‘बाबू मोशाय जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं‘ फिल्म आनंद में राजेश खन्ना द्वारा कहे गए यह डॉयलॉग्स भारत की पहली महिला जवान शांति तिग्गा पर पूर्ण रूप से सटीक बैठते हैं। बचपन से ही विपरीत परिस्थितियों का सामना करने वाली शांति तिग्गा ने खुद भी बहुत ही कम उम्र में दुनिया को अलविदा कर दिया। लेकिन इस दुनिया से जाने से पहले वह एक ऐसा मुकाम हासिल कर गईं कि उनके पदचिन्हों पर चलकर अब हजारों लड़कियां इंडियन आर्मी में अपनी योग्यता साबित कर रही हैं।
शांति तिग्गा को इंडियन आर्मी में शामिल होने वाली भारत की पहली महिला जवान का दर्जा प्राप्त है। हालांकि, बेहद कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई थी और फिर वह मां बनी। लेकिन दो बच्चों के जन्म के बाद जब उनके पति इस दुनिया से चले गए तो उनकी जिन्दगी ने एक नया मोड़ लिया। उसके बाद वह इंडियन आर्मी में शामिल हुई और अपनी कुशलता के कारण उन्हें बेस्ट ट्रेनी भी घोषित किया गया। तो चलिए आज इस लेख में इंडियन आर्मी में शामिल होने वाली भारत की पहली महिला जवान शांति तिग्गा के बारे में बता रहे हैं-
शांति तिग्गा का प्रारंभिक जीवन
शांति तिग्गा पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी की रहने वाली थीं और वह एक एक अनुसूचित जनजाति से संबंध रखती थीं। उन्होंने बचपन से ही विपरीत परिस्थितियों का सामना किया था। वह एक बाल विवाह पीड़िता थीं। उनका बेहद कम उम्र में ही विवाह कर दिया गया था और शादी के बाद वह दो बच्चों की मां बनी। उन्होंने अपना अधिकांश प्रारंभिक जीवन एक गृहिणी और मो के रूप में ही गुजारा।
इसे जरूर पढ़ें-जानें देश की पहली महिला कॉम्बैट एविएटर अभिलाषा बराक के बारे में
कुछ इस तरह सेना में भर्ती होने का आया विचार
शांति तिग्गा ने कभी भी नहीं सोचा था कि वह देश को अपनी सेवाएं देंगी। लेकिन पति के मर जाने पर वो विधवा हो गईं और पति की नौकरी के आधार पर उन्हें रेलवे में नौकरी मिल गई। वहां पर उन्होंने पांच सालों तक नौकरी की। वह 2005 में भारतीय रेलवे में शामिल हुईं और अगले पांच वर्षों तक बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के चलसा स्टेशन पर काम करना जारी रखा। लेकिन उस दौरान उनकी सेना में भर्ती होने की इच्छा जागृत हुई।
दिया कौशल का परिचय
जब उन्होंने भारतीय सेना में भर्ती होने का मन बनाया। तो साल 2011 में टेरिटोरियल आर्मी रेलवे में उन्होंने 969 रेलवे रेजिमेंट के लिए साइनअप किया। इस दौरान उन्होंने अपने कौशल से पुरूषों को भी पीछे छोड़ दिया। अपने भर्ती प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने 1.5 किमी की दौड़ पूरी करने के लिए पुरुषों की तुलना में पांच सेकंड कम समय लिया और 50 मीटर की दौड़ को महज 12 सेकंड में पूरा करके दिखाया, जिसने वरिष्ठ अधिकारियों को भी बेहद प्रभावित किया। वहीं, उनका बंदूक चलाने का कौशल भी बेहतरीन था। अपने बेहतरीन परफार्मेंस के बलबूते पर ही अपने उन्हें बेस्ट ट्रेनी घोषित किया गया था। इस तरह तिग्गा 1.3 मिलियन मजबूत रक्षा बलों में पहली महिला जवान बनीं।(First Women In Indian Army: प्रिया झिंगन)
हुआ दुखद अंत
साल 2011 में इंडियन आर्मी में भर्ती होने बाद शांति तिग्गा बेहद कम उम्र में ही इस दुनिया से चली गईं। दरअसल, 9 मई 2013 को टिग्गा को अज्ञात अपराधियों ने अगवा कर लिया था। बाद में, उन्हें रेलवे ट्रैक पर एक पोस्ट से बंधा हुआ पाया गया था। जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और पुलिस जांच शुरू हो गई। लेकिन एक हफ्ते बाद, 13 मई, 2013 को तिग्गा को रेलवे अस्पताल में लटका पाया गया। पुलिस प्रशासन ने मामले को आत्महत्या का बताया। हालांकि, शांति तिग्गा की मौत एक रहस्य बनकर ही रह गई।
इसे जरूर पढ़ें-क्या सच में भारतीय नौसेना की अग्निवीर योजना में महिलाएं भी होंगी शामिल, पढ़ें पूरी खबर
शांति तिग्गा की उपलब्धियां
- शांति तिग्गा इंडियन आर्मी में शामिल होने वाली भारत की पहली महिला जवान थीं।
- भर्ती प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बेस्ट ट्रेनी घोषित किया गया था और उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने पुरस्कृत किया था।
तो आपको भारत की पहली महिला जवान शांति तिग्गा की यह इंस्पायरिंग स्टोरी कितनी अच्छी लगी? यह हमें फेसबुक पेज के कमेंट सेक्शन में अवश्य बताइएगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Recommended Video
Image Credit- beaninspirer, thebetterindia
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों