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Punita Arora First Woman Lieutenant General inspirational story

मिलिए भारत की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल पुनीता अरोड़ा से

भारतीय सेना में ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने अपने दम-खम और जौहर से झंडे गाड़ दिए हैं। इसी कड़ी में आज बात करते हैं पुनीता अरोड़ा की। 
Editorial
Updated:- 2022-08-01, 19:47 IST

आज़ाद भारत में ऐसी कई महिलाएं रही हैं जिन्होंने अपने दम-खम और अक्लमंदी से देश की दिशा को बदलने में मदद की है। हर फील्ड में इन महिलाओं ने कुछ खास किया है और अपने-अपने तरीके से माहौल को बेहतर बनाने और तरक्की में साथ देने की कोशिश की है। हरजिंदगी आजादी के 75 सालों में ऐसी ही 75 बेमिसाल महिलाओं के बारे में आपको कुछ ना कुछ बता रही है। ये वो महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी-अपनी फील्ड में किसी खास काम की पहल कर इतिहास गढ़ने में मदद की है।

इसी कड़ी में आज बात करते हैं पुनीता अरोड़ा की। पुनीता अरोड़ा भारतीय आर्मी की पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल रही हैं। वो कंधे से कंधा मिलाकर अपने पुरुष सहयोगियों के साथ देश की सुरक्षा के लिए खड़ी रही हैं। पुनीता जी ने हज़ारों लोगों को इंस्पायर किया है और उन्होंने बहुत ही जिंदादिली से अपनी जिंदगी जी है।

कौन हैं पुनीता अरोड़ा?

पुनीता अरोड़ा पंजाबी परिवार में पैदा हुई थीं जिनका परिवार पार्टीशन से पहले लाहौर में रहा करता था। बंटवारे के बाद वो लोग भारत आ गए और सहारनपुर उत्तर प्रदेश में रहने लगे। पुनीता का परिवार भारत खाली हाथ आया था और वो अपने सपनों को पूरा करने में लग गईं। 1963 में पुनीता ने आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज में टॉप किया था।

punita arora and her life facts

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पुनीता को 1968 में नौकरी करने का मौका मिला और वो लगातार सेना का हिस्सा बनी रहीं। 2004 में पुनीता को आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज के कमांडेंट का चार्ज मिल गया और वो पहली महिला थीं जिसे ये उपाधि दी गई थी।

कुछ समय बाद वो इंडियन आर्मी से नेवी में चली गईं क्योंकि AFMS (Armed Forces Medical College) में एक ही पूल के ऑफिसर्स को माइग्रेट करने की सुविधा मिलती है।

आर्म्ड फोर्सेज की पहली महिला जिन्हें मिली थी थ्री स्टार रैंक

कई सारे अवसर पूरे करने के साथ ही पुनीता आर्म्ड फोर्सेज में वो पहली महिला थीं जिन्हें थ्री स्टार रैंक प्राप्त हुई थी। सर्जन वाइस एडमिरल (लेफ्टिनेंट जनरल) पुनीता अरोड़ा पीवीएसएम, एसएम, वीएसएम ना सिर्फ इंडियन आर्मी बल्कि इंडियन नेवी का भी अहम हिस्सा रही हैं।

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अपने पूरे 36 साल के करियर में उन्हें 15 मेडल से नवाजा गया

परम विशिष्ठ सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ठ सेवा मेडल, स्पेशल सर्विस मेडल, संग्राम मेडल, सैन्य सेवा मेडल, 50 इंडिपेंडेंस एनिवर्सरी मेडल, 25 इंडिपेंडेंस एनिवर्सरी मेडल, 9 साल सर्विस मेडल, 20 साल सर्विस मेडल, 30 साल सर्विस मेडल, विशिष्ठ सेवा मेडल (कालुचक में विक्टिम्स की सेवा के लिए)।

रिटायरमेंट के पहले पुनीता आर्मी में डर्मेटोलॉजिस्ट के तौर पर भी काम करती थीं और उनके पति रिटायर्ड ब्रिगेडियर रहे थे। पुनीता जी ने हमेशा ही लोगों की मदद के बारे में सोचा और टेररिस्ट अटैक साइट पर भी दिन-रात काम किया। उन्होंने मिलिट्री हॉस्पिटल्स में गायनेकोलॉजिस्ट की तरह भी काम किया।

पुनीता वाकई एक बेमिसाल महिला हैं जिन्होंने हज़ारों लोगों को प्रेरित किया है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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