Usha Sundaram Woman Pilot: आजाद हिन्दुस्तान के पीछे ऐसी कई महिलाओं का हाथ है, जिन्होंने हिंदुस्तान को आजादी दिलाने के लिए पूर्ण योगदान दिया है। इतिहास के पन्नों में कई महिलाओं के नाम दर्ज हैं, जिन्हें पढ़ जाना चाहिए। हिन्दुस्तान में बसे हर राज्य और क्षेत्र की अपनी अलग कहानी और संघर्ष हैं यहां तक की उड़ान के क्षेत्र में भी। क्योंकि एक वक्त था जब महिलाएं अपने घर से बाहर तक नहीं मिलती थीं और महिलाओं की क्षमता को पायलट के रूप में स्वीकार करने से हिचकिचाते थे।
लेकिन आज विमान क्षेत्र में पायलट महिला की भरमार है। हालांकि, 1947 में डोमेस्टिक एयरलाइन उड़ाने वाली प्रेम माथुर, पहली भारतीय कमर्शियल पायलट बनी थीं। वहीं, दुर्बा बनर्जी, 1956 में इंडियन एयरलाइन्स की पहली महिला पायलट बनी थीं। लेकिन आज हम आपको आजाद हिंदुस्तान की पहली उषा सुंदरम से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, आइए जानते हैं।
20 साल की उम्र में उड़ना सीखा-
उषा सुंदरम स्वतंत्र भारत की पहली महिला पायलट थीं। लेकिन कहा जाता है कि इन्होंने कम उम्र से कई महत्वपूर्ण घटनाओं और मिशनों को सुगम बनाया और अपने सपनों की तरफ उड़ान भरना शुरू की थी। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एविएशन में अपना करियर बनाने की सोची। कहा जाता है कि 20 साल की उम्र में उषा सुंदरम ने उड़ना भरना सीखा था। फिर 22 साल की उम्र में उषा सुंदरम ने पिस्टन-इंजन के साथ इंग्लैंड से भारत की उड़ान में सबसे तेज उड़ान भरने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। (पायलट बनने का तरीका)
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23 घंटे की उड़ान भरकर बनाया था रिकॉर्ड-
उषा सुंदरम 1948 में स्वतंत्र भारत के बाद पहली महिला पायलट थीं। लेकिन सरला ठकराल 1936 में लाहौर फ्लाइंग क्लब के लिए उड़ान भरने वाली देश की पहली महिला थीं। बता दें कि उषा ने आखिरी बार 1951 में एक उड़ान की कमान संभाली थी। (फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट बनने के टिप्स)
इस दौरान उन्होंने अपने पायलट-पति के साथ लंदन से चेन्नई तक 23 घंटे की उड़ान भरकर एक रिकॉर्ड बनाया था। आज भी पिस्टन इंजन वाले विमान के लिए यह रिकॉर्ड बना हुआ है। इसके बाद वह द ब्लू क्रॉस ऑफ इंडिया की सह-संस्थापक बनी थीं।
1952 में हुई थीं रिटायर-
देश के आजाद होने के बाद उषा ने अपने जलवे कई सालों तक अपने जलवे बिखेरे और पहली महिला पायलट होने का खिताब अपने नाम किया। लेकिन कहा जाता है कि उषा ने अपने रियाटरमेंट से पहले अपने साहस लोगों की जान बचाने का भी काम किया था। (संगीता गौड़ की इंस्पायरिंग स्टोरी)
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इतिहास के अनुसार भारत का विभाजन होने के बाद पाकिस्तान में फंसे लोगों को निकालने का काम किया था और सुरक्षित उन्हें अपने घर वापस पहुंचाया था। लेकिन इसके बाद 1952 में उन्होंने रिटायरमेंट ले ली थी और इसके बाद इन्होंने विमान के क्षेत्र को अलविदा कह दिया था।
उम्मीद है भारत की पहली महिला पायलट के बारे में जानकर आपको अच्छा लगा होगा। ऐसे ही इंस्पिरेशनल स्टोरीज पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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Image Credit- (@Wikipedia and google images)
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