पेज के कमेंट सेक्शन में अवश्य बताइएगा।

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Image Credit- Instagram

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